नई दिल्ली: साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. इस आम चुनाव को जीतने के लिए सभी पार्टियां अपनी तरफ से तैयारियों में लगी हुई हैं. इसी क्रम में बीजेपी साल 2019 में मिलीं सीटों के रिकॉर्ड को तोड़ना चाहती है. इसके लिए पार्टी घर-घर जोड़ो चुनावी अभियान शुरू करने जा रही है. इस अभियान के तहत बीजेपी दलितों और अनसूचित जातियों पर फोकस करेगी.
देश में 17 प्रतिशत वोटर इस आबादी से आते हैं और पार्टी इस पर नजर बनाए हुए है. पार्टी 14 अप्रैल से 5 मई तक देश में इस अभियान को चलाएगी जिसके तहत बीजेपी नेता दलितों की बस्तियों में प्रवास करेंगे. दरअसल, 14 अप्रैल को आंबेडकर जयंती है और 5 मई को बुद्ध जयंती है. इस दौरान केंद्र की सत्ता में काबिज पार्टी घर-घर जोड़ो अभियान चलाएगी.
इस अभियान के जरिए, सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित दलित परिवारों को योजनाओं का लाभ दिलाएगी. इस अभियान का समापन दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में किया जाएगा और इस दौरान एक भव्य कार्यक्रम भी रखा गया है. इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी दलित समुदाय को संबोधित कर सकते हैं.
साल 2019 में कितने दलितों ने किया बीजेपी को वोट
देश में लोकसभा की 131 सीटें रिजर्व हैं. जिसमें 84 अनसूचित जाति और 47 अनसूचित जनजाति के लिए हैं. एक समय में इन दलित बहुल वाली सभी सीटों पर कभी कांग्रेस तो कभी बहुजन समाज पार्टी या फिर कभी अन्य पार्टियों का कब्जा हुआ करता था लेकिन 2019 में नरेंद्र मोदी के नाम की ऐसी आंधी चली कि 2014 के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए बीजेपी ने 77 रिजर्व सीटों पर कब्जा कर लिया. वो भी तब जब विपक्षियों ने बीजेपी को दलित विरोधी पार्टी का आरोप लगाया.
सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटी यानि सीएसडीएस के मुताबिक, साल 2014 में कांग्रेस को 18.5 प्रतिशत वोट से संतोष करना पड़ा था. वहीं, अपने आप को दलितों की सबसे बड़ी पार्टी बताने वाली बहुजन समाज पार्टी को 13.9 प्रतिशत मिला था. वहीं, बीजेपी को कुल वोट का करीब 24 प्रतिशत वोट मिला था.
वहीं, अगर सीएसडीएस लोकनीति के सर्वे की बात करें तो नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बैकवर्ड कास्ट के वोटिंग पर्सेंटेज में बीजेपी को फायदा हुआ है. जो 24 प्रतिशत से 42 प्रतिशत तक पहुंचा है. इसके अलावा, 2014 से 2019 के बीच दलित वोट 24 प्रतिशत से 34 प्रतिशत तक बीजेपी को मिला है.
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