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    वामपंथी गढ़ में सरकार बरकरार रखने पूरी ताकत झोंक रही भाजपा, अमित शाह ने संभाली कमान

  • January 07, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi) । त्रिपुरा में पांच साल पहले वामपंथी गढ़ को ढहाने वाली भाजपा अपनी सरकार बरकरार रखने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। अगले महीने होने वाले चुनाव के लिए भाजपा ने अपने बड़े नेताओं को उतारना शुरू कर दिया है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा (party president JP Nadda) के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य का दौरा कया है और जन विश्वास यात्राओं की शुरुआत की है। दरअसल, पार्टी यहां पर वामपंथ (left wing) को किसी भी सूरत में वापसी नहीं आने देना चाहती है।

    त्रिपुरा में पिछले विधानसभा चुनाव (assembly elections) में भाजपा ने माकपा को बुरी तरह से हराते हुए राज्य की सत्ता पर कब्जा किया था। राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से पार्टी ने 36 पर जीत हासिल की थी, जबकि उसकी सहयोगी आईपीटीएफ को आठ सीटें मिली थी। माकपा को 16 सीटों पर संतोष करना पड़ा था और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था। बाद में लोकसभा की दोनों सीटों पर भी भाजपा ने कब्जा किया था। हालांकि, इस बार कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही थी।


    त्रिपुरा की जीत भाजपा के लिए बेहद अहम रही थी। इससे उसे वामपंथ के मजबूत किले को ढहाने में तो सफलता मिली ही थी, साथ ही उसके कांग्रेस (Congress) मुक्त पूर्वोत्तर के लिए बड़ी मदद मिली थी। इस समय पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में राजग की सरकारें हैं, जिनमें असम, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश व मणिपुर में उसके अपने मुख्यमंत्री हैं। त्रिपुरा के साथ मेघालय व नगालैंड के भी चुनाव हो रहे हैं। भाजपा की कोशिश त्रिपुरा के साथ नगालैंड में भी अपना मुख्यमंत्री बनाने की होगी। मेघालय में वह गठबंधन में रहते हुए अपनी स्थिति मजबूत कर सकती है।

    लोकसभा चुनावों (Lok Sabha elections) की रणनीति के लिहाज से भी पूर्वोत्तर काफी अहम है। यहां पर भाजपा अपनी ताकत बढ़ाने के साथ अपने विरोधियों कांग्रेस, माकपा व तृणमूल कांग्रेस को रोकने में जुटी है। पार्टी के एक प्रमुख नेता ने कहा कि पूर्वोत्तर छोटा भले ही हो, लेकिन देश के सामरिक, सांस्कृतिक महत्व के साथ राजनीतिक रूप से भी बेहद अहम है। भाजपा को यहां पर अपनी स्थिति और मजबूत करनी है। उसके लिए उत्तर व पश्चिमी भारत के अपने गढ़ों की तरह ही पूरा पूर्वोत्तर महत्वपूर्ण है।

    हालांकि, बीते पांच साल में त्रिपुरा (Tripura) की राजनीति में कई बदलाव हुए हैं। आदिवासी समुदाय की नाराजगी को देते हुए भी भाजपा सतर्क है। पार्टी में सत्ता विरोधी माहौल को कम करने के लिए बीते साल सरकार में नेतृत्व परिवर्तन भी किया गया था। विप्लव देव की जगह माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया गया है। चुनाव में भी कई चेहरे बदले जाने की संभावना है।

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