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    विधानसभा चुनाव तक कोई बड़ा जोखिम लेने के मूड में नहीं है भाजपा

  • June 25, 2021


    लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी (BJP) 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly elections) तक कोई बड़ा जोखिम (Big risk )लेने के मूड (Mood)में नहीं है। इसी कारण उन्नाव में जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए अरूण सिंह को रात में दिया टिकट हो हल्ला मचने के बाद शाम तक काट दिया। यह टिकट ऐसे ही नहीं काटा गया है। इसके पीछे पार्टी ने हानि- लाभ का विचार किया होगा।


    दरअसल, कोरोना की दूसरी लहर से भाजपा के खिलाफ बने माहौल के कारण अब पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। विधानसभा चुनाव तक अपनी खराब छवि को ठीक करने का प्रयास पार्टी की ओर से लगातार किया जा रहा है। इसी कारण केशव के घर मुख्यमंत्री योगी ने भोज किया। पार्टी की ओर से एकता का संदेश देने की शुरूआत भी इसी रणनीति का हिस्सा है। इसके बाद से रूठे कार्यकर्ताओं को मनाने का क्रम चलाया जा रहा है। साथ ही कार्यकर्ताओं के राजनीतिक मुकदमे खत्म करने की बात हो रही है। ब्यूरोक्रेसी की मनमानी पर भी अंकुश लगाने की बातें भी खूब चर्चा में हैं।

    पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि देशभर में चर्चित माखी कांड के आरोपित या उनसे जुड़े लोगों को टिकट देकर विरोध पर काटने की नौबत दूसरी बार आयी है। एक-एक जिला पंचायत पर भाजपा का खास फोकस है। ऐसे में यह टिकट निश्चित तौर पर जिला लेवल की लापरवाही से हुआ होगा। पीड़िता के विरोध के बाद प्रदेश नेतृत्व ने स्व. अजीत सिंह की पत्नी शकुन सिंह को टिकट दे दिया है। ऐसे ही कुलदीप सेंगर की पत्नी को प्रत्याशी बनाया गया था। तब भी विरोध के स्वर फूटे थे। इसके बाद भी तुरंत टिकट बदल कर शकुन को दिया गया था। अभी भी जिला स्तर पर कुलदीप के हिमायती हैं जो गाहे बगाहे उनकी चर्चा के लिए अपना पूरा ध्यान लगाते हैं। लेकिन फिलहाल भाजपा कोई भी ऐसा काम नहीं करने जा रही है। जिससे उस पर लांछन लगे और बेमुफ्त की जवाबदेही हो। इसलिए वह साफ और बेदाग छवि बनाकर ही जनता के बीच जाने का प्रयास करेगी।


    वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक राजीव श्रीवास्तव कहते हैं कि अरूण सिंह पर तरह-तरह के आरोप लग रहे थे। उन्नाव में पहले भाजपा को कहीं न कहीं वाद विवाद झेलना पड़ा है। कुलदीप सेंगर के मामले भी पार्टी को काफी फजीहत हुई थी। इसके बाद भाजपा सरकार सरकार से कोविड प्रबंधन में जो दिक्कतें हुई थीं, उससे लोगों में गुस्सा रहा है। भाजपा अब कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं है। पार्टी की किसी बात को लेकर लोगों में गुस्सा हो। इसका भी जोखिम नहीं उठाना चाहेगी। इसीलिए सुबह ही टिकट दिया। पार्टी में कई बार ज्यादा चर्चा होंने पर भी टिकट नहीं बदले गये। अगर बदला भी गया है तो काफी विचार विमर्श करने में कई दिन लगते थे। पिछले चार माह से जो नकारात्मकता रही है और वह भाजपा अब अपने खाते में जोड़ना नहीं चाहती है। 2022 का चुनाव नजदीक है। भाजपा अपनी छवि सुधारने की ओर आगे बढ़ रही है। इसलिए इमेज डेंट के लिए कोई कदम नहीं उठाएगी। भाजपा अपनी छवि के लिए काफी सतर्क है। ऐसे में कोई अपने ऊपर लांछन लेने के मूड में नहीं है।
    भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी कहते हैं कि डेमोक्रेटिक सिस्टम से चलने वाली पार्टी है। पार्टी ने कोई निर्णय किया है अगर उस पर कोई अपत्ति होती है। पार्टी उस बात को सुनती है विचार करती है। अगर कोई भूल होती है सुधार करने का पूरा प्रयास भी होता है।

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