भोपाल। मप्र सरकार के बजट पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने प्रतिक्रया देते हुए हा कि बजट को देखकर ऐसा प्रतीत हुआ कि यह भाजपाई सत्ता की मप्र से विदाई का बजट है। इस बजट में सबसे बड़ा आघात मप्र की बेक बोन कही जाने वाली ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। किसानों और ग्रामीण क्षेत्र की उपेक्षा जिस प्रकार इस बजट में की गई है वह बेहद निंदनीय है। इस बजट में न किसान और ग्रामीण क्षेत्र की प्रगति और समृद्धि का कोई रोडमेप है, न औद्योगिक विकास की कोई इबारत लिखी गई, न युवाओं के रोजगार के अवसर सृजित होते हुए दिखाई दे रहे हैं, न अधोसंरचना विकास की विस्तृत सोच दिखाई देती है, न समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े हुए दलित, आदिवासी और पिछड़े भाईयों के भविष्य का ख्याल रखा गया है।
ग्रामीण विकास को धोखा और कर्जमाफी को रोका
सबसे दुख:द बात यह है कि हमारी सरकार ने जो 2 लाख रूपये तक के किसानों के कर्जमाफी की योजना प्रारंभ की थी, उसे भी बंद कर प्रदेश के किसानों के साथ बहुत बड़ा कुठाराघात किया है और फसल ऋणमाफी योजना के लिए शर्मनाक तरीके से सिर्फ 3 हजार रूपये का प्रावधान किया गया। कृषि एवं उसकी सहायक गतिविधियां में सरकार ने विभिन्न विभागां को जैसे किसान कल्याण तथा कृषि विकास, उद्यानिकी, पशुपालन, ऊर्जा, लोक निर्माण, जल संसाधन, ग्रामीण विकास जैसे 14 विभागां को सम्मिलित कर उसमें 53964.80 करोड़ रूपये वर्ष 2023-24 में प्रस्तावित किये हैं। जबकि 2022-23 के पुनरीक्षित अनुमान के अनुसार यह प्रावधान 60854.1 करोड़ रूपये था। अर्थात पुनरीक्षित अनुमान के आधार पर लगभग 6000 करोड़ रू. कृषि एवं किसान कल्याण और उसकी सहायक गतिविधियों में कम करके किसानां और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर कुठाराघात किया है। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग में भी मप्र के किसानों के भविष्य के साथ छल करते हुए किसानां की ऋण माफी योजना जो कांग्रेस सरकार ने प्रारंभ की थी, जिसके तहत 27 लाख किसानां का कर्ज माफ कर दिया गया था, उस योजना में मात्र 3000 रूपये का प्रावधान करके समूचे प्रदेश के किसानों के साथ छल किया गया है। मुख्यमंत्री कृषक फसल उपार्जन सहायता योजना में जहां 2021-22 में 3000 करोड़ रूपये खर्च किये गये थे, वहां इस बजट में मात्र 1000 करोड़ रू. का प्रावधान किया गया है जो कि पिछले वर्ष की तुलना में भी 500 करोड़ रूपये कम है। मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में भी लगभग 250 करोड़ रूपये की कमी की गई है। कृषि क्षेत्र में अधोसंरचना विकास के बजट में भी पुनरीक्षित अनुमान से 40 प्रतिशत की कटौती की गई है।
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