नई दिल्ली (New Delhi)। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले कर्नाटक में मंदिरों पर टैक्स लगाए जाने को लेकर विवाद छिड़ गया है। राज्य की कांग्रेस सरकार (Congress government of the state) विधानसभा में ‘कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ विधेयक’ पारित कर मंदिरों पर टैक्स लगाने में सक्रिय रही है। वहीं कर्नाटक में मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने कर्नाटक सरकार के इस कदम को हिंदू विरोधी बताया और आंदोलन करने की धमकी दी। बीजेपी का कहना है कि राज्य में कांग्रेस की तिरछी नजर कर्नाटक के मंदिरों पर है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की सरकार द्वारा विधानसभा में पारित विधेयक में कहा गया है कि सालाना 1 करोड़ रुपये से अधिक दान प्राप्त करने वाले मंदिरों और अन्य हिंदू धार्मिक संस्थानों को 10 प्रतिशत का टैक्स देना होगा। 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच के दान पर टैक्स की दर 5 प्रतिशत रहेगी। कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए इन नए टैक्स सिस्टम को लेकर बहस शुरू हो गई है। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने लोकसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे को राजनीतिक प्रचार के तौर पर इस्तेमाल कर सकती है।
कांग्रेस की तिरछी नजर मंदिरों के दान पर: भाजपा
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष विजयेंद्र ने कहा, ”हमारे राज्य में कांग्रेस सरकार लगातार हिंदू विरोधी नीतियां अपना रही है। इस बार उसने हिंदू मंदिरों के दान पर भी तिरछी नजर रखी है।” उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी कर्नाटक सरकार की कार्रवाई का विरोध करेगी और भक्तों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा, “अपने खाली खजाने को भरने के लिए कर्नाटक हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ विधेयक कांग्रेस ने पारित किया है।” विजयेंद्र ने कहा कि एकत्रित धन का उपयोग दूसरे उद्देश्य के लिए किया जाएगा।
कांग्रेस ने किया विरोध
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि केवल हिंदू मंदिरों को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है, अन्य धर्मों को नहीं। टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए कर्नाटक के मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने भाजपा पर धर्म को राजनीति में लाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ही हिंदुत्व की सच्ची समर्थक है। बता दें कुछ साल पहले पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के शिरडी में श्री साईंबाबा मंदिर के 175 करोड़ रुपये के आयकर विवाद को सुप्रीम कोर्ट में उठाया गया था!
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