भोपाल। सटीक अनुमानों के लिए पहचाने जाने वाले इंदौर के सट्टा बाजार ने उपचुनाव को लेकर अपना रूझान स्पष्ट कर दिया है। इसके मुताबिक प्रदेश की भाजपा सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। जिन 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए हैं उनमें से 18 से 20 सीटें भाजपा की झोली में जाना तय है। कांग्रेस को छह से आठ सीटें मिल सकती हैं। दो-तीन सीटें ऐसी भी हैं जिनके बारे में बाजार मौन है। यानी इन सीटों पर ऊंट किस करवट बैठेगा यह कहना अभी मुश्किल है। सांवेर सहित कई विधानसभा सीटें इस उपचुनाव में कांग्रेस के हाथ से फिसलती नजर आ रही हैं। इन सीटों के लिए भाजपा सटोरियों की पसंदीदा है। हालांकि बाजार में भाजपा की सरकार को लेकर कोई खाईवाल नहीं है। तीन नवंबर को प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव को लेकर भी बाजार ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। हालांकि कोरोना की मार के चलते बाजार में व्यापार बहुत कम है। प्रदेश में भाजपा की सरकार बरकरार रहने को लेकर बाजार इतना आश्वस्त है कि इसे लेकर कोई खाईवाल शर्त लगाने को तैयार नहीं है। सांवेर विधानसभा सीट का हाल भी लगभग ऐसा ही है। सटोरिए यहां भाजपा के पक्ष में 65:35 का भाव बोल रहे हैं। यानी इस सीट पर बाजार भाजपा की जीत तय मान रहा है। सूत्रों की मानें तो एक नवंबर तक यहां मुकाबला बराबरी का माना जा रहा था। इसके बाद अचानक हवा बदली और परिस्थितियां भाजपा के पक्ष में बन गई। इसके बाद से इस सीट पर भाजपा को मजबूत माना जा रहा है।
कांग्रेस की नजर फॉर्म 17 पर
सट्टा बाजार के आंकलन गलत साबित होंगे। कांग्रेस ने यह दावा किया है। इसी के साथ 10 नवंबर को होने वाली विधानसभा उपचुनाव की मतगणना के लिए भी खास तैयारी शुरू कर दी है। उपचुनाव के पहले कांग्रेस अपने उन कार्यकर्ताओं को भी खास प्रशिक्षण देगी जो मतगणना में उम्मीदवार के एजेंट के रूप में मौजूद रहेंगे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी मतगणना के लिए उम्मीदवारों को खास एहतियात बरतते हुए फॉर्म 17(ग) के मिलान को लेकर निर्देश जारी कर दिए हैं। कांग्रेस ने उम्मीदवारों को निर्देश दिए हैं कि मतगणना शुरू होने से पहले वे किसी भी स्थिति में फॉर्म 17 (ग) का सावधानी से पूरा मिलान करें। मतदान होने के बाद हर बूथ के पोलिंग एजेंट को संबंधित बूथ का अधिकारी फॉर्म 17 (ग) देता है। कांग्रेस इस फॉर्म के मिलान पर जोर दे रही है ताकि मतगणना में किसी भी तरह की गड़बड़ी व हेरफेर की आशंका को समाप्त किया जा सके। फॉर्म 17 (ग) बूथ पर तैनात हर दल के पोलिंग एजेंट को उस बूथ का बीएलओ जारी करता है। इस फॉर्म में ईवीएम का नंबर, बैलेट यूनिट का नंबर, वीवीपैट का नंबर लिखा होता है। साथ ही इस फॉर्म में मतदान से जुड़ी एक-एक एंट्री भी दर्ज की जाती है। इसमें यह लिखा होता है कि संबंधित बूथ पर कुल कितने वोट पड़े, कितने महिला और कितने पुरुषों ने वोट डाला और तो और ईवीएम को सील करने वाली खास हरे कागज की सील का भी एक यूनिक नंबर होता है वह भी इस फॉर्म में लिखा होता है। कांग्रेस ने हिदायत दी कि मतगणना शुरू होने से पहले हर बूथ की मशीन को खोलने से पहले उसके फॉर्म 17(ग) की सभी एंट्री का मिलान किया जाए। सांवेर उपचुनाव को लेकर कांग्रेस जिलाअध्यक्ष सदाशिव यादव और उम्मीदवार प्रेमचंद गुड्डु ईवीएम की सुरक्षा से लेकर स्थानीय अधिकारियों के रवैये दोनों पर कई सवाल खड़े कर चुके हैं। कांग्रेस अब अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं को मतगणना की तैयारी के लिए खास प्रशिक्षण देने जा रही है।
उपचुनावों से ही दिया ध्यान
प्रदेश की बीती भाजपा सरकार में ही कमल नाथ ने प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद फॉर्म 17(ग) को लेकर एहतियात बरतना शुरू की थी। बीती शिवराज सरकार में प्रदेश में हुए मूंगावली और कोलारस के उपचुनाव में सबसे पहले 17(ग) के मिलान व एंट्री करवाने का प्रशिक्षण कार्यकर्ताओं को दिया था। दोनों उपचुनावों में नतीजें कांग्रेस के पक्ष के रहे थे। इसके बाद इसे विधानसभा चुनाव में भी बारीकी से लागू किया गया।
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