नई दिल्ली (New Delhi)। मिशन 2024 की तैयारी में भाजपा (BJP in preparation for Mission 2024) अभी से लग चुकी है। हिंदी पट्टी में वर्चस्व कायम (Supremacy continues in Hindi belt) है और इस पर ही आगे की पारी खेलने को पार्टी ने पूरी तरह से कमर कस ली है। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में प्रचंड बहुमत के बाद भाजपा ने तीनों ही प्रदेशों में सीएम के तौर पर नए चेहरों पर दांव खेला है, छत्तीसगढ़ में विष्णु देव साय को सीएम फेस घोषित किया गया है, तो मध्य प्रदेश की कमान मोहन यादव को दी गई है.
राजस्थान में भी सारे कयासों और अटकलों को धता बताते हुए भाजपा ने भजन लाल शर्मा पर दांव खेलकर नए समीकरणों को हवा दी है. खास बात ये है कि सभी सीएम के साथ दो-दो डिप्टी सीएम भी बनाए गए हैं. ये नए समीकरण 2024 में होने वाले आम चुनाव को देखते हुए काफी अहम माने जा रहे हैं.
राजस्थान में ये बन रहे समीकरण
यदि राजस्थान की बात करें तो यहां सीएम चुने गए भजन लाल शर्मा पार्टी का ब्राह्मण चेहरा हैं. प्रदेश में 7% ब्राह्रण आबादी है. इसके अलावा दीया कुमारी राजपूत चेहरा हैं. यहां 9 प्रतिशत राजपूत हैं, जिनका 50 से 60 सीटों पर प्रभाव है. प्रदेश में तकरीबन 18% अनुसूचित जाति की आबादी है. इसीलिए पार्टी ने इस वोट बैंक को साधने के लिए प्रेमचंद्र बैरवा को डिप्टी सीएम के तौर पर चुना है. इस लिहाज से देखें तो यहां सीएम और डिप्टी सीएम के नए चेहरों से भाजपा ने 34 प्रतिशत वोट बैंक को साधने की कोशिश की है.
मध्य प्रदेश का ये है गणित
राजस्थान से पहले मध्य प्रदेश मे भी भाजपा ने वोट बैंक का संतुलन बनाने की कोशिश की है. यहां तकरीबन 50 प्रतिशत ओबीसी वोटर हैं. इनमें अकेले 10 प्रतिशत यादव वोटर हैं. इसीलिए पार्टी ने यहां मोहन यादव को चुना है. प्रदेश में ब्राह्मण आबादी भी बहुत है यहां ब्राह्मण समाज के तकरीबन 14 प्रतिशत वोटर हैं, इन्हें बांधने के लिए डिप्टी सीएम के तौर पर राजेंद्र शुक्ला को प्रोजेक्ट किया गया है.
मध्य प्रदेश में ओबीसी के बाद सबसे ज्यादा 22 प्रतिशत संख्या दलित वोटरों की हैं, इन्हें लुभाने के लिए ही पार्टी ने दूसरे डिप्टी सीएम के तौर पर जगदीश देवड़ा का नाम घोषित किया है. यदि इन्हें मिला दिया जाए तो 46% वोट बैंक बनता है. माना जा रहा है कि भाजपा ने इसी वोट बैंक को अपनी ओर करने के लिए मध्य प्रदेश में ये गणित बैठाया है.
भाजपा का मिशन 2024
यदि आम चुनाव की बात करें तो देश भर में तकरीबन 9 प्रतिशत यानी 10 करोड़ आदिवासी वोटर हैं. विष्णु देव को छत्तीसगढ़ में सीएम फेस प्रोजेक्ट करने से पहले निश्चित तौर पर पार्टी ने ये गुणा गणित जरूर लगाया होगा, ताकि आम चुनाव में आदिवासी वोटरों का सीधा साथ मिले. ये इसलिए भी खास है, क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा को गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्यप्रदेश में आदिवासी वोट कम मिले थे. इसके बाद ही संघ परिवार ने जनजाति समुदायों के बीच जाकर काम शुरू किया था.
सवर्ण वोट बैंक पर पकड़ बनाने की कोशिश
आदिवासी समुदाय के साथ ही भाजपा ने सवर्ण वोट बैंक पर भी पकड़ बनाने की कोशिश की है. राजस्थान के सीएम भजन लाल शर्मा इसी कोशिश का परिणाम माने जा रहे हैं. दरअसल भाजपा ने तीनों ही राज्यों में सीएम और डिप्टी सीएम के नए चेहरे घोषित कर ये संदेश देने का प्रयास किया है कि वह सबका साथ सबका विकास के फार्मूले पर चल रही है. उत्तर भारत में सवर्ण वोट बैंक का खासा वर्चस्व है. इसीलिए भजन लाल के बहाने पार्टी ने यूपी के 10 प्रतिशत ब्राह्मण, बिहार के 4 प्रतिशत, राजस्थान के 7 प्रतिशत और मध्य प्रदेश और हरियाणा के क्रमश: 14 और 12 प्रतिशत ब्राह्मणों को साधने की कोशिश की है.
ओबीसी वोट बैंक को लुभाने का प्रयास
आदिवासी और ब्राह्मण वोट बैंक के साथ भाजपा की नजर ओबीसी वोट बैंक पर भी है. इसीलिए एमपी में मोहन यादव के बहाने पार्टी ने मध्य प्रदेश के 10 प्रतिशत यादव वोट बैंक को तो साधा ही. यूपी के 10 प्रतिशत, बिहार के 14 प्रतिशत और हरियाणा के 16 प्रतिशत यादवों को भी साधने की कोशिश की. दूसरे तरीके से देखा तो जाए इन प्रदेशों की तकरीबन 159 सीटों पर यादव वोट बैंक काफी अहम है. पिछले चुनाव में भाजपा ने इनमें से 142 सीटों पर कब्जा जमाया था. भाजपा 2024 में भी इन सीटों को किसी भी हाल में खोना नहीं चाहती. इसके अलावा भाजपा की नजर यूपी के 70 प्रतिशत यादव वोट बैंक में सेंध लगाने की भी है जो पिछले चुनाव में सपा के साथ गया था. बिहार के यादव वोट बैंक को लेकर भी भाजपा का यही प्लान है.
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