लखनऊ (Lucknow) । यूपी (UP) की 80 सीटें जीतने का लक्ष्य लेकर चल रही भाजपा (BJP) की निगाहें 2019 में हारी हुई सीटों पर जमीं हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) के दौरे भी इसी लक्ष्य को ध्यान में रखकर लगाए गए हैं। शाह आगामी 29 जून को बिजनौर से पश्चिमी यूपी की आधा दर्जन हारी हुई सीटों को साधेंगे। मुरादाबाद मंडल की इन सीटों में बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, अमरोहा और नगीना (सुरक्षित) सीट शामिल है।
यूं तो भाजपा गठबंधन ने 2019 में यूपी की 80 में से 64 सीटें जीती थीं। उपचुनावों में रामपुर और आजमगढ़ की जीत के साथ यह संख्या 66 हो गई। मगर अभी भी भाजपा के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द पश्चिमी यूपी के मुरादाबाद मंडल की यह आधा दर्जन सीटें ही हैं। रामपुर भले ही पार्टी ने उपचुनाव में जीत ली हो लेकिन भाजपा के आंतरिक सर्वे में इसे अभी भी रेड जोन में ही रखा गया है।
सामाजिक ताना-बाना दुरुस्त करने की चुनौती
इस इलाके का सामाजिक ताना-बाना भाजपा के लिए बहुत मुफीद नहीं है। यहां मुस्लिमों, दलितों और यादवों के अलावा जाटों को साधे रखना भी पार्टी के लिए चुनौती है। मुरादाबाद में अकेले मुस्लिम आबादी ही करीब 45 फीसदी है। भाजपा सिर्फ एक विधानसभा सीट ही जीत सकी थी। बिजनौर और अमरोहा लोकसभा सीटें जाट राजनीति के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं। बिजनौर लोकसभा की पांच में से तीन और अमरोहा की पांच में से दो विधानसभा सीटों पर रालोद और सपा गठबंधन का कब्जा है।
नगीना से लड़ सकते हैं चंद्रशेखर
मुरादाबाद मंडल की नगीना सुरक्षित सीट भी मुस्लिम बाहुल्य है। वर्ष 2014 में यह सीट भाजपा ने जीती थी, मगर 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में नीले खेमे ने इसे भाजपा से छीन लिया था। इस बार चंद्रशेखर नगीना सहित आसपास के इलाके में भाजपा के लिए नया सिरदर्द बनकर उभर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो वे नगीना सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे हैं।
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