लखनऊ: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) 2024 का महासमर शुरू हो चुका है. पहले और दूसरे चरण के नोटिफिकेशन के बीच बीजेपी (BJP) के नेतृत्व वाले एनडीए (NDA) का दावा क्लीन स्वीप का है. उधर, 2014 के बाद 2019 में बुरी तरह मार खा चुके सपा, बसपा, कांग्रेस (Congress) समेत अन्य क्षेत्रीय दल अपने अस्तित्व बचाने के लिए पूरी ताकत के साथ जुट गए हैं. बीजेपी ने 2019 में अकेले दम पर यूपी की 80 में से 62 सीटें जीतने में सफल रही थी. वहीं बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल को भी दो सीटें मिली थीं. ऐसे में पूरा विपक्ष महज 16 सीटों पर सिमट कर रह गया था.
इस बार चुनावी परिस्थिति कुछ बदली बदली सी है. आरएलडी के जयंत सिंह जो पिछले चुनाव में विपक्ष का हिस्सा थे, वो आज एनडीए में हैं. इसी प्रकार ओमप्रकाश राजभर की सुभासपा भी पिछले चुनाव में सपा के साथ गठबंधन में थी, लेकिन वो भी अब बीजेपी के साथ गलबहियां कर रही है. अपना दल (सोनेलाल) पहले से ही एनडीए गठबंधन का हिस्सा है. इन समीकरणों के आधार पर एनडीए गठबंधन का दावा है कि इस बार उत्तर प्रदेश में विपक्ष का क्लीन स्वीप होगा. उधर, विपक्ष भी अपनी गणित सेट करने में जुटा है.
पीछे छूट गए चुनावी मुद्दे
फिलहाल उत्तर प्रदेश में बसपा को छोड़ कर पूरा विपक्ष एक छतरी के नीचे है. इनके बीच सीटों का बंटवारा भी हो गया है. बसपा को परंपरागत वोटबैंक से काफी उम्मीदें हैं. वहीं सपा भी अपने महागठबंधन के सहयोगियों के दम पर बीजेपी को टक्कर देने के लिए मैदान में उतर चुका है. बावजूद इसके, पूरे प्रदेश में इस चुनावी शोर के बीच कहीं भी जमीनी मुद्दे नजर नहीं आ रहे हैं. विपक्ष जहां कानून व्यवस्था को लेकर एनडीए गठबंधन को घेरने की कोशिश कर रहा है, वहीं यूपी के मुख्यमंत्री इसी कानून व्यवस्था के दम पर ताल ठोक रहे हैं.
महंगाई और रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा
पिछले दिनों किसानों के मुद्दे काफी गर्म रहे, लेकिन चुनावी विसात पर इस मुद्दे को लेकर विपक्ष में चुप्पी है. उधर, एनडीए गठबंधन किसानों को 6 हजार रुपये सालाना देकर दावा कर रहा है कि उनकी आय बढ़ी है. उत्तर प्रदेश में पूरब से लेकर पश्चिम तक आज भी सबसे बड़ मुद्दा महंगाई और रोजगार है. इन्हीं मुद्दों पर 2014 में एनडीए सरकार सत्ता में भी आई थी. हालांकि 2024 के चुनाव में इन दोनों मुद्दों पर भी कोई चर्चा नहीं हो रही. रोजगार के मामले में तो एनडीए की ओर से दावा किया जा रहा है कि पहले युवा नौकरी खोजते थे, लेकिन अब वह नौकरी पैदा करने वाले हो गए है. यह अलग बात है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए आज भी पलायन बड़ी मजबूरी है.
राम मंदिर और राष्ट्रवाद का दम
इस चुनाव में एनडीए गठबंधन का सबसे बड़ा मुद्दा भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई और राम मंदिर के साथ राष्ट्रवाद है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन्हीं मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में फौज की भर्तियों को लेकर मुद्दा थोड़ा गर्म होने की कोशिश तो कर रहा था, लेकिन केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निवीर योजना में संशोधन का भरोसा देकर इस मुद्दे की भी हवा निकालने की पूरी कोशिश की है. चूंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव सभी 7 चरणों में होने हैं. ऐसे में वास्तविक स्थिति तो अब मतगणना के बाद ही आएगी.
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