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    झारखंड में BJP ने बगावत की आग को बुझाया, रूठे साथियों को शिवराज-हिमंता ने मनाया

  • November 01, 2024

    डेस्क: झारखंड की 81 सीटों पर दो चरणों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं लेकिन इससे पहले पार्टियों में अदला बदली का दौर जारी है. कई पार्टियों के नेता अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी का दामन थाम रहे हैं. चुनाव के दोनों चरणों को लेकर नामांकन खत्म हो गया है, हालांकि इस चुनाव में कई ऐसे मौके आए, जहां बड़ी संख्या में टिकट नहीं मिलने से पार्टी के नेता बागी हो गए और कुछ ने निर्दलीय तो कुछ ने दूसरे दलों का दामन थाम लिया और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ ही चुनावी ताल ठोकने की तैयारी कर ली. हालांकि मौके की नजाकत को देखते हुए , पार्टी के शीर्ष नेताओं ने रूठे हुए साथियों को मनाने और डैमेज कंट्रोल के लिए एक टास्क फोर्स का गठन किया था.

    टास्क फोर्स को मुख्य रूप से केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, जो झारखंड बीजेपी के विधानसभा चुनाव के प्रभारी हैं. उनके साथ-साथ, असम के मुख्यमंत्री, जो झारखंड बीजेपी के विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी है. इसके साथ ही पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी, राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश समिति कई मंजे हुए खिलाड़ियों को इस कार्य में लगाया था. ऐसे में देखा जाए तो बीजेपी अपने नाराज साथियों को मनाने में काफी सफल रही. हालांकि एक दो जगह बीजेपी को नुकसान हुआ है और पूर्व मंत्री लुईस मरांडी लाख कोशिशों के बावजूद नहीं मानी और उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम लिया और झारखंड मुक्ति मोर्चा ने उन्हें भाजपा के खिलाफ ही जामा से उम्मीदवार भी बना दिया है.

    हालांकि जिन रूठे हुए साथियों को मनाने में बीजेपी सफल रही ऐसे नेताओं की संख्या दर्जनों में है लेकिन कुछ प्रमुख नाम की बात करें तो सबसे पहले पूर्व सांसद रवींद्र राय का नाम आता है, ऐसा माना जा रहा था कि उन्हें पार्टी की ओर से विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी नहीं बनाए जाने से वह नाराज हैं. मीडिया में कई खबरें आईं कि वह भारतीय जनता पार्टी छोड़कर किसी दूसरे राजनीतिक दल की सदस्यता ले लेंगे. हालांकि उन्होंने सोशल मीडिया पर आकर इन बातों का खंडन किया था. अब बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने पूर्व सांसद रविंद्र राय को झारखंड बीजेपी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया है और कहा जा सकता है कि एक तरफ से डैमेज कंट्रोल कर लिया.


    अगला नाम मेनका सरदार आता है. भारतीय जनता पार्टी की पोटका विधानसभा की दिग्गज नेत्री और तीन बार से भारतीय जनता पार्टी की विधायक रहीं मेनका सरदार पोटका से पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को भाजपा प्रत्याशी बनाए जाने से काफी नाराज थीं. उन्होंने पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया था. हालांकि बाद में डैमेज कंट्रोल पॉलिसी के तहत मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद मेनका सरदार को मनाने में जुट गए. इस काम में पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी लगे हुए थे और आखिरकार बीजेपी सफल रही और मेनका सरदार ने पार्टी को दिया अपना इस्तीफा वापस ले लिया. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को अपना समर्थन देने की बात कही.

    तीसरा नाम सत्यानंद झा बाटुल का आता है. पूर्व मंत्री सत्यानंद झा बाटुल नाला विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, हालांकि बीजेपी से उन्हें टिकट नहीं मिला. इससे नाराज होकर उन्होंने पार्टी से किनारा करते हुए निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया. राजनीतिक रूप से एक बड़ा चेहरा होने के चलते भारतीय जनता पार्टी ने संभावित नुकसान को देखते हुए सत्यानंद झा बाटुल को मनाने के लिए असम के मुख्यमंत्री और झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी हिमंता बिस्वा सरमा को लगाया. हिमंता बिस्वा सरमा सत्यानंद झा बाटुल को मनाने के लिए उनके आवास पर पहुंचे. घंटो तक दोनों नेताओं के बीच बंद कमरे में बात हुई. वह लगातार सत्यानंद झा को मनाने में नेता जुटे रहे, हालांकि सत्यानंद झा बाटुल ने कहा कि वह अपने कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करने के बाद फैसला लेंगे. अब आशंका जताई जा रही है कि बाटुल भी मान जाएंगे.

    झारखंड के गुमला विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता मिसिर कुजूर ने टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय पर्चा भर दिया था. इसके बाद हिमंता बिश्व सरमा राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश समेत कई नेता मिसिर कुजूर को मनाने गुमला पहुंचे थे. उनके अलावा झारखंड बीजेपी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष कमलेश राम ने कांके विधानसभा सीट से टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर निर्दलीय नामांकन पर्चा दाखिल कर दिया था. पार्टी ने कांके विधानसभा सीट से नुकसान को भांपते हुए. कमलेश राम को मनाने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा को लगाया गया. आखिरकार कमलेश राम मान गए और उन्होंने अपना नामांकन वापस ले लिया.

    लगातार सातवीं बार भारतीय जनता पार्टी के टिकट से विधानसभा मैदान में उतरे विधायक सीपी सिंह के चुनावी रथ को रोकने के लिए भारतीय जनता पार्टी के ही 2 दिग्गज नेता बागी हो गए. इसके बाद मुनचुन राय और संदीप वर्मा दोनों ने नामांकन दाखिल कर दिया. हालांकि दोनों नेताओं को मनाने में भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता सफल रहे और दोनों ने अपना-अपना नामांकन वापस ले लिया.

    मधुपुर विधानसभा सीट से विधायक रहे राज पलिवार का टिकट कटने से वह नाराज हो गए. पार्टी ने राज पलिवार के जगह गंगा नारायण सिंह को मधुपुर से बीजेपी का प्रत्याशी बनाया है. राज पलिवार को मनाने के लिए भाजपा के झारखंड के संगठन प्रभारी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी को लगाया गया था. दर्जनों नाराज नेताओं को भारतीय जनता पार्टी मनाने में सफल रही लेकिन आधा दर्जन से ज्यादा ऐसे नेता भी रहे जो पार्टी से बगावत कर भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ चुनावी मैदान में ताल ठोकते दिखेंगे, जिनमें प्रमुख नाम पूर्व मंत्री लुईस मरांडी , सरायकेला से प्रत्याशी गणेश महली , जमुआ से विधायक केदार हाजरा , बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल सारंगी सहित कई अन्य नेता शामिल हैं.

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