नई दिल्ली(New Delhi) । लोकसभा चुनाव(New Delhi) के अंतिम चरण (last stage)के मतदान में अब महज 48 घंटे बाकी हैं। मगर सियासी समीकरण (Political equation)दुरुस्त करने को भाजपा (B J P)आखिरी समय तक सेंधमारी में जुटी (engaged in burglary)है। मुलायम की जयकार से राजनीति शुरू करने वाले नारद राय की नई पहचान बुधवार को मोदी का परिवार हो गई। उन्होंने एक्स पर अपने अकाउंट को अपडेट कर दिया। पूर्व विधायक राम इकबाल भी फिर भाजपाई हो गए। चुनावी समीकरणों की खातिर ही भाजपा ने बीते दिनों पूर्व एमएलसी यशवंत सिंह का निष्कासन भी रद्द कर दिया था। सीटवार समीकरणों के लिहाज से भी पार्टी ने कई सियासी ऑपरेशन किए हैं।
सपा के बागी विधायकों का भी किया उपयोग
भाजपा के दावे को सही मानें तो अब तक जिलों से लेकर क्षेत्र और प्रदेश स्तर पर 70 हजार से अधिक लोगों को पार्टी ज्वाइन कराई जा चुकी है। दरअसल भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिहाज से सियासी गोटियां बिठाना बहुत पहले शुरू कर दिया था। राज्यसभा चुनाव में साथ आए सपा के बागी विधायकों का उपयोग भी भाजपा ने लोकसभा चुनाव में भरपूर किया है। फिर चाहे वो राकेश प्रताप हों या महाराजी प्रजापति, अभय सिंह हों या मनोज पांडे, सभी को अपने इलाके में बिरादरी व समर्थकों का रुख भाजपा की ओर मोड़ने के काम में लगाया गया।
जाति साधने को नारद अंसारी बंधुओं पर हमलावर
भाजपा ने एक-एक लोकसभा सीट को केंद्र में रखकर रणनीति बनाई। यशवंत सिंह की वापसी घोसी सीट को ध्यान में रखते हुए कराई गई जबकि नारद राय और राम इकबाल सिंह के जरिए बलिया को साधने की तैयारी है। नारद ने बुधवार को गृहमंत्री अमित शाह के मंच पर भगवा पटका पहन लिया। नारद राय ने जिस तरीके से अंसारी बंधुओं पर हमला बोला है, उससे साफ है कि उनके जरिए गाजीपुर, घोसी से लेकर वाराणसी तक भूमिहार वोटरों को संदेश देने का प्रयास किया जा रहा है। नारद राय के नाम से बने एक्स अकाउंट पर कृष्णानंद राय और अवधेश राय की तस्वीर के साथ इसे लेकर पोस्ट भी डाली गई।
एक-एक सीट पर चला ऑपरेशन
जौनपुर सीट पर बसपा प्रत्याशी श्रीकला का चुनाव मैदान से हटना और फिर पति धनंजय सिंह के साथ भाजपा के प्रचार में जुटना भी, भाजपा की सियासी इंजीनियरिंग का ही हिस्सा था। बस्ती में हरीश द्विवेदी की सीट पर भी रोचक चुनावी मुकाबला दिख रहा था। इस सीट पर समीकरण दुरुस्त करने को भाजपा ने सपा सरकार में मंत्री रहे राजकिशोर सिंह और उनके भाई बृजकिशोर सिंह डिंपल को शामिल कराया गया। इस सीट पर भी बसपा ने अंतिम समय पर अपना प्रत्याशी बदला था। इटावा हो या एटा, हर जगह उलझे समीकरण सुलझाने को भाजपा ने दूसरे दलों खासतौर पर सपा को झटके दिए। इटावा में पूर्व सांसद और मौजूदा जिला पंचायत अध्यक्ष प्रेमदास कठेरिया, पूर्व मंत्री केसी पांडेय व साधना मिश्रा को पार्टी में शामिल कराया गया तो एटा में पूर्व सांसद देवेंद्र सिंह यादव भाजपाई हो गए। भाजपा का यह ऑपरेशन सिर्फ बड़े चेहरों तक ही सीमित नहीं रहा। छोटे स्तर पर भी प्रभावशाली चेहरों को लेकर पार्टी ने बड़े पैमाने पर यह मुहिम चलाई।
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