मुंबई: जिस तरह से एकनाथ शिंदे और शिंदे गुट के नेताओं पर पहले ईडी की कार्रवाई और जेल भेजने का डर बैठाया गया, उसी तरह का प्रयोग एनसीपी के नेताओं पर भी शुरू है. यह बयान आज (13 अप्रैल, गुरुवार) संजय राउत ने मीडिया संवाद में दिया. इस बयान में भविष्य की राजनीति का अनुमान छुपा है. इसके संदर्भों के डॉट्स को बस कनेक्ट करने की जरूरत है. कल सोशल एक्टिविस्ट अंजलि दमानिया ने अपने ट्वीट में लिखा था कि जल्दी ही अजित पवार बीजेपी के साथ मिल सकते हैं.
अंजलि दमानिया ने कहा था कि वे किसी काम से मंत्रालय (सचिवालय) गईं थीं तो वहां उन्हें एक अधिकारी ने यह जानकारी दी कि शिंदे गुट के 15-16 विधायक अयोग्य साबित हो जाएंगे और शिंदे सरकार मुश्किलों में घिर जाएगी. इसके बाद अजित पवार एक बार फिर बीजेपी के साथ मिल कर सरकार बनाएंगे. अंजलि दमानिया ने बात करते हुए तर्क दिया था कि महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला मामले में ईडी ने जो चार्जशीट दायर की है उसमें अजित पवार और सुनेत्रा पवार का नाम नहीं है. यानी जरूर कोई सांठ-गांठ हुई है, तभी उन्हें बख्श दिया गया है.
महाविकास आघाड़ी में फूट के संकेत, संजय राउत का क्या है टेक?
अंजलि दमानिया के इस दावे के बाद भविष्य में बीजेपी और एनसीपी के गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चाएं शुरू हो गईं. अगर ऐसा होगा तो जाहिर सी बात है कि महाविकास आघाड़ी टूट जाएगी.ऐसे में जाहिर सी बात है कि ठाकरे गुट की ओर से रिएक्शन आना ही था. संजय राउत ने आज एकनाथ शिंदे और अजित पवार में फर्क के संदर्भ में कहा कि शरीर बाघ का और कलेजा चूहे का, यह शिवसेना की परिभाषा नहीं हो सकती.
‘शिंदे मातोश्री आकर रोए और कहा बीजेपी के साथ चलो, वरना जेल में डालेंगे’
संजय राउत ने आगे कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज की दाढ़ी में शौर्य था. इनकी (एकनाथ शिंदे) अगर दाढ़ी है तो उसका शौर्य दिखाई देना चाहिए. लेकिन वे ईडी से घबरा गए. जो लोग भी गए उन पर ईडी की कार्रवाई शुरू थी. वही प्रयोग आज बीजेपी एनसीपी के नेताओं के साथ कर रही है. साथ ही कल शाम को संजय राउत ने यह भी कह दिया था कि अजित पवार को जितना वे जानते हैं, उसके मुताबिक वे एकनाथ शिंदे की तरह नहीं हैं. अजित पवार बीजेपी की गुलामी करने को तैयार नहीं होंगे. हालांकि संजय राउत यह कहते वक्त भूल गए कि अजित पवार सुबह-सुबह2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ शपथग्रहण कर चुके हैं. यह अलग बात है कि 72 घंटे बाद वे पलट गए और महाविकास आघाड़ी की सरकार में डिप्टी सीएम बने.
आदित्य ठाकरे के बयान के संदर्भ में संजय राउत ने जताया यह अनुमान
संजय राउत ये बातें आदित्य ठाकरे के कल हैदराबाद दौरे में किए गए उस खुलासे के संदर्भ में कहीं जिसमें आदित्य ने कहा था कि एकनाथ शिंदे बगावत करने से पहले मातोश्री (ठाकरे परिवार का निजी निवास) में आकर रोए थे और कहा था कि अगर बीजेपी के साथ नहीं गए तो केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर बीजेपी उन्हें जेल में डालेगी. संजय राउत का कहना है कि शिंदे गुट तो कमजोर पड़ गया लेकिन अजित पवार या एनसीपी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे.
संजय राउत की BYTE से निकलती है यह INSIGHT
संजय राउत ने कल से लेकर आज तक जो भी बयान दिए हैं उससे यह तो संकेत बाहर आ ही रहा है कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी और बीजेपी के बीच कुछ ना कुछ को पक रहा है. वरना यूं ही तो नहीं है कि अजित पवार ने विपक्ष की लाइन से अलग जाकर ईवीएम के मुद्दे पर साफ कहा कि हारे हुए लोग ईवीएम पर सवाल उठाते हैं. साथ ही अजित पवार और शरद पवार अडानी, प्रधानमंत्री की डिग्री के मुद्दे पर भी बीजेपी की लाइन पर बयान देते हैं. जबकि ठाकरे गुट इन तीनों ही मुद्दों पर राहुल गांधी और कांग्रेस के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं. शरद पवार ने सावरकर के मुद्दे पर भी राहुल गांधी की क्लास लगा दी थी और कहा था कि वे सावरकर पर बयान देने से बचें.
राउत के बयान ने इस बात पर मुहर लगाई कि महाविकास आघाड़ी में बढ़ रही खाई
इसके अलावा महाविकास आघाड़ी में फूट का सबसे बड़ा संकेत परसों रात भी दिखाई दिया जब उद्धव ठाकरे संजय राउत के साथ शरद पवार से मिलने उनके सिल्वर ओक निवास पर पहुंचे. इससे पहले शरद पवार ने एक न्यूज चैनल को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था कि उद्धव ठाकरे ने सीएम के पद से इस्तीफा देते वक्त सहयोगी पार्टियों को बताया तक नहीं. उद्धव ठाकरे सिर्फ अपनी पार्टी के दम पर सीएम नहीं बने थे, उन्हें सीएम बनाने में कांग्रेस और एनसीपी का भी योगदान था. इसके बाद शरद पवार ने यह स्वीकार किया कि महाविकास आघाड़ी में वैचारिक मत-मतांतर है, लेकिन सब मिलजुलकर इसे भुलाकर एक होकर काम करें.
पवार-पटोले बयानबाजी से भी बात सामने आई कि NCP-Congress में दूरियां आईं
यह भी सिर्फ संयोग ही नहीं है कि कल अजित पवार ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के खिलाफ यह बयान दिया. नाना पटोले ने वर्धा बाजार समिति (एपीएमसी) चुनाव को लेकर कांग्रेस को हराने के लिए बीजेपी और एनसीपी में चल रहे सहयोग और सामंजस्य का संदर्भ लेकर कहा था कि बीजेपी की नीति किसान विरोधी है. अगर एनसीपी बीजेपी का सहयोग करती है तो वो भी किसान विरोधी समझी जाएगी. अजित पवार ने इस पर मीडिया में बयानबाजी करने के लिए नाना पटोले को लताड़ा था.
मुंबई से दिल्ली तक है हलचल, महाविकास आघाड़ी में क्या रहा है चल?
नाना पटोले कल हफ्ते में दूसरी बार दिल्ली बुलाए गए. उनसे इस बारे में जरूर बात की गई होगी. उनसे यह भी पूछा गया होगा कि आखिर उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच हुई मुलाकात में क्या बातें हुईं? यानी मुंबई से लेकर दिल्ली तक हलचल है. कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल अगले हफ्ते शरद पवार और उद्धव ठाकरे से मिलने मुंबई आ रहे हैं. यानी कुछ बड़ा होने वाला है. इस बीच यह भी बताते चलें कि इससे पहले ही शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का मुंबई दौरा होने वाला है. लगता, अब बीएमसी और अन्य बड़े महानगरपालिकाओं के चुनाव का ऐलान होने वाला है.
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