नई दिल्ली: हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी का गठबंधन टूटने की खबरें लगातार चर्चाओं में बनी हुई हैं. मीडिया रिपोर्टस की मानें तो बीजेपी अकेले जेजेपी के गठबंधन से किनारा कर अकेले चुनाव लड़ना चाह रही है. इसकी एक बड़ी वजह ये भी है कि बीजेपी को लगता है इस बार फिर लोकसभा चुनावों में ‘मोदी मैजिक’ चलने वाला है. हरियाणा हिंदी बेल्ट होने की वजह से यहां मोदी मैजिक ज्यादा चलने की संभावना है. 2019 के चुनावों में भी बीजेपी ने पीएम मोदी के नाम से सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. ऐसे में एक बार फिर बीजेपी इसी फार्मूले को लेकर आगे बढ़ना चाहती है. जिसके लिए अब वो जेजेपी से गठबंधन तोड़कर अकेले 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ सकती है. क्योंकि बीजेपी नहीं चाहती कि मोदी के नाम का फायदा उसकी गठबंधन वाली पार्टी जेजेपी भी उठा पाए.
गठबंधन पर दिल्ली में मंथन
कुछ दिनइपहले इसे लेकर दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक बैठक बुलाई थी. शाह की सिरसा रैली के बाद यह बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब, प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और हरियाणा बीजेपी कोर ग्रुप के नेता शामिल हुए थे. करीब 2 घंटे तक चली इस बैठक में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को लेकर भी बातचीत की गई. बीजेपी का मानना है कि वो अगर जेजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी तो उसे विधानसभा चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है.
JJP को लेकर BJP का सख्त रुख
जेजेपी को लेकर अब बीजेपी का रुख सख्त माना जा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह है निर्दलीय विधायकों का समर्थन. अभी कुछ दिन पहले बीजेपी प्रदेश प्रभारी बिप्लब देब से 4 निर्दलीय विधायकों और एक हलोपा के संयोजक विधायक गोपाल कांडा ने मुलाकात की थी. उन्होंने सरकार को समर्थन देने की बात कही थी. जिससे अब बीजेपी को लगने लग गया है कि वो निर्दलीयों के सहयोग से भी सरकार को चला सकते है. बीजेपी को लगने लग गया है तो जेजेपी अगर साथ छोड़ती है तो भी उन्हें कोई नुकसान नहीं है. इसलिए अब गठबंधन को लेकर बीजेपी का रूख सख्त होता जा रहा है.
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