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भाजपा, विकास और भ्रम फैलाते आरोप

June 04, 2022

– शुभम वर्मा

कोरोना महामारी के बाद दुनिया मे कई देशों की अर्थव्यवस्था को गहरा आघात लगा है । भारत देश मे भी चूंकि तीन वर्ष तक सभी सरकारी संसाधन महामारी से लड़ने तथा नागरिकों की जान बचाने के लिए प्रयोग हो रहे थे, अतः कोरोना के तुरंत बाद अर्थव्यवस्था का तुरंत पटरी पर आ जाना संभव नहीं था । इसके अलावा यूक्रेन-रूस युद्ध के लंबा खिंचने से भी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पढ़ा है । इन सबके बाद भी यदि देखा जाये तो भारत सरकार ने स्वदेशी वेक्सीन का निर्माण करके तथा अच्छी तरह से वित्तीय प्रबंधन करके देश की अर्थव्यवस्था को संभाल लिया तथा उन हालातों मे नहीं जाने दिया जिनमे आज श्रीलंका जैसे पड़ोसी देश चले गए हैं । अभी हाल ही मे वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन जी ने पेट्रोल और डीज़ल के दामों में 9.5 और सात रुपए कटौती की है तथा उज्ज्वला योजना के नौ करोड़ से अधिक लाभार्थियों को 200 रुपये प्रति सिलेंडर (12 सिलेंडर तक) सब्सिडी दी है। इन सबके बाद भी देश का एक वर्ग ऐसा है जो हर हालत में भारत सरकार के खिलाफ ही लिखता एवं बोलता है, यहाँ तक की विदेशों में भी देश की सरकार एवं देश विरोधी बातें करने से नहीं चूकता है।

आज भी एक बड़े वर्ग ने भारत सरकार के खिलाफ यह भ्रम फैलाया हुआ है कि यह सरकार सिर्फ हिन्दू-मुस्लिम करके चुनाव जीत रही है एवं युवाओं के रोजगार, अर्थव्यवस्था एवं देश के विकास के लिए कुछ भी नहीं कर रही है। इसी विषय मे यदि सरकारी दस्तावेज़ खंगाले जाएँ एवं अपने आस-पास होते हुये कार्यों को देखा जाये तो तस्वीर कुछ और ही नज़र आती है । सरकार के कार्यों को जब आप खोजने लगते हैं तो पता चलता है की आज देशभर के 10 हज़ार से अधिक स्कूलों में अटल टिंकरिंग लैब चल रहे हैं। इनमें 75 लाख से अधिक बच्चे आधुनिक टेक्नॉलॉजी से रूबरू हो रहे हैं तथा इनोवेशन सीख रहे हैं। देश भर में बन रही ये अटल टिंकरिंग लैब एक प्रकार से स्टार्ट अप्स की नर्सरी के रूप में काम कर रही हैं। जब विद्यार्थी कॉलेज पहुंचे, तो उसके पास जो नया आइडिया होगा, उसको इंक्यूबेटकरने के लिए देश में 700 से अधिक अटल इंक्यूबेशन सेंटर तैयार हो चुके हैं।

सरकार ने स्टार्ट अप्स की एक और जरूरत को प्राथमिकता दी है। अर्थात जब स्टार्ट अप बन गया तो उनकी सर्विस एवंउनके प्रोडक्ट आसानी से बाज़ार में आए तथा सरकार के रूप में एक बड़ा खरीदार उनको मिले, इसके लिए भारत सरकार द्वारा GeMपोर्टल पर विशेष प्रावधान किया गया है । आज GeM पोर्टल पर 13 हज़ार से अधिक स्टार्टअप्स रजिस्टर हैं और इस पोर्टल पर स्टार्टअप्स ने साढ़े छह हज़ार करोड़ रुपए से अधिक का बिजनेस किया है। प्रधानमंत्री मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ एवं ‘स्टैंड अप-स्टार्ट अप’ जैसे कार्यक्रमों के कारण जो ‘हुरुन रिसर्च इंस्टीट्यूट’ ने हुरुन इंडिया फ्यूचर यूनिकॉर्न लिस्ट 2021 जारी की है, उसके अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा यूनिकॉर्न/स्टार्टअप इकोसिस्टम है। इसमें अमेरिका शीर्ष पर है जिसके बाद चीन दूसरे स्थान पर है। सूची के अनुसार वर्तमान में भारत में कुल 51 यूनीकॉर्न स्टार्टअप हैं । मध्यप्रदेश में अब तक 1937 स्टार्टअप को सरकार मान्यता दे चुकी है जिसमे से 45% स्टार्टअप महिलाओं के हैं ।

मध्यप्रदेश मे भी सरकार अपनी विभिन्न योजनाओं से हर वर्ग के युवा को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर कार्य कर रही है | इसमे मध्यप्रदेश, स्वरोजगार क्रांति योजना के तहत -मुख्यमंत्री ग्रामीण पथ-विक्रेता योजना में 20,000 विक्रेताओं को शिवराज सरकार ने 20 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम में 1200 हितग्राहियों को 31 करोड़ रुपये,शहरी आजीविका मिशन (व्यक्तिगत ऋण) में 178 हितग्रहियों को दो करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना में 65,329 हितग्राहियों को 370 करोड़ रुपये दिये हैं ।

इसके अतिरिक्त जनजातीय वर्ग के बच्चों को आईआईटी(जेईई), एम्स, एनडीए, क्लेट एग्जाम निकालने पर 50000 की प्रोत्साहन राशि एवं नीट, एनआईटी, एन.आई. एफ.टी, एफ.डी. डी. आई, आई.आई.एच. एम. पास होने वाले विद्यार्थियों को 25000 प्रोत्साहन राशि देने की घोषणा की है । ऐसे ही रोजगार दिवसों में 13.6 लाख से अधिक युवाओं को सरकार ने करीब 7.7 करोड़ रुपये के ऋण का किया वितरण किया है एवं मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के तहत 1815 युवाओं को 112 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया गया है ।

इसी के साथ बेरोजगारी को दूर करने तथा रोजगार बढ़ाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने बजट में बताया है कि 13 हजार नए टीचर्स की भर्ती की जाएगी । निजी क्षेत्र में 40 हजार से ज्यादा नौकरियां निकाली जाएंगी। पांच हजार से ज्यादा आरक्षक भर्ती किए जाएंगे । 40 से ज्यादा ब्लॉक में आईटीआई खुलेंगे। युवाओं के लिए सिंगरौली में इंजीनियरिंग कॉलेज भी खुलेगा । सरकार महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए स्व-सहायता समूह को नए क्षेत्रों से जोड़कर बैंक कर्ज दिलाएगी। भोपाल, इंदौर, जबलपुर में 217 इलैक्ट्रिक व्हीकल चार्जिंग स्टेशन बनेंगे। 11 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित होंगे, जिनसे 11 हजार से अधिक रोजगार मिलेगा । भोपाल में ग्लोबल स्किल पार्क, उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क, सागर, शाजापुर, शहडोल, उज्जैन में सोलर प्लांट शुरू किए जाएंगे, इनसे भी अधिक से अधिक रोजगार का निर्माण होगा।

केंद्र सरकार एवं मध्यप्रदेश की यह सिर्फ कुछ योजनाएँ हैं जो सरकार युवाओं को रोजगार देने तथा देश मे नया स्टार्टअप कल्चर शुरू करने के लिए चला रही है । ऐसी कई योजनाएँ देशभर मे चलने के बाद भी एक वर्ग बीजेपी सरकार पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाता रहता है तथा सरकार को विकास विरोधी बताने का प्रयास अंतरराष्ट्रीय स्तर तक करता है । अब यदि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संस्थानों की ही बात की जाए के वो भारत के विषय मे क्या राय देते हैं ? तब आंकड़े कुछ इस प्रकार के आते हैं । आज भारत G-20 देशों में ‘फ़ासटेस्ट ग्रौइंग इकॉनमी’है। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की है। आज भारत, स्मार्ट फोन डाटा उपभोक्ता के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर है। इंटरनेट उपयोगकर्ताके मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है। आज भारत, ग्लोबल रीटेल इंडेक्स में दूसरे पायदान पर खड़ा है।

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एनर्जी कंन्ज्यूमर देश है। दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कंन्ज्यूमर मार्केट भारत में है। भारत ने बीते वित्तीय वर्ष में 417 बिलियन डॉलर यानि 30 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का मर्केंडाइज एक्सपोर्ट करके नया रिकॉर्ड बनाया है। भारत आज अपने इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए जितना इन्वेस्टकर रहा है, उतना पहले कभी नहीं हुआ है। भारत का अभूतपूर्व जोर आज ईज़ ऑफ लिविंग पर भी है और ईज़ ऑफ डूइंग बिसनेस पर भी है। भारत आज कोरोना महामारी तथा यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संकटों के बाद भी दुनिया को राह दिखाने की राह पर खड़ा है तथा ना सिर्फ बीजेपी सरकार अच्छे निर्णय लेकर देश को समृद्ध बना रही है बल्कि दुनिया भी आज भारत की तरफ इस निगाह से देख रही है की भारत उन्हे भी कोई राता दिखाएगा ।

ऐसे समय मे सरकार विरोधी भ्रम एवं झूठ फैलाने से ना सिर्फ देश की साख को अंतरर्राष्ट्रीय बाज़ारों मे नुकसान पहुँचता है बल्कि युवाओं मे भी भ्रम एवं असंतोष फैलने से अराजकता की स्थिति देश मे फैलती है । अतः हर भारतीय को भारत के विषय मे फैलाये जा रहे भ्रमों को सीधे तौर पर मानने की जगह उन्हे तथ्यों की कसौटी पर तौलना चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके ।

(लेखक, नीतिगत विषयों के शोध अध्येता हैं ।)

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