कोलकाता: कहते हैं राजनीति और जंग में सब कुछ जायज है. राज्यों में सरकार बनाने या फिर चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन करने का सवाल हो तो एक दूसरे के लिए राजनीतिक द्वेष रखने वाले दलों को भी एक मंच पर आने में कोई गुरेज नहीं होता है.
ऐसी बानगी पश्चिम बंगाल में देखी जा रही है जहां पर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ भाजपा, कांग्रेस और सीपीएम ने हाथ मिला लिया है. यह सब हाल ही में आए पंचायत चुनावों के नतीजों के बाद गठित होने वाले ग्राम पंचायत बोर्ड में टीएमसी को रोकने के लिए किया जा रहा है.
जानकारी के मुताबिक भाजपा, सीपीएम और कांग्रेस के विजेताओं ने पश्चिम बंगाल में अपने वैचारिक मतभेदों को भुलाकर कम से कम 3 ग्राम पंचायतों में बोर्ड बनाने के लिए हाथ मिलाया है ताकि तृणमूल कांग्रेस को दूर रखा जा सके.
टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा और सीपीएम ने बुधवार को पूर्वी मिदनापुर जिले के महिषादल में संयुक्त रूप से ग्राम पंचायत बोर्ड का गठन किया है. बीजेपी और टीएमसी को 18 में से 8-8 सीटें मिली थीं, जबकि सीपीएम को 2 सीटें मिली थीं. भाजपा की शुभ्रा पांडा और सीपीएम के परेश पाणिग्रही क्रमशः प्रधान और उप-प्रधान चुने गए.
पंचायत बोर्ड के गठन को लेकर अमृत बेरिया में सुबह से तनाव की स्थिति थी. टीएमसी के महिषादल विधायक तिलक कुमार चक्रवर्ती ने सीपीएम पर तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ बीजेपी को मौन समर्थन देने का आरोप लगाया था. हालांकि, भाजपा और सीपीएम ने किसी भी समझौते से इनकार किया और कहा कि यह निर्णय स्थानीय मजबूरियों के कारण था.
सीपीएम पंचायत सदस्य बुलु प्रसाद जाना ने कहा कि ‘इंडिया’ गठबंधन राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का निर्णय है. लेकिन, मैंने स्थानीय लोगों की भावना का सम्मान करने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले पंचायत बोर्ड का समर्थन किया. भाजपा प्रवक्ता शमिक भट्टाचार्य ने कहा कि जमीनी स्तर पर समीकरण राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मौजूद समीकरणों से अलग हैं.
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