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    भाजपा सकते में…कम वोटिंग के कारण

  • July 08, 2022

    • नगर निगम चुनाव के बाद पहली बार हुई समीक्षा-मंत्री, सांसद, महापौर प्रत्याशी, विधायक और महामंत्री ने 8 घंटे की कागजी लिखा पढ़ी

    उज्जैन। कम वोटिंग के कारण भाजपा खेमे में हलचल है और इस संबंध में बैठक भी ली गई। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि आधा दर्जन से अधिक वार्डों में भाजपा प्रत्याशियों को बागियों से कड़ी टक्कर मिल रही थी एवं मतदान का प्रतिशत भी पिछली मतदान की तुलना में कम रहा। चुनावी प्रेक्षकों के अनुसार बड़ा चुनाव का प्रतिशत भाजपा के लिए फायदे का होता है। ऐसे में टिकिट बाँटने वाले सांसद, मंत्री विधायक के चेहरे पर चिंता की लकीरें उठना स्वाभाविक है… मुख्यमंत्री ने टिकिट वितरण के बाद साफ कह दिया था कि मुझे सभी अपने-अपने प्रत्याशी जितवाकर देना। इस बार नगर निगम चुनाव में वोटिंग प्रतिशत काफी कम रहा, इसके चलते भारतीय जनता पार्टी महापौर के मामले में थोड़ी आशंकित है।


    इसलिए कल सुबह 9 बजे से शहर के हर वार्ड के प्रत्याशी चुनाव संचालक और वार्ड चुनाव प्रभारी को तलब किया तथा इसे पूछताछ की। सभी प्रत्याशियों को बुलाकर बकायदा बैठक कक्ष में बैठाया गया और अंदर एक कमरे में कैबिनेट मंत्री डॉ. मोहन यादव, विधायक पारस जैन, महापौर प्रत्याशी मुकेश टटवाल, नगर अध्यक्ष विवेक जोशी और नगर के महामंत्री विशाल राजोरिया, संजय अग्रवाल, सत्यनारायण खोईवाल कक्ष के अंदर बैठे थे। इस कक्ष में एक-एक कर प्रत्याशियों को और चुनाव संचालकों को बुलाया जा रहा था और उनके वार्ड में वोटिंग का प्रतिशत तथा उनकी जीत का आधार पूछा जा रहा था और वार्ड में महापौर प्रत्याशी को कितने मत मिलेंगे यह प्रश्न भी पूछा गया। सुबह 9 बजे शुरू हुई यह बैठक शाम 5 बजे तक चली। दो से तीन नगर निगम चुनाव लड़ चुके प्रत्याशियों ने बताया कि आज तक नगर निगम चुनाव के बाद कभी समीक्षा नहीं होती है। पहली बार समीक्षा हो रही है। हालांकि बैठक के बाद भाजपा के पदाधिकारियों ने दावा किया है कि भाजपा को 28 से 29 सीट मिल रही है और महापौर भी उनके जीत रहे उधर कांग्रेस का भी दावा है कि उनकी भी 28 सीट हो रही है। अब यह तो मतगणना के दिन तय होगा कि किसे कितने वोट मिले हैं, जब तक ऐसे ही मंथन चलता रहेगा।

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