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    गुजरात पैटर्न पर आ गई भाजपा, संगठन के बाद अब टिकट में सर्जरी

  • March 29, 2023

    • नड्डा के दौरे के बाद कमजोर सीटों पर प्रत्याशी बदलने और संगठन को मजबूत करने में अगले महीने से जुटेगा संगठन

    इंदौर (Indore)। प्रदेश में गुजरात पैटर्न पर संगठन की सर्जरी करने की शुरुआत हो चुकी है। कुछ जिलाध्यक्षों को हटाने और प्रभारियों की नियुक्ति करने के बाद अब भाजपा कमजोर सीटों पर ध्यान देने जा रही है। इसमें भी गुजरात फॉर्मूला लागू किया जाएगा। दो दिन पहले भोपाल आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगतप्रकाश नड्डा द्वारा दिए गए निर्देश के बाद भोपाल के नेता हरकत में आ गए हैं और जल्द ही जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाकर काम सौंपने की तैयारी है।

    नए साल में ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कुछ जिलों के अध्यक्षों को बदल दिया था। कुछ को निष्क्रिय बताया गया था तो कुछ को संगठन में कोई दूसरा काम दे दिया गया। दरअसल गुजरात में भी पार्टी ने एक साल पहले से इस तरह की सर्जरी संगठन में शुरू कर दी और उसका फायदा भी मिला। वहीं बूथ विस्तारक अभियान का प्रथम चरण लगभग सफल होने के बाद अब दूसरा चरण शुरू किया गया है, जिसके तहत बूथ पर जाकर 51 प्रतिशत वोट बैंक बढ़ाने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। हालांकि 51 प्रतिशत वोट बैंक बढ़ाने का लक्ष्य पूरे देश में दिया गया है और इसी को लेकर भाजपा काम कर रही है, ताकि विधानसभा चुनाव के साथ-साथ अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में इसका फायदा मिले। प्रदेश में 31 मार्च को बूथ विस्तारक योजना-2 का समापन होना है।


    क्या है गुजरात पैटर्न
    भाजपा ने माइक्रो लेवल पर जाकर गुजरात विधानसभा चुनाव में काम किया था। इसके तहत भाजपा ने बूथ लेवल पर जाकर पन्ना प्रमुख का कान्सेप्ट तैयार किया और मतदाता सूची के हर पन्ने पर उस क्षेत्र में रहने वाले भाजपा कार्यकर्ता को उन परिवारों से संपर्क करने की जवाबदारी सौंपी। इसके साथ ही पेज, यानी पन्ने के एक हिस्से पर भी प्रभारी बनाए गए, जिसमें एक पेज पर 30 मतदाता होते हैं। यानी 30 मतदाताओं की जवाबदारी एक कार्यकर्ता को दी गई। इससे उनसे सीधे संपर्क हुआ और अब यह प्रयोग प्रदेश में लागू किया गया है।

    चुनाव लडऩे वाले अध्यक्षों को बदलेंगे
    पार्टी उन जिलों के अध्यक्षों को बदलने पर भी विचार कर रही है, जिन्हें चुनाव लडऩा है। इंदौर के शहर और जिलाध्यक्ष जाहिर तौर पर दावा तो नहीं कर रहे हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि इस बार विधानसभा चुनाव लड़ें। तुलसी सिलावट के लिए सीट छोडऩे वाले राजेश सोनकर भी दावेदारी कर रहे हैं तो गौरण रणदिवे भी 5 या राऊ से चुनाव लडऩा चाह रहे हैं। ऐसे ही कुछ और अध्यक्ष भी अपनी मंशा पार्टी के सामने जता चुके हैं।

    कमजोर सीटों पर विशेष ध्यान
    पार्टी ने एक सर्वे करवाया था, जिसमें अधिकांश ऐसी सीटें हैं, जिन पर भाजपा का कमजोर प्रदर्शन रहा है। इन सीटों पर बूथ विस्तारक के तहत पंच परमेश्वर और शक्ति केंद्र के माध्यम से पार्टी मतदाताओं तक पहुंचने का दावा कर रही है। प्रदेश में ऐसी 70 सीटें हैं, जहां इस बार ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को भी इन सीटों की जवाबदारी सौंपी गई है।

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