नई दिल्ली। कोरोना(Corona) के कारण उत्तर प्रदेश(Uttar Pradesh) से शारीरिक रूप से दूर रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) अब संभवत: हर महीने वहां मौजूद होंगे। जाहिर तौर पर इसे आगामी विधानसभा चुनाव (upcoming assembly elections) से भी जोड़कर देखा जाएगा। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) खुद अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी(Varanasi) समेत दूसरे क्षेत्रों के विकास कार्यो का जायजा लेंगे और कार्यकर्ताओं से मिलेंगे। वहीं, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा(BJP President JP Nadda), केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह(Union Home Minister Amit Shah) और संभवत: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह(Defense Minister Rajnath Singh) में से कोई न कोई हर पखवाड़े प्रदेश के दौरे पर होगा। संदेश साफ है कि आगामी चुनाव के लिए भाजपा ने कमर कस ली है।
पिछले महीने राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष और प्रदेश प्रभारी राधामोहन सिंह ने लखनऊ का दौरा कर मंत्रियों से फीडबैक लिया था। बताया जाता है कि वे दोनों संभवत: सोमवार को फिर से लखनऊ पहुंचेंगे और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ(Chief Minister Yogi Adityanath) व संगठन से चर्चा करके प्रधानमंत्री व दूसरे बड़े नेताओं के कार्यक्रम पर विचार करेंगे।
सूत्रों का कहना है कि पिछले चार-पांच महीनों में कोरोना के कारण बहुत गलतफहमियां फैलाई गईं। कुछ स्तर पर पार्टी नेताओं में भी निष्क्रियता रही। लेकिन वक्त आ गया है कि नेता निकलें भी और लोगों की सुनें भी। इसी खातिर कुछ दिन पहले प्रदेश के सभी मंत्रियों को निर्देश दिया गया था कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के हर ब्लाक का दौरा करें और प्रवास करें। एक दिन में दो से ज्यादा ब्लाक में न जाएं ताकि विस्तार से सभी की बातें सुनी जा सकें। उनकी शिकायतों को भी सुनें और तथ्यों के साथ उन्हें समझाएं कि क्या परेशानी थी। अगर गलती हुई तो उसे स्वीकार भी करें। उन्हें जुलाई तक दौरे पूरे करने को कहा गया है। सूत्रों की मानें तो जुलाई से प्रधानमंत्री मोदी समेत बड़े केंद्रीय नेता मैदान में उतर सकते हैं। बतौर मुख्यमंत्री जरूर योगी ही चेहरा हैं, लेकिन प्रधानमंत्री के प्रदेश दौरों से विश्वास बहाली में तेजी आएगी। उनके अधिकतर दौरे सरकारी ही होंगे और मुख्यत: समीक्षा से जुड़े होंगे, लेकिन इस बीच कार्यकर्ताओं से संवाद होता रहेगा। वैक्सीन जागरूकता को लेकर भी कार्यक्रम चलते रहेंगे। राजनीतिक रैली फिलहाल प्रस्तावित नहीं है। जबकि शाह और नड्डा के कार्यक्रम मुख्यत: संगठन से जुड़े होंगे। बताया यह भी जाता है कि हर सप्ताह किसी केंद्रीय मंत्री का भी उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में दौरा प्रस्तावित है। प्रदेश संगठन के साथ चर्चा करके इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।