पटना (Patna) । बिहार (Bihar) प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी (Samrat Chowdhary) ने कहा है कि नई पीढ़ी को आपातकाल (emergency) के बारे में बताना होगा वरना उन्हें पता ही नहीं चलेगा कि इस देश में क्या-क्या हुआ है। देश में ऐसी सरकार आई थी जिसने आपातकाल के माध्यम से लोगों का अधिकार छीन लिया था। उन्हें बोलने-लिखने तक के अधिकार से वंचित कर दिया गया था। सुशील मोदी (Sushil Modi) का कहना है कि देश पर इमरजेंसी थोपने वालों को जनता कभी माफ नहीं करेगी।
दरअसल विपक्षी एकता में शामिल सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस को कमजोर करने के लिए बीजेपी की यह नई रणनीति है। पार्टी लोगों को बताना चाहती है कि देश में जब कांग्रेस पार्टी की सरकार ने आपातकाल लगाया तो लालू यादव और नीतीश कुमार जैसे लोग केंद्र सरकार के विरोध में थे। ममता बनर्जी ने बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी एकता की बैठक कराने की बात कही क्योंकि देश में सत्ता परिवर्तन की बड़ी लड़ाई पटना से ही शुरु हुई। लेकिन आज एक दूसरे पर प्रहार करने वाले मोदी विरोध के नाम पर एकजुट दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। मतलब यह कि विपक्षी एकता की बात खोखली है। यह मतलबी लोगों का मिलन है जो जैसे तैसे सत्ता में आना चाहते है।
रविवार को विद्यापति भवन में आयोजित प्रबुद्ध सम्मेलन में प्रदेश अध्यक्ष ने आपातकाल के संघर्ष, आपातकाल के उस दौर और लोकतंत्र के मूल्यों पर अपनी बात रखी। इस दौरान उन सभी सत्याग्रहियों को नमन किया, जिन्होंने भीषण यातनाएं सहने के बाद भी आपातकाल का विरोध किया और लोकतांत्रिक मूल्यों की आस्था को संजोकर रखा। सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा की 1975 में इमरजेंसी के दौरान कांग्रेस ने लोगों के मौलिक अधिकार को छीना और लोकतंत्र को कुचला। आज भी आपातकाल देश के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज है। उन्होंने आपातकाल के समय के अपने संघर्षों को याद किया।
सुशील मोदी ने पटना में बयान जारी करके यह भी कहा कि कहा कि आज से 48 वर्ष पूर्व जिस कांग्रेस ने अपनी सत्ता बचाने के लिए देश में आपातकाल घोषित कर जेपी, चरण सिंह, अटलजी जैसे नेताओं और एक लाख से ज्यादा राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल में अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिया। प्रेस सेंसरशिप लगाया। बंगाल के पंचायत चुनाव में नामांकन के दौरान भाजपा व कांग्रेस के कार्यकर्ताओं पर तृणमूल कांग्रेस द्वारा जुल्म ढाया गया। कांग्रेस नेता अधीर रंजन को धरने पर बैठना पड़ा और केंद्रीय बलों की प्रतिनियुक्ति के लिए हाईकोर्ट जाना पड़ा परंतु विपक्षी एकता में शामिल दल के किसी नेता ने अभी तक बंगाल हिंसा की निंदा तक नहीं की है। देश में इमरजेंसी थोपने वाली कांग्रेस और उसका साथ देने वाले नेताओं को जनता माफ नहीं करेगी।
इधर पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी आपातकाल को कांग्रस सरकार की मनमानी बताते हुए कहा कि 25 जून 1975 को भारत में पहली बार इंटरनल इमरजेंसी लगाई गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा, सारे नागरिक अधिकार छीन लिए गए। जो बंद हुए उसके खिलाफ न कोई अपील, न कोई दलील, न कोई सुनवाई, न कोई कारवाई। समारोह में सुशील कुमार मोदी द्वारा लिखित पुस्तक ‘आपातकाल के वे खौफ भरे दिन’ का लोकार्पण भी हुआ।
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