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    BJP और TRS: कभी संसद तक में निभाते थे दोस्ती, अब कट्टर दुश्मनी में बदली

  • July 02, 2022


    हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने तकरीबन पांच साल पहले भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का जोरशोर से समर्थन किया था. केसीआर की पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को भी संसद में अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की पैरवी करते हुए अक्सर देखा जाता था. लेकिन अब उनके और भाजपा के बीच सूरत-ए-हाल इस कदर बदल गया है कि राव शनिवार को हैदराबाद में विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का स्वागत करने खुद एयरपोर्ट पहुंचे.

    चंद्रशेखर राव ने विपक्ष के साथ गठबंधन बनाने की कवायद में विभिन्न राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी का दौरा कर भाजपा के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर जंग छेड़ दी है. भाजपा ने भी राज्य में केसीआर को सत्ता से हटाने की अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं. राव 2014 से तेलंगाना की सत्ता में हैं. बीजेपी अपने मिशन तेलंगाना के तहत हैदराबाद में ही अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित कर रही है. इसमें पीएम मोदी खुद शामिल होंगे. बैठक के दौरान तेलंगाना के मुख्यमंत्री को सत्ता से बाहर करने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की संभावना है.


    दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के लिए हैदराबाद पहुंचे भाजपा के कुछ नेताओं ने केसीआर की तुलना शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से की और कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री का हश्र भी महाराष्ट्र के नेता जैसा होगा. भाजपा नेताओं का दावा है कि तेलंगाना में पार्टी की तरक्की ने टीआरएस को चिंता में डाल दिया है. आगे के हालात को भांपकर राव ‘हताश और नाराज’ हैं. वहीं, टीआरएस ने बीजेपी की इस बैठक को ‘सर्कस’ करार दिया, जहां देश से राजनीतिक ‘पर्यटक’ एकत्रित होंगे.

    कभी टीआरएस के भाजपा से मधुर संबंध हुआ करते थे लेकिन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 2019 में फिर से सत्ता में आने के बाद दोनों दलों के रिश्तों में धीरे-धीरे खटास आने लगी. तेलंगाना में चार लोकसभा सीटें जीतकर सबको हैरत में डालने के बाद भाजपा ने राज्य में विपक्ष की जगह भरने की कोशिश की. साथ ही, उसने विधानसभा उपचुनाव की दो अहम सीटों पर भी जीत दर्ज की. हैदराबाद नगर निगम चुनावों में भी अच्छा प्रदर्शन किया.

    भाजपा का बैठक के लिए हैदराबाद को चुनने का फैसला इस बात का स्पष्ट संकेत है कि पार्टी उन राज्यों में विस्तार करना चाहती है, जहां वह अपेक्षाकृत कमजोर है. इस मामले में तेलंगाना उसकी शीर्ष प्राथमिकता में है. केंद्र में 2014 में सत्ता में आने से बाद से यह चौथी बार है, जब पार्टी दिल्ली से बाहर राष्ट्रीय कार्यकारिणी की अहम बैठक कर रही है. इससे पहले 2017 में ओडिशा, 2016 में केरल और 2015 में बेंगलुरु में ऐसी बैठकें हुई थीं.

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