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    मणिपुर में BJP ने खत्म किया 30 साल पुराना शराबबंदी कानून, बिहार में उठने लगी मांग

  • December 08, 2023

    नई दिल्ली (New Delhi)। शराबबंदी (prohibition of alcohol) एक बहुत ही संवेदनशील विषय है। इस विषय पर कोई भी सरकार किसी तरह का फैसला लेने से पहले कई बार सोच-विचार करती है। टैक्स की दृष्टि (tax perspective) से यह सरकार के लिए कमाई का अहम जरिया है। वहीं, लोगों के लिए यह भावनात्मक मुद्दा है। तभी तो बिहार में नीतीश कुमार ने महिलाओं की मांग पर इसका ऐलान किया था। इस मुद्दे पर अब खूब राजनीति होती है। हालांकि, इस सबके बीच मणिपुर एक ऐसा राज्य है, जहां शराबबंदी कानून खत्म कर दिया गया है। इसके बाद बिहार में भी मांग उठने लगी है।

    मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार ने 30 साल से अधिक समय के बाद शराब पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। कैबिनेट ने राज्य का राजस्व बढ़ाने और जहरीली शराब की सप्लाई रोकने के लिए शराब नीति में सुधार किया है। मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने राज्य में 30 साल से अधिक के प्रतिबंध के बाद शराब के निर्माण, उत्पादन, कब्जे, निर्यात, आयात, परिवहन, खरीद, बिक्री और खपत को मंजूरी दे दी है।

    आपको बता दें कि इससे पहले सितंबर 2022 में शराबबंदी पर लगे प्रतिबंध को आंशिक रूप से हटा दिया गया था। जिला मुख्यालयों, न्यूनतम 20 बिस्तरों वाले होटलों में शराब की बिक्री और खपत के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर बनी देशी शराब के निर्यात की अनुमति दी गई थी।



    मणिपुर में जैसे ही शराबबंदी कानून को खत्म किया गया, बिहार में भी इसकी मांग होने लगी है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन अल्कोहलिक बेवरेज कंपनीज (सीआईएबीसी) ने एक बार फिर बिहार सरकार से मणिपुर सरकार के फैसले की तरह राज्य में शराब पर पूर्ण प्रतिबंध हटाने की अपील की है। सीआईएबीसी के महानिदेशक विनोद गिरी ने बुधवार को बयान जारी कर कहा कि तीन दशक से अधिक लंबे निषेध को समाप्त करके मणिपुर सरकार ने एक सकारात्मक कदम उठाया है। इससे न केवल वार्षिक कर राजस्व के रूप में 600-700 करोड़ रुपये की कमाई होगी, बल्कि अवैध शराब की बिक्री और नशीली दवाओं के प्रसार के खतरे से निपटने में भी मदद मिलेगी।

    इस मामले में बिहार के निषेध और उत्पाद शुल्क मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा सर्वसम्मति से पारित होने के बाद शराबबंदी राज्य सरकार का एक नीतिगत निर्णय था और इसे वापस नहीं लिया सकता है।

    मांझी का वादा- सरकार बनी तो हटाएंगे शरारबंदी कानून
    बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है। हालांकि, इसके बाद भी जहरीली शराब से मरने वालों के कई मामले सामने आते रहे हैं। इस बहाने नीतीश सरकार पर विपक्ष लगातार हमलावर रहता है। हाल ही में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन मांझी ने शराबबंदी को फेल बताया था। उन्होंने दावा किया था कि इस कानून के कारण जेल में बंद होने वाले लोगों में 80 फीसदी दलित समाज के लोग हैं।

    इसके साथ ही जीतनराम मांझी ने दावा किया था कि यदि हमारी सरकार आएगी तो गुजरात की तर्ज पर इस कानून को लागू करेंगे या इस कानून को पूरी तरह खत्म कर देंगे। उन्होंने कहा कि मद्य निषेध विभाग द्वारा कराए जा रहे सर्वेक्षण में फिर आएगा कि शराबबंदी सफल है। जातीय सर्वे की तरह ही यह भी झूठा होगा।

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