मुंबई। गीता दत्त 50 और 60 के दशक की मशहूर सिंगर थीं। उन्होंने अपने जीवन में ढेर सारे उतार-चढ़ाव देखे और इसका असर उनके करियर पर भी नजर आया। मगर इस बात में भी कोई दोराय नहीं है कि उन्होंने अपनी मधुर आवाज से देशभर के लोगों को मंत्रमुग्ध किया। यही वजह है कि 5 दशक बीत जाने के बाद भी उनके द्वारा गाए हुए गाने दर्शकों के जेहन में आज भी जिंदा हैं और दिलों में महफूज। गीता दत्त ने मशहूर एक्टर डायरेक्टर गुरु दत्त से शादी की थी। गीता के जन्मदिन पर आइए जानते हैं कैसे रहे गुरु दत्त संग उनके रिश्ते और उनके करियर के बारे में कुछ बातें।
गीता दत्त का जन्म 23 नवंबर, 1930 को हुआ था। उन्होंने अपने करियर के दौरान वक्त ने किया क्या हसीं सितम, मेरा सुंदर सपना बीत गया, तदबीर से बिगड़ी हुई तकदीर बना ले, हम आप की आंखों में, बाबूजी धीरे चलना, ठंडी हवा काली घटा, जाने कहां मेरा जिगर गया जी, मेरा नाम चिन चिन चू, मेरी जां मुझे जां ना कहो, कोई चुपके से आ के, जा जा जा बेवफा और घूंघट के पट खोल जैसे गाने गाए। गीता ने कुछ फिल्मों में एक्टिंग भी कीय़
गीता दत्त ने साल 1953 में गुरु दत्त से शादी की। शुरुआत में तो सब कुछ ठीक चल रहा था मगर उसके बाद धीरे-धीरे दोनों के रिश्तों में दरारें पड़नी शुरू हुई। दरअसल गुरु दत्त को वहिदा रहमान से प्यार हो गया और उनका झुकाव गीता दत्त की तरफ पहले जैसा नहीं रहा। सम्भलते-सम्भलते एक वक्त ऐसा आया जब दोनों के बीच अनबन शुरू हो गई। ये मनमुटाव जीवनभर चला और दोनों दिल से कभी एक नहीं हो सके।
ऐसा माना जाता है कि गुरु दत्त के निधन के बाद गीता दत्त गम में डूब गईं। वे शराब पीने लगीं और इसका असर साफ तौर पर उनके करियर पर पड़ा। लता और गीता ही 50 के दशक में बॉलीवुड की सबसे लोकप्रिय सिंगर थीं। मगर 60 के दशक का अंत आते-आते गीता दत्त का करियर ढलान की तरफ बढ़ने लगा। उन्हें फिल्मों में गाने का मौका तो मिलता मगर पारिवारिक समस्याओं की वजह से वे अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पा रही थीं। इस कारण फिल्मों में उनसे ज्यादा मौके आशा भोसले को मिलने लगे। गीता भी ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रहीं। उनकी आखरी फिल्म अनुभव थी। फिल्म में उनके द्वारा गाए सभी गाने सुपरहिट रहे थे। गानों में गीता का दर्द साफ नजर आया और दर्शकों का दिल छू गया।
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