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    जन्मदिन विशेषः मोदी क्यों हैं इतने भरोसेमंद ?

  • September 17, 2021

    – प्रभुनाथ शुक्ल

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता के भरोसेमंद नायक बन गए हैं। अब यह नारा हकीकत बन गया है कि ‘मोदी हैं तो मुमकिन है’। विश्व के राजनेताओं की ‘ग्लोबल रैंकिंग’ में भी मोदी ने अपना जलवा कायम कर रखा है। सवाल उठता है कि आखिर अवाम उन पर इतना अटूट भरोसा क्यों करता है। मोदी वैश्विक मंच पर सफल राजनेता क्यों हैं। क्या इसके पीछे हिंदुत्व की छवि काम करती है ? या उनके साहसिक निर्णय जो दूसरी सरकारें चाहकर भी समय रहते नहीं ले पायीं। संसद से लेकर सड़क तक विपक्ष की तमाम लामबंदी के बाद भी वह दुनिया और देश के सबसे भरोसेमंद राजनेता बने हैं।

    गुजरात का मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी पर गोधरा दंगे जैसा दाग लगा। फिर भी वह कैसे इतने लोकप्रिय राजनेता बन गए। देश की जनता उन पर अटूट भरोसा और विश्वास करती है। विकास का गुजरात मॉडल 2014 के लोकसभा चुनाव में जनता के सिर चढ़कर बोला। जिसका नतीजा रहा कि चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन गया। स्वाधीन भारत के राजनीतिक इतिहास में 50 साल से अधिक सत्ता पर काबिज रहने वाली कांग्रेस सत्ता से बेदखल हो गई। कांग्रेस को घमंड था कि उसकी सत्ता जाने वाली नहीं है, लेकिन अब उसका राजनीतिक इतिहास मिटने वाला है। क्योंकि उसने समय के साथ खुद को नहीं बदला। देश को भरोसे लायक नेतृत्व नहीं दिया।

    नरेंद्र मोदी का जन्म 17 सितंबर 1950 को गुजरात के वड़नगर में हुआ था। पिता का नाम दामोदरदास मूलचंद मोदी था। माता का नाम हीराबेन है। नरेंद्र मोदी पांच भाई-बहन हैं। वड़नगर रेलवे स्टेशन पर मोदी के पिता की चाय की दुकान थी। दुकान पर मोदी पिता का सहयोग करने के लिए जाया करते थे और रेलवे यात्रियों को चाय पिलाया करते थे। लोकसभा चुनाव में ‘चाय वाला’ स्लोगन आगे कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका खूब फायदा उठाया। पत्नी जसोदाबेन के साथ रिश्ते को लेकर आज भी विपक्ष के निशाने पर आते हैं। व्यक्तिगत जीवन पर भी विपक्ष हमला बोलता है। जबकि यह उनके व्यक्तिगत जीवन का मामला है। प्रधानमंत्री आध्यात्मिकता की खोज में हिमालय क्षेत्र में भी सालों एकांतवास किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी केदारनाथ की यात्रा की और गुफा में साधना की। यह तस्वीर भी आलोचना की शिकार हुई और खूब वायरल हुई।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्कूली दिनों में एक सामान्य छात्र थे। लेकिन सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना उनके जीवन की दिनचर्या रही। बड़नगर के भागवत आचार्य नारायणआचार्य स्कूल में पढ़ते थे। स्कूल में आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता, नाटक और दूसरे सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी हिस्सेदारी निभाते थे। बचपन से ही वे साहसी रहे। कहा जाता है कि बचपन में अपने बगल के तालाब से घड़ियाल पकड़ कर घर लाए थे। मां की डांट पड़ने पर उसे ले जाकर तालाब में छोड़ा।

    राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से प्रधानमंत्री मोदी का बचपन से जुड़ाव रहा। बचपन में उन्हें बाल स्वयंसेवक संघ की शपथ दिलाई गई थी। संघ के बड़े-बड़े आयोजनों में वे बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते थे और प्रबंधन का कार्य भी देखते थे। विवाह के बाद नरेंद्र मोदी घर छोड़कर आरएसएस के प्रचारक बन गए। कहा जाता है कि उन्हें स्कूटर चलाना नहीं आता था तो शंकरसिंह वाघेला ने उन्हें स्कूटर चलाना सिखाया था। इमरजेंसी के दौरान मोदी ने सरदार के भेष में पुलिस को खूब छकाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाफ कुर्ता और दाढ़ी आज युवाओं का शगल बन गया है। कपड़ों के शौक को लेकर भी राजनीति क्षेत्र में विपक्ष उनकी तीखी आलोचना करता है।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वामी विवेकानंद से बेहद प्रभावित रहे। विवेकानंद पर उनका अध्ययन काफी गहरा है। उन्होंने गुजरात में विवेकानंद युवा विकास यात्रा भी निकाली थी। हिंदुत्व उनके भीतर कूट-कूट कर भरा है। हिंदुत्व की वजह से ही आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के सबसे लोकप्रिय प्रधानमंत्री बने हैं। यही वजह है कि देश की जनता अपने से उनपर भरोसा करती है। रात में बेहद कम नींद लेते हैं और सुबह जल्दी उठ जाते हैं। योग और अध्यात्म से गहरा लगाव है। प्रकृति उन्हें बेहद प्रिय रही है। उन्होंने कई सालों तक हिमालय क्षेत्र में एकांतवास किया। भाजपा के वरिष्ठ राजनेता लालकृष्ण आडवाणी को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं।

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यात्राएं बेहद पसंद हैं। उन्होंने कई देशों की यात्राएं की हैं। अपने कूटनीतिक की वजह से विदेशों से काफी अच्छे संबंध बनाए। जिन देशों से भारत के संबंध अच्छे नहीं थे उनसे भी मित्रता स्थापित की। लेकिन चीन और नेपाल को लेकर धोखा खा गया गए। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से भी उन्होंने संबंध सुधारने चाहे, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आया। आज दुनिया के शक्तिशाली देशों में भारत की पहचान एक नयी शक्ति के रूप में हो रही है। भारत की अहमियत को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक महीने के लिए अस्थाई नेतृत्व की जिम्मेदारी सौंपी। मोदी को पतंगबाजी का अच्छा शौक है। जिसका उपयोग उन्होंने विपक्ष के पतंग की डोर काटने में किया। सोशल मीडिया पर वह बेहद एक्टिव रहते हैं। फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उनके पास काफी संख्या में फॉलोवर्स हैं। रेडियो और टेलीविजन पर ‘मन की बात’ सबसे लोकप्रिय कार्यक्रम है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने सोशल मीडिया का जमकर उपयोग किया।

    प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार की विपक्ष आलोचना भले करता रहा, लेकिन कुछ राष्ट्रीयहितों के फैसलों को लेकर उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी। भारतीय संविधान के सबसे विवादास्पद कानून अनुच्छेद 370 का खात्मा कर उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर सबसे अच्छी राजनीतिक बढ़त ली। एनआरसी और तीन तलाक के फैसले पर भी देश सरकार के साथ खड़ा रहा। पठानकोट हमले के बाद ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के जरिए देश के भरोसे को वह जीतने में कामयाब रहे। गलवान घाटी के मुद्दे पर भी सरकार जनता का भरोसा जीतने में कामयाब रही। सैनिकों के अदम्य साहस के आगे चीन को पीठ दिखाकर भागना पड़ा।

    अगड़ी जातियों के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण, भारी संख्या में ग्रामीण जनता का जनधन खातों का संचालन, प्रधानमंत्री किसान योजना, प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना। करोना काल में देश की 80 करोड़ जनता को मुफ्त में भरपेट भोजन उपलब्ध कराने का श्रेय भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। देश नरेंद्र मोदी पर आज भी अत्यधिक भरोसा करता है। नरेंद्र मोदी ने हिंदुत्व को लेकर जो स्थितियां पैदा की हैं उसकी जड़ें काफी गहरी हो गईं हैं। संघ के सहयोग की बदौलत नरेंद्रमोदी अब ‘हिंदुत्व के ब्रांडअंबेसडर’ बन गए हैं। मोदी के प्रधानमंत्रीत्काल में अयोध्या जैसे विवादास्पद मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हिंदुत्व के एजेंडे को और मजबूत आधार दिया है।

    फिलहाल विपक्ष नरेंद्र मोदी को किस आधार पर चुनौती देगा यह तो वक्त बताएगा। लेकिन वर्तमान समय में देश के सबसे शक्तिशाली राजनेता के रूप में मोदी का जलवा कायम है यानी मोदी हैं तो सब मुमकिन है।

    (लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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