तितली और पेज 3 जैसी बहुचर्चित फिल्मों से मशहूर हुईं अभिनेत्री कोंकणा सेन (Konkona Sen ) का जन्म 3 दिसम्बर 1979 को हुआ था। वो आज अपना 42वां जन्मदिन मना रहीं हैं। वह हिंदी और बांग्ला फिल्मों के अलावा टीवी धारावाहिक और वेब सीरीज में सक्रिय हैं। उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि बांग्ला है। अभिनय की दुनिया में फिल्म ‘इंदिरा’ से बाल कलाकार के रूप में कदम रखने वालीं कोंकणा हर तरह की भूमिका को जीवंत रखने का माद्दा रखती हैं। इसे उन्होंने साबित किया है। 3 दिसम्बर, 1979 को दिल्ली में जन्मी कोंकणा की मां अपर्णा सेन ख्यातिलब्ध अभिनेत्री हैं। कोंकणा के पिता मुकुल शर्मा पत्रकार और विज्ञान लेखक हैं।उनके नाना चिदानंद दासगुप्ता फिल्म आलोचक, लेखक और कलकत्ता फिल्म सोसाइटी के सह संस्थापक हैं। कोंकणा की स्वर्गीय दादी सुप्रिया दासगुप्ता प्रख्यात आधुनिक बंगाली कवि जीबन आनंद दास की चचेरी बहन हैं।
कोंकणा ने 2010 में रणवीर शोरे से शादी की। शादी के छह महीने बाद ही बच्चे के जन्म से ये साफ हो गया था कि कोंकणा शादी से पहले ही प्रेग्नेंट हो गई थीं। दोनों के एक बेटा हारुन सेन शौरी है। हालांकि रणवीर के साथ उनके रिश्ते ज्यादा दिनों तक नहीं चल सके और इसके बाद 2015 में दोनों अलग रहने लगे। 13 अगस्त 2020 को कोंकणा और रणवीर का तलाक हो गया। अब कोंकणा अपने बच्चे के साथ रहती हैं।
कोंकणा सेन (Konkona Sen) साल 2000 में बंगाली फिल्म ‘एक जे आछे कन्या’ से सुर्खियों में आईं। इसमें उन्हें प्रभावशाली नकारात्मक भूमिका के रूप में पहचान मिली। भाषाई दीवार को तोड़ते हुए हिंदी सिनेमा में धमका करने वालीं कोंकणा के लिए साल 2002 शानदार साबित हुआ। उनकी ‘मिस्टर ऐंड मिसेज अय्यर’ फिल्म बाजार के लिहाज से भले ही ज्यादा शोहरत न हासिल कर पाई पर आलोचकों की तारीफ से चर्चा के केंद्र में आई। उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। इसके बाद कोंकणा ने अपनी मां अपर्णा सेन के निर्देशन में बनी फिल्म ’15 पार्क एवेन्यू’ में विक्षिप्त युवती की भूमिका को जीवंत किया। 2005 में उनके हिस्से में ‘पेज थ्री’ आई।
मधुर भंडारकर के निर्देशन में बनी ‘पेज थ्री’ में कोंकणा पत्रकार की भूमिका में प्रभाव छोड़ने में सफल रहीं। ‘पेज थ्री’ से वह राष्ट्रीय फलक पर चमकीं। उनकी झोली में दूसरी बार राष्ट्रीय पुरस्कार आया। फिल्म ‘ओंकारा’ में ठेठ गंवई भूमिका में अपनी भूमिका के साथ न्याय करती नजर आईं। ‘ओंकारा’ की इस भूमिका के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री के राष्ट्रीय और फिल्म फेयर अवार्ड से सम्मानित किया गया। 2007 में वह अनुराग बासु की ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ में नजर आईं। बाजार में इस फिल्म ने शानदार कारोबार किया। मुंबई की भागदौड़ भरी जिंदगी पर केंद्रित इस फिल्म में कोंकणा की भूमिका असुरक्षित युवती की थी। उन्हें इस भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का प्रतिष्ठित फिल्म फेयर पुरस्कार मिला। वह दर्शकों और आलोचकों की कसौटी पर खरी उतरीं।
बेहद आम नैन-नक्श वाली कोंकणा (Konkona Sen) के लिए ‘लाइफ इन ए मेट्रो’ टर्निंग प्वाइंट साबित हुई। इसने मुख्यधारा के सिनेमा के दरवाजे खोल दिए। वह यशराज बैनर की ‘लागा चुनरी में दाग’ और ‘आजा नचले’ में बड़े सितारों के बीच अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहीं। प्रदप सरकार निर्देशित ‘लागा चुनरी में दाग’ बनारस की पृष्ठभूमि पर केंद्रित दो बहनों की कहानी के इर्द-गिर्द घूमती है। बड़ी बहन रानी मुखर्जी परिवार को अच्छा जीवन देने के लिए कॉल गर्ल बन जाती है। ‘आजा नच ले’ में धक-धक गर्ल माधुरी दीक्षित ने दोबारा वापसी की थी। इसमें कोंकणा सहायक भूमिका में थीं।
उन्हें रितुपर्णो घोष की बंगाली कला फिल्म ‘दोसर’ ने वैश्विक सिनेमा के सितारों में शामिल किया। इस फिल्म का पहला प्रदर्शन कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में किया गया। इसके लिए उन्हें महिंद्रा इंडो-अमेरिकन आर्ट काउंसिल फिल्म समारोह में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद वह मधुर भंडारकर की फिल्म ‘ट्रैफिक सिग्नल’ में वेश्या की भूमिका में नजर आईं। कोंकणा की यादगार फिल्मों में ‘इंद्रा, पिकनिक, तितली, अतिथि कब जाओगे, पेज थ्री, मिस्टर ऐंड मिसेज अय्यर, ओंकारा, ट्रैफिक सिग्नल, लागा चुनरी में दाग, लाइफ इन ए मेट्रो, फैशन, दिल कबड्डी, वेकअप सिड, एक थी डायन’ हैं। जोया अख्तर की फिल्म ‘लक बाय चांस’ में भी वह फरहान अख्तर के साथ नजर आईं। मगर बॉक्स ऑफिस ने इस फिल्म को चांस नहीं दिया। वह आधी आबादी के सपनीले सपनों पर केंद्रित ‘लिपिस्टिक माय बुरका’ में भी अपने अभिनय के लिए सुर्खियां बटोर चुकी हैं। हालांकि इस फिल्म का पहले नाम ‘लिपिस्टिक वाले सपने’ घोषित किया गया था।
इस साल सितम्बर में नेटफ्लिक्स पर रिलीज एकता कपूर की फिल्म ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ में कोंकणा नजर आ चुकी हैं। इसमें भूमि पेडनेकर भी हैं। इस फिल्म का निर्देशन अलंकृता श्रीवास्तव ने किया है। यह फिल्म छोटे शहरों की दो बहनों की ख्वाहिशों को पाने की कशमकश के ताने-बाने पर है। अपने इस जन्मदिन की पूर्व संध्या पर वो बांग्ला फिल्म ‘कादम्बरी’ को याद कर रोमांचित हो जाती हैं। ‘कादम्बरी’ को वाशिंगटन डीसी में सितम्बर 2015 में आयोजित साउथ एशियन फिल्म फेस्टिवल में सर्वश्रेष्ठ फिल्म और कोंकणा सेन शर्मा ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सुमन घोष निर्देशित ‘कादम्बरी’ कवि रबींद्रनाथ टैगोर और उनकी भाभी कादम्बरी देवी के कथित विवादस्पद संबंधों पर आधारित है। मगर वह रितुपर्णो घोष की चर्चित फिल्म ‘तितली’ को कभी नहीं भूलना चाहतीं। वह इसमें चरित्र अभिनेत्री के रूप में नकारात्मक भूमिका में अपनी मां अपर्णा सेन और मिथुन चक्रवर्ती के खिलाफ नजर आई थीं।
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