उज्जैन। नगर निगम में बगैर दलालों की मध्यस्थता के अब जन्म और मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाना आसान नहीं रह गया है। सीधे आवेदन देने वाले लोगों को चार माह बाद भी जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र नहीं दिए जा रहे। कल निगमायुक्त ने विभाग में जाकर यह गड़बड़ी पकड़ी और प्रभारी और कर्मचारियों को फटकार लगाई।
नगर निगम के जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग में दलालों का बोलबाला है। यहां बगैर दलालों की मध्यस्थता के जन्म-मृत्यु प्रमाण-पत्र बनवाने में आम लोगों को परेशानी आ रही है। नियमानुसार आवेदन के 10 दिन के अंतराल में नगर निगम को यह प्रमाण-पत्र बनाकर देने का नियम है। इसका विभाग में प्रभारी से लेकर कर्मचारी तक पालन नहीं कर रहे हैं। कल दोपहर में निगमायुक्त रोशन कुमार सिंह अचानक जन्म-मृत्यु पंजीयन विभाग पहुंच गए। यहां उन्होंने काउंटर के पीछे तक आवेदक महिलाओं को बैठा देखा। आयुक्त ने उनसे यहां बैठने का कारण पूछा।
एक महिला ने निगमायुक्त को बताया कि उसने चार माह पहले जुलाई में बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र का आवेदन कर रसीद भी ली थी। अभी तक यहां आजकल का कहकर बुलाया जा रहा है, लेकिन प्रमाण-पत्र नहीं दिया जा रहा। इस पर निगमायुक्त ने विभाग प्रभारी और कर्मचारियों से कहा कि जब आवेदन के बाद 10 दिन में प्रमाण-पत्र देने का नियम है तो चार महीने कैसे हो गए। इसका किसी के पास जवाब नहीं था। निगमायुक्त ने नाराज होकर कहा कि काम क्यों नहीं करना चाहते।
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