नई दिल्ली (New Delhi)। रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) के बाद से रूस पर अमेरिका के नेतृत्व में पश्चिमी देशों (western countries) ने कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। जिसका असर भारत और रूस (India and Russia) के बीच होने वाले व्यापार सौदों पर भी पड़ा है। भारत दशकों से रूस से सैन्य साजोसामान खरीदने वालों में सबसे अव्वल रहा है, किन्तु लेकिन प्रतिबंधों के चलते रूस से सैन्य आपूर्ति में असर देखा जा रहा है। रूस भारत को सैन्य साजोसामान की डिलीवरी नहीं कर पा रहा है। इसकी बड़ी वजह पेमेंट सिस्टम है।
जानकारी के लिए बता दें कि भारत और रूस के बीच व्यापार में इन दिनों काफी इजाफा हो रहा है। दोनों देशों का फोकस इस बात पर है कि डॉलर को हटाकर ज्यादा से ज्यादा व्यापार स्थानीय मुद्राओं यानी रुपया और रूबल (रूसी मुद्रा) में किया जाए, हालांकि, इसमें कुछ समस्याएं भी आ रही हैं, जिसका जिक्र रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव (Sergei Lavrov) ने शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organization/ SCO) की बैठक में किया।
यूक्रेन पर आक्रमण करने के बाद रूस पर अमेरिका और पश्चिमी देशों की ओर से आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए गए हैं और इस कारण भारतीय कंपनियों का भी पैसा रूस में फंस गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 के पहले 11 महीनों में भारत ने रूस को कुल 2.8 अरब डॉलर का निर्यात किया है और यह पिछले वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 11.6 प्रतिशत घटा है। वहीं, इस दौरान आयात करीब पांच गुना बढ़कर 41.56 अरब डॉलर हो गया।
क्यों बढ़ा भारत का रूस से आयात
रूस आर्थिक प्रतिबंधों के कारण पश्चिमी देशों को कच्चे तेल का निर्यात नहीं कर पा रहा है। इस कारण भारतीय तेल कंपनियों को रूस से कच्चे तेल की खरीद पर डिस्काउंट दे रहा है। इस वजह से भारत की कच्चे तेल के लिए रूस पर निर्भरता अप्रैल 2023 में 36 प्रतिशत कर पहुंच गई है, जो कि 2022 में यूक्रेन और रूस युद्ध शुरू होने से पहले करीब 1 प्रतिशत थी। वहीं, भारत ने अप्रैल में अपनी जरूरत के 46 प्रतिशत ही कच्चे तेल का आयात ओपेक देशों से किया है, जो कि एक समय 90 प्रतिशत पर था।
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