भोपाल। करीब 2 लाख करोड़ रुपए के कर्ज में डूबी मप्र सरकार पाई-पाई के लिए मोहताज हो रही है। आलम यह है कि सरकार को हर माह करीब एक हजार करोड़ रुपए कर्ज लेना पड़ रहा है। ऐसे में आबकारी विभाग के साथ ही जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही से सरकार को करीब अरबों रूपए की चपत लगी है। दरअसल, यह चपत शराब की दुकानों के ठेका परिवर्तन से लगा है। आबकारी विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार और शराब ठेकेदारों के बीच चली कानूनी लड़ाई के बाद जो ठेका परिवर्तन हुआ है, उसमें आबकारी और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने खिसारा (शासन का नुकसान) वसूली में लापरवाही की। जिससे सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगी है।
कोर्ट के आदेश के बाद भी लापरवाही
गौरतलब है कि शराब दुकानों के ठेकों को लेकर मामला जबलपुर हाईकोर्ट में चला गया था। कई बार की सुनवाई के बाद कोर्ट ने निर्देश दिया था कि जो शराब ठेकेदार सरकार की नीति का पालन नहीं करना चाहते हैं वे अपनी दुकानें छोड़ सकते हैं। दुकान छोडऩे पर उन्हें सरकार को खिसारा देना होगा। लेकिन अफसरों की लापरवाही के कारण आधे जिलों में ही खिसारा की वसूली हो पाई।
आधे से अधिक जिलों में खिसारा वसूली नहीं
गौरतलब है कि प्रदेश में आबकारी और परिवहन दो ऐसे विभाग हैं जिससे सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में कोरोना संक्रमण के कारण दोनों विभाग से सरकार को पर्याप्त राजस्व नहीं मिल पाया। आबकारी विभाग में तो इस कदर भर्राशाही छाई रही कि आधे से अधिक जिलों में खिसारा वसूली नहीं हो पाई। आबकारी विभाग के सूत्रों के अनुसार इससे सरकार को करीब अरबो रूपए का नुकसान हुआ है।
विधायक ने उठाया था मामला
जानकारी के अनुसार बकाया खिसारा मामले को लेकर अनूपपुर विधायक सुनील सराफ ने शीत कालीन सत्र में सवाल लगाया था। लेकिन कोरोना के कारण सत्र स्थगित कर दिया गया।
इनका कहना है
जिलों से खिसारा की जानकारी मांगी गई है। यह रूटीन वर्क है। कितनी राशि बकाया यह जानकारी आने के बाद ही पता चलेगा।
राजीव चंद्र दुबे, आयुक्त आबकारी
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