भोपाल। प्रदेश में बिजली के बिल बांटने और जमा करने की सुविधा में बदलाव की तैयारी हो रही है। अप्रैल माह से बिजली का बिल उपभोक्ताओं को सीधे मोबाइल पर मिलने लगेगा। पश्चिम मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के इंजीनियर इस काम के लिए विशेष तौर पर बिलिंग साफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं। जिसका उपयोग प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनी में किया जाएगा। इस प्रयोग के पीछे कंपनी बिलिंग प्रक्रिया में जाया होने वाले वक्त को बचाना चाह रही है ताकि एक वक्त में ही रीडिंग और बिल उपभोक्ता तक पहुंचाया जा सके। अप्रैल से प्रयोग के तौर पर कुछ चुनिंदा शहरों में यह शुरूआत होगी। ये बिल भी डिजिटल होगा, जो ई-मेल, मोबाइल पर एसएमएस अथवा वाट्सएप के जरिए भेजा जाएगा। करीब तीन माह इस बदलाव में लगेगा।
पूर्व क्षेत्र कंपनी के आइटी एंड सिस्टम प्रमुख विपिन घगट ने बताया कि साफ्टवेयर बनाने का काम किया जा रहा है। अप्रैल से उम्मीद है कि साफ्टवेयर मिल जाएगा जिसके बाद बिलिंग की प्रक्रिया कुछ शहरों में शुरू होगी। पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर और एक अन्य वितरण केंद्र में इसकी शुरूआत कर सकती है। अधिकारियों के मुताबिक बिल को डिजिटल स्वरूप देने से बिल जो कागज में प्रिंट करवाना पड़ता है उसका खर्च और समय दोनों की बचत होगी। उपभोक्ता के पास बिल पहुंचने में अभी 8-10 दिन का वक्त लगता है। पहले रीडिंग फिर बिल बांटने में दोहरा श्रम भी खर्च होता है इसलिए व्यवस्था में बदलाव किया जा रहा है ताकि उपभोक्ता को जहां सीधे उसके मोबाइल पर बिल उपलब्ध होगा ताकि बिल की राशि भी समय पर जमा हो सके।
रीवा-जबलपुर में प्रकाशित होता है बिल
अभी बिजली का बिल रीवा और जबलपुर से छपकर तैयार होता है। जिसके बाद उसे विभिन्न जिलों में वितरण के लिए भेजा जाता हैै। इस प्रकिया में 6 दिन से ज्यादा का वक्त लगता है। इसके पश्चात उपभोक्ताओं की शिकायत होती है कि उन्हें बिजली का बिल मिला ही नहीं है ऐसे में बिजली का बिल वक्त पर जमा नहीं हो पाता है जिस वजह से हर माह कंपनी का राजस्व कम होता है औसत बिजली कंपनी की 600 करोड़ रुपये की बिजली बिल वसूली होती है जिसमें एक-एक दिन की देर से काफी नुकसान कंपनी को उठाना पड़ता है।
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