नई दिल्ली। दिल्ली में एलजी (LG)और चुनी हुई सरकार के अधिकार क्षेत्रों को स्पष्ट करने वाला बिल भारी हंगामे और विपक्ष के बहिष्कार के बीच राज्यसभा(Rajyasabha) से पास हो गया। इससे पहले विपक्ष के हंगामे की वजह से राज्यसभा Rajyasabha) की कार्यवाही दो बार स्थगित भी हुई। विपक्षी सदस्यों ने ‘तानाशाही बंद करो’ के नारे लगाकर बिल का विरोध किया।
राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक यानी Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Bill, 2021 (GNCTD Bill) को सोमवार को लोकसभा(Loksabha) से मंजूरी मिल गई थी। विपक्ष (Opposition) ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस बिल के जरिए दिल्ली में पिछले दरवाजे से अपनी सरकार चलानी चाहती है। आम आदमी पार्टी ने इसे चुनी हुई सरकार के अधिकारों को खत्म करने वाला बताया। कांग्रेस भी बिल का पुरजोर विरोध करती रही पर सत्ता पक्ष इसे उच्च सदन से भी पास कराने में कामयाब रहा।
वोटिंग के दौरान कांग्रेस ने बिल के विरोध में वॉकआउट किया। बीजू जनता दल ने पहले ही वॉकआउट का ऐलान कर रखा था। आखिरकार लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी इस बिल को मंजूरी मिल गई।
मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बताया ‘लोकतंत्र का काला दिन’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन बताया है। आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने इस बिल को ‘संविधान का चीरहरण’ बताया। उन्होंने कहा कि भरी सभा में कभी द्रौपदी का चीरहरण हुआ था, आज इस सभी में ‘संविधान का चीरहरण’ हो रहा है। उन्होंने पूछा कि आखिर दिल्ली सरकार का गुनाह क्या है जो इस तरह का कदम उठाया जा रहा है। संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी 1998 के बाद से दिल्ली के हर चुनावों से पहले उसे पूर्ण राज्य बनाने का वादा करती थी लेकिन अब इस तरह का बिल ला रहे हैं। उन्होंने बिल को संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की।
दिल्ली सरकार के किसी अधिकार पर आंच नहीं: रेड्डी
बिल पर राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने कहा कि 1991 में संसद ने 69वें संविधान संशोधन के जरिए दो नए आर्टिकल 239-ए और 239-बी लाई। उन्होंने कहा कि इस अमेंडमेंट बिल से दिल्ली सरकार के किसी भी अधिकार पर आंच नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि दिल्ली के एलजी की शक्तियां राज्यों के राज्यपालों से अलग है। रेड्डी ने कहा कि संविधान के तहत दिल्ली सरकार को जो अधिकार मिले हैं, उसमें से एक को भी मोदी सरकार इस बिल के जरिए नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि मूल कानून में ही कहा गया है कि दिल्ली में सरकार का मतलब एलजी है। रेड्डी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के संवैधानिक बेंच ने भी अपने फैसले में एलजी को दिल्ली का प्रशासनिक प्रमुख बताया है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि दिल्ली सरकार किसी भी प्रस्ताव, अजेंडा या मीटिंग और उसमें लिए गए फैसलों को एलजी को बताएगी।
बिल में क्या है?
इस बिल के अनुसार, दिल्ली में सरकार का मतलब ‘एलजी’ होगा और विधानसभा से पारित किसी भी विधेयक को मंजूरी देने की ताकत उसी के पास होगी। बिल में यह भी प्रवाधान किया गया है कि दिल्ली सरकार को शहर से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल से सलाह लेनी होगी। इसके अलावा विधेयक में कहा गया है कि दिल्ली सरकार अपनी ओर से कोई कानून खुद नहीं बना सकेगी। विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि विधेयक विधान मंडल और कार्यपालिका के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का बढ़ाएगा। साथ ही निर्वाचित सरकार और राज्यपालों के उत्तरदायित्वों को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप परिभाषित करेगा।
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