बेगूसराय। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के विभिन्न अलग-अलग हिस्सों में घर से दूर रहने वाले श्रमिकों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत निर्माण के नारा ने श्रमिकों के मन में एक नए उत्साह का संचार किया है। जिस तरीके से सरकार द्वारा यह योजना शुरू की गई है, उसे अगर सही तरीके से लागू किया जाए तो बिहार का ग्रामीण क्षेत्र छोटे-छोटे उद्योगों का बड़ा उद्योग समूह खड़ा कर सकता है। कुछ ऐसा ही जज्बा लिए बेगूसराय के वीरपुर प्रखंड के भवानंदपुर लौटे हैं देश के विभिन्न जूता फैक्टरी में काम करने वाले श्रमिक। इन लोगों को अगर साधन और संसाधन उपलब्ध करवा दिया जाए तो जल्द बेगूसराय में गुणवत्तापूर्ण जूता-चप्पल का निर्माण शुरू हो सकता है।
लॉकडाउन के दौरान भवानंदपुर में 30 से 45 वर्ष उम्र के 40 से अधिक श्रमिक लौटे हैं। परदेस से गांव आते ही सभी श्रमिक निर्धारित 14 दिन के सरकारी क्वारेन्टाइन में रहे। उसके बाद अब यह लोग यहां ग्रुप बना रहे हैं, ग्रुप बनाकर सरकार के उद्योग विभाग से जूता चप्पल निर्माण के लिए कर्ज लेकर व्यवसाय शुरू करेंगे। अगर उद्योग विभाग से सहयोग नहीं मिला तो औद्योगिक नवप्रवर्तन योजना के तहत कलस्टर बनाकर आत्मनिर्भर भारत योजना से सहयोग लेंगे। अगर यहां जूता फैक्ट्री शुरू हो गया तो शायद यह बिहार की कोई पहली फैक्ट्री होगी जो श्रमिकों द्वारा, श्रमिकों के सहयोग से, श्रमिकों को आत्मनिर्भर बनाने की फैक्ट्री होगी, जिसके मालिक भी श्रमिक ही होंगे। स्थानीय स्तर पर गुणवत्तापूर्ण जूता का निर्माण होगा तो नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, बड़े निजी विद्यालय के बच्चों तथा रिफाइनरी, एनटीपीसी, खाद कारखाना के कामगारों के लिए बाहर से जूता मंगवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इससे एक ओर लोकल फोर वोकल का सपना साकार होगा, तो दूसरी ओर कम दाम में ही बच्चों और कामगारों को ब्रांडेड कंपनियों के गुणवत्ता का जूता उपलब्ध हो जाएगा। इसके लिए सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. संजय गौतम के नेतृत्व में प्रवासी मजदूर का कलस्टर बनाया गया है। इसमें लॉकडाउन के दौरान बंगाल, मुंबई, पुणे, दिल्ली के नामी-गिरामी लेदर चप्पल जूते उद्योग में काम करने वाले अपने घर आए श्रमिक हैं। उन्होंने बताया कि इस पंचायत में दो सौ की संख्या में लेदर के चप्पल जूतों से जुड़े हुए कुशल श्रमिक हैं। अगर जिला प्रशासन, बिहार सरकार उत्सुकता के साथ यहां के प्रवासी मजदूरों को प्रोत्साहन देकर ऐसे उद्योगों को बढ़ावा देती है तो भवानंदपुर पंचायत के कुशल कारीगर बिहार और देश में उद्योग का अपना नया अध्याय लिखेगें। जिला प्रशासन को इसके लिए लिखित आवेदन और सूचना दे दी गई है। जिससे नवप्रवर्तन योजना या प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत उद्योग स्थापित हो।
श्रमिक सिंटू कुमार दास, सिकदंर कुमार, रंजन दास, राहुल कुमार दास, सजींत कुमार दास, बिरजू दास एवं विशाल कुमार ने बताया कि परदेस से काफी जलालात झेलकर घर आए हैं। अब बाहर जाना नहीं चाहते हैं, गांव में रहकर उद्योग लगाना चाहते हैं। मजबूरी में परिवार बच्चों को छोड़ कर बाहर जाते थे, यहीं प्रशासन की मदद से ऐसा स्वरोजगार करेंगे कि एक नई मिसाल कायम होगी। सरकार के लिए सुनहरा मौका है कि हम श्रमिक के मेधा और श्रम शक्ति का जितना चाहे सदुपयोग कर ले। हम, हमारा परिवार और गांव आत्मनिर्भर बनेगा तो सशक्त बिहार और आत्मनिर्भर भारत निर्माण का ध्येय पूरा होगा। बिहार के हम मजदूरों की बदौलत ही दूसरे राज्यों की फैक्टरी चलती है। बिहार में हुनरमंद मजदूर को काम दिया गया तो बिहार भी छोटे-छोटे उद्योगों की मंडी का बेताज बादशाह हो जाएगा।