पटना। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar assembly elections) से पहले राज्य में जन सुराज पार्टी (Jan Suraj Party) नाम से एक और दल मैदान में आ गया है। चुनाव रणनीतिकार से पदयात्री बने प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) द्वारा रची-बुनी गई इस पार्टी का पहला नेता और कार्यकारी अध्यक्ष मधुबनी के मनोज भारती (Manoj Bharti) को बनाया गया है जो भारतीय विदेश सेवा (Indian Foreign Service) के पूर्व अफसर हैं। दलित समुदाय के मनोज भारती (Manoj Bharti) को जन सुराज पार्टी का नेता बनाकर प्रशांत ने संकेत दे दिया है कि लालू यादव, तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार के बाद उनका अगला टारगेट चिराग पासवान हैं जो राज्य में दलितों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं। प्रशांत की पार्टी 2025 में असेंबली चुनाव के फाइनल से पहले नवंबर में विधानसभा की चार सीटों के उप-चुनाव में सेमीफाइल लड़ेगी और पीके के मुताबिक बाकी पार्टियों को दिखाएगी कि कैसे लड़ा और जीता जाता है।
महागठबंधन सरकार के दौरान नीतीश कुमार की सरकार द्वारा कराए गए जाति सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 36.01 परसेंट अति पिछड़ा, 27.12 फीसदी अन्य पिछड़ा, 19.65 परसेंट दलित, 15.52 फीसदी सवर्ण और 1.68 परसेंट आदिवासी हैं। रामविलास पासवान के जमाने से दलितों के एक बड़े तबके का वोट उनके परिवार के साथ रहा है। वोटिंग पैटर्न और मिले वोट की व्याख्या के आधार पर माना जाता रहा है कि चिराग पासवान के साथ 6 परसेंट वोट है जो वो अपने साथ लेकर चलते हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में 5 सीट लड़ी चिराग की पार्टी लोजपा-रामविलास को 6.47 परसेंट वोट मिला है। 2020 में जब चिराग की पुरानी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) अकेले ही लड़ गई थी तब 135 सीटों के चुनाव में ही उसे 5.66 फीसदी वोट मिल गया था।
प्रशांत किशोर की दो साल से चल रही पदयात्रा में मुसलमान तबके के अंदर जन सुराज को लेकर दिलचस्पी दिखी है। दो साल से जन सुराज के बैनर-पोस्टर पर सिर्फ महात्मा गांधी और चरखा को लेकर चल रहे प्रशांत किशोर ने पार्टी की स्थापना के मौके पर कहा कि जन सुराज पार्टी के झंडे में महात्मा गांधी और भीमराव आंबेडकर की फोटो के इस्तेमाल के लिए वो चुनाव आयोग से आग्रह करेंगे। दो साल महात्मा गांधी और चरखा लेकर घूमने के बाद प्रशांत किशोर को समझ आ गया है कि 2025 में जीत हासिल करने के लिए दलितों का साथ बहुत जरूरी है।
जानिए कौन हैं मनोज भारती
मनोज भारती को जन सुराज पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाना और झंडे में आंबेडकर को गांधी के साथ बिठाने की योजना राज्य के 19 परसेंट से ज्यादा दलित वोटरों को अपनी ओर खींचने की एक रणनीति है। अनुसूचित जाति के आरक्षण में क्रीमी लेयर को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सहयोगी चिराग पासवान और जीतनराम मांझी फायदे पर झगड़ रहे हैं। चिराग एससी आरक्षण को भेदभाव और छुआछूत से जोड़कर देख रहे हैं तो मांझी ये गिना रहे हैं कि 70 साल से एससी की चार जाति ही आरक्षण की मलाई खा रही है।
इससे ये साफ है कि बिहार में दलितों के बीच विधानसभा चुनाव में तालमेल बिगड़ेगा। दलितों की राजनीति में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आई इस आपदा को दलित को नेता और झंडे में आंबेडकर की फोटो लगाकर प्रशांत अवसर में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें पीके या मार्च तक के लिए कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए मनोज भारती को कितनी कामयाबी मिलती है, उसका नमूना नवंबर में संभावित विधानसभा उप-चुनाव से मिल जाएगा।
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