नई दिल्ली। प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) की सक्रियता बता रही है कि बिहार की राजनीति (Politics of Bihar) में वो धीरे धीरे पांव जमाने लगे हैं. और धीरे धीरे उनकी राजनीतिक मंशा भी सामने आने लगी है. ये भी पता चलने लगा है कि प्रशांत किशोर (Prashant Kishore) के निशाने पर सबसे पहले कौन है, और आखिर में कौन?
शुरू में प्रशांत किशोर ज्यादातर नीतीश कुमार (Nitish Kumar) का नाम लेकर ही हमला बोला करते थे. और उनके साथ उनके पहले वाले डेढ़ दशक के लालू-राबड़ी शासन (Lalu-Rabri rule) का भी एक साथ जिक्र किया करते थे, लेकिन कुछ दिन बाद नाम लेना छोड़ कर संकेतों में बातें करने लगे. जैसे, नौंवी फेल. जाहिर है, ऐसा बोल कर वो आरजेडी नेता तेजस्वी यादव (RJD leader Tejashwi Yadav) को ही टारगेट करते रहे हैं. राजनीति में संदेश देने की ये परंपरा काफी पुरानी है, और अब भी प्रैक्टिस में है।
बिहार में फिलहाल विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में प्रशांत किशोर की सक्रियता का असर भी देखा जा चुका है. तभी तो बिहार आरजेडी अध्यक्ष को बाकायदा सर्कुलर जारी कर अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को प्रशांत किशोर से सावधान रहने के लिए आगाह करना पड़ा था. ये भी कुछ कुछ वैसे ही समझ सकते हैं जैसे यूपी में मायावती शुरू से ही दलित समुदाय को भीम आर्मी वाले चंद्रशेखर आजाद से आगाह करती रही हैं. बावजूद इसके, चंद्रशेखर आजाद नगीना लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंच चुके हैं।
प्रशांत किशोर को घेरने के लिए उनकी जाति का नाम बार बार उछाला जा रहा है. जाहिर है ये लोग प्रशांत किशोर के वही राजनीतिक विरोधी होंगे, जो जातीय राजनीति में घसीट कर उनको ठिकाने लगाने की कोशिश में होंगे. तेजस्वी यादव के साथ मिलकर नीतीश कुमार बिहार में जातीय जनगणना करा चुके हैं – लेकिन नीतीश कुमार के बीजेपी के साथ चले जाने के बाद से तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी के साथ मिलकर कास्ट सेंसस की मुहिम चला रहे हैं।
ऐसे हमलों का प्रशांत किशोर बीच बीच में जवाब भी दे रहे हैं, और आगे बढ़कर सवाल भी पूछ रहे हैं. प्रशांत किशोर कहते हैं, नीतीश कुमार जिस कुर्सी समाज से आते हैं, उससे अधिक बिहार में ब्राह्मणों की आबादी है. और फिर पूछते हैं, अगर कोई कुर्मी नेता लीड कर सकता है, तो कोई ब्राह्मण क्यों नहीं कर सकता? अपनी ब्राह्मण जाति पर सवाल उठाये जाने पर पूछते हैं, आखिर संविधान में कहां लिखा है कि सवर्ण कोई राजनीतिक कोशिश नहीं कर सकता? कहते हैं, मैं जातिवादी राजनीति नहीं करता, लेकिन कुछ लोग मेरे नाम में पांडेय ढूंढकर ला रहे हैं. प्रशांत किशोर जब ऐसा बोलते हैं, तो भले ही वो नीतीश कुमार का नाम लेते हों, लेकिन निशाने पर तेजस्वी यादव ही रहते हैं।
पहले प्रशांत किशोर ने अगले बिहार विधानसभा चुनाव में 40 महिलाओं को टिकट देने की बात कही थी, लेकिन अब उसी तरीके से वो मुस्लिमों की भी बात करने लगे हैं. महिलाओं को लेकर प्रशांत किशोर का कहना है कि 2025 के चुनाव में 40 महिलाओं को टिकट तो देंगे ही, और सब कुछ ठीक रहा तो 2030 में महिला उम्मीदवारों की संख्या 80 हो भी सकती है. ध्यान रहे, बिहार में नीतीश कुमार महिला वोट बैंक को हमेशा अपने पक्ष में रखने की कोशिश करते हैं, और लड़कियों के लिए साइकिल देने से लेकर बिहार में शराबबंदी लागू किये जाने तक के पीछे वही कारण होता है।
अगर महिला कार्ड के जरिये प्रशांत किशोर नीतीश कुमार को टारगेट कर रहे हैं, तो उनके मुस्लिम कार्ड में निशाने पर तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आरजेडी ही है. देश के राजनीतिक हलके में पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने ऐलान किया है कि जन सुराज की तरफ से आने वाले विधानसभा चुनाव में 40 मुस्लिम उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा।
आरजेडी के मुस्लिम वोटर पीके के निशाने पर
जन सुराज अभियान के शुरू में तो मुहिम गांव-गांव चलती रही, लेकिन हाल फिलहाल कई कार्यक्रम पटना में हुए हैं. जन सुराज के ऐसे ही एक कार्यक्रम ‘राजनीति में मुसलमानों की भागीदारी’ में प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव में कम से कम 40 मुसलमान उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है। प्रशांत किशोर ने ये भी बता दिया है कि जन सुराज की कोर टीम में भी मुस्लिम नेताओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी. प्रशांत किशोर के मुताबिक, जन सुराज में 25 लोगों की एक कोर टीम बनाई जा रही है, और उसमें 4-5 मुस्लिम नेता भी होंगे।
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