पटना। बिहार (bihar) में शराब (liquor) पीते या शराब के नशे में पकड़े गए व्यक्ति (drunk person) को जुर्माना का भुगतान (payment of fine) करने पर छोड़ा जा सकता है। पर जुर्माना नहीं चुकाने की सूरत में एक माह के साधारण कारावास की सजा होगी। राज्य सरकार के प्रस्तावित मद्यनिषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक-2022 (Prohibition and Excise Amendment Bill-2022) में इसका प्रावधान किया गया है। गुरुवार को विधेयक की प्रति विधायकों के बीच वितरित की गई, ताकि वह इसके प्रारूप से वाकिफ हो सकें। यह विधेयक इसी सत्र में पास किया जाना है।
विधेयक में शराब पीने के आरोप में पकड़े गए शख्स को नजदीक के कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा। वह जुर्माना की राशि जमा करा देता है तो उसे छोड़ा जा सकता है पर यह उसका अधिकार नहीं होगा। गिरफ्तार करनेवाले पदाधिकारियों की रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय मजिस्ट्रेट द्वारा लिया जाएगा कि उसे मुक्त किया जाए या नहीं। शराबबंदी कानून के तहत दर्ज मामलों का अनुसंधान एएसआई रैंक से नीचे के पुलिस या उत्पाद विभाग के अधिकारी नहीं कर सकते। विधेयक में ड्रोन से ली गई तस्वीर आदि को भी साक्ष्य की श्रेणी में रखने का प्रावधान किया गया है।
उच्च न्यायालय के परामर्श से होगी नियुक्ति
बिहार मद्य निषेध और उत्पाद संशोधन विधेयक- 2022 में कई प्रावधान किए गए हैं। कार्यपालक मजिस्ट्रेट की नियुक्ति उच्च न्यायालय के परामर्श से की जाएगी। ये द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्तियों का प्रयोग करेंगे। बिहार मद्य निषेध उत्पाद अधिनियम 2016 की धारा 81 के पश्चात अब एक नई धारा 81-ए का अंत स्थापन किया जाना है। इस धारा में परिवहन की चुनौतियों के कारण जब्त वस्तु या मादक द्रव्यों को सुरक्षित अभिरक्षा में रखना संभव न तो पुलिस पदाधिकारी या उत्पाद पदाधिकारी विशेष न्यायालय या कलेक्टर के आदेश के बिना भी एक छोटे नमूने को रखकर स्थल पर ही सारी मात्रा को नष्ट कर सकेगा।
नए प्रावधान में इस अधिनियम के अधीन दंडनीय सभी अपराध धारा- 35 के अधीन अपराधों को छोड़कर सुनवाई विशेष न्यायालय द्वारा की जाएगी। इसकी अध्यक्षता सत्र न्यायाधीश, अपर सत्र न्यायाधीश, सहायक सत्र न्यायाधीश या न्यायिक मजिस्ट्रेट कर सकेंगे। ऐसे मामलों के अधीन गिरफ्तार व्यक्ति अभी भी जेल में हैं तो उसे छोड़ दिया जाएगा, यदि वह धारा 37 में उल्लिखित कारावास की अवधि पूरी कर चुका हो।
हर जिले में होगा विशेष न्यायालय
हर एक जिला में कम से कम एक विशेष न्यायालय होगा। राज्य सरकार, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को जो अपर सत्र न्यायाधीश रह चुके हों, को विशेष न्यायालय में पीठासीन होने के लिए नियुक्त कर सकेगी। कोशिश होगी कि आरोप पत्र समर्पित किए जाने की तिथि से 1 वर्ष के अंदर विशेष न्यायालय विचारण पूरा कर ले। राज्य सरकार तलाशी, जब्ती, शराब नष्ट करने आदि से संबंधित निर्देश या मार्गदर्शन जारी करेगी।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved