नई दिल्ली (New Delhi)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने 17वीं लोकसभा को भंग करने की सिफारिश करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया और अब शनिवार आठ जून या मंगलवार 12 जून को नए मंत्रिमंडल की शपथ (Swearing New Cabinet) लिए जाने की चर्चा है। 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा था, उससे पहले लोकसभा चुनाव का परिणाम (Lok Sabha elections Result) आने के कारण प्रधानमंत्री ने इस्तीफा दिया है। अब कार्यकारी प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी अगले मंत्रिमंडल का खाका खींचेंगे। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की बैठक मंगलवार को हो चुकी है। आगे भी टुकड़ों में होनी है। इन बैठकों के साथ यह तय हो जाएगा कि बिहार में भाजपा कोटे से एक या दो मंत्री ही रखे जाएं, क्योंकि मजबूत और जरूरी घटक दलों- जनता दल यूनाईटेड, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के साथ हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) को मिलाकर पांच से छह मंत्रियों का पद लगभग तय है।
पिछली बार दो पद मांगते रह गए थे नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद हुआ टकराव भाजपा को भी याद है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी नहीं भूले होंगे। लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम ने उन बातों को और ज्यादा याद दिला दिया होगा। पिछली बार भाजपा मनमानी करने की स्थिति में थी और उसने जदयू की जिद नहीं मानी थी। तब जदयू ने 16 सांसदों के आधार पर दो मंत्रीपद मांगे थे। तब नीतीश कुमार मुंगेर के सांसद राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह और आरसीपी सिंह को बराबर का मौका देने के लिए केंद्र में मंत्री बनाना चाहते थे। उस समय बात नहीं बनी। बाद में आरसीपी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और फिर केंद्र में मंत्री भी। इसी के बाद जदयू से उनकी दूरी बढ़ने लगी और एक ऐसा समय आया, जब उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता देखना पड़ा। इधर, 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से नीतीश कुमार के अंदर नाराजगी थी, जिसके कारण वह दोबारा महागठबंधन में चले गए। अब जनवरी में वह वापस राजग में आए हैं और चार जून को आए लोकसभा चुनाव परिणाम में वह भाजपा के बराबर सांसद देने वाली पार्टी के अध्यक्ष तो हैं ही, केंद्र सरकार के बहुमत के आंकड़ों के लिए जरूरी भी हैं।
चिराग पासवान इंतजार ही करते रह गए थे
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के प्रकरण के कारण ही चिराग पासवान की पिता रामविलास पासवान के निधन के बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल में एंट्री नहीं हो सकी थी। नीतीश कुमार की नाराजगी को देखते हुए भाजपा उन्हें यह मौका नहीं दे रही थी। 28 जनवरी को नीतीश कुमार की राजग में वापसी के बाद चिराग पासवान के साथ उनकी दूरी खत्म हो गई। इस चुनाव के दौरान चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के करीबी मंत्री डॉ. अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को समस्तीपुर से उतारा और वह जीत भी चुकी हैं। सभी 40 लोकसभा सीटों का ग्राउंड रिपोर्ट यह साफ बता रहा कि एनडीए को मिली जीत में प्रत्याशी से ज्यादा प्रधानमंत्री मोदी का नाम था, फिर भी चूंकि चिराग पासवान ने जमकर मेहनत की है और उन्होंने सीएम नीतीश कुमार से हुई दूरी को पाटने में भी अपने अहं को किनारे किया। शत प्रतिशत स्ट्राइक रेट के कारण वह अपने साथ एक और मंत्री का पद चाह रहे हैं।
तीन नामों को पहले से तय माना जा रहा
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान और बिहार के पूर्व मंत्री व जदयू के राज्यसभा सांसद संजय झा- यह तीन नाम घटक दलों की ओर से पक्का माना जा रहा है। जदयू तीन मंत्रियों का पद चाह रहा है, लेकिन राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा भी है कि मंत्री अशोक चौधरी की बेटी और लोजपा सांसद शांभवी चौधरी को मौका देकर राजग एक पंथ, दो काज का फॉर्मूला भी अपना सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सबसे युवा प्रत्याशी और बेटी के रूप में शांभवी को जिस तरह से चुनावी मंच से सम्मान दिया था, उससे इस बात को दम मिल रहा है। ऐसा कुछ होता है तो लोजपा के खाते से चिराग के अलावा दूसरा चेहरा शांभवी हो जाएंगी। इस हालत में जदयू को दो मंत्रीपद के लिए मना लिया जाएगा। पहला नाम संजय झा का पक्का है तो दूसरा नाम जदयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह का होता है या मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले से उनके विश्वसनीय सांसद कौशलेंद्र कुमार- यह फैसला रोचक होगा। इस तरह पांच से छह सांसद घटक दलों से हो जाते हैं तो भाजपा अपने कोटे से एक या दो बिहारी सांसदों को लाकर काम चलाने की सोच सकती है। आरके सिंह मंत्री थे और इस बार आरा से हार चुके हैं। शांभवी अगर मंत्री बनती हैं तो समस्तीपुर के उजियारपुर से ही सांसद चुने गए नित्यानंद राय का नाम फंस सकता है। ऐसे में गिरिराज सिंह का एक नाम पक्का माना जा सकता है।
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