पटना । बिहार में सत्ताधारी जनता दल (यूनाइटेड) ने राज्यसभा चुनाव(Rajya Sabha elections) में प्रत्याशियों के चयन को लेकर सस्पेंस थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। राजनीतिक गलियारे में सबसे बड़ी चर्चा का विषय यही है कि केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (RCP Singh) को जेडीयू राज्यसभा भेजेगी या नहीं। अगर आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं जाएंगे तो जेडीयू से किसे देश की उच्च सदन में भेजा जाएगा। मीडिया में कई नामों की चर्चा चल रही है। आइए मीडिया में चल रहे नामों पर बारी-बारी से समझते हैं।
सोशल मीडिया पर चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्यसभा की एक सीट पर प्रत्याशी का नाम इसलिए घोषित नहीं कर रहे हैं क्योंकि वह खुद देश के उच्च सदन में जाना चाहते हैं। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के राज्यसभा जाने की चर्चा दो महीने से चल रही है। हालांकि खुद मुख्यमंत्री नीतीश मीडिया में आकर इस तरह की किसी भी चर्चा का खंडन कर चुके हैं। नीतीश कुमार के राज्यसभा जाने का मतलब है कि बिहार सरकार में बड़ा बदलाव होना तय होगा। नीतीश कुमार के उपराष्ट्रपति बनने की भी अटकलें चली, लेकिन उन्होंने इसका भी खंडन किया था। नीतीश कुमार के सीएम की कुर्सी से हटते ही स्वभाविक है कि एनडीए के सबसे बड़े घटक दल बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा। मौजूदा राजनीतिक हालात में क्या नीतीश कुमार बिहार जैसे राज्य में सीएम का पद अपने हाथों से जाने देना चाहेंगे।
पूर्व IAS RCP को हटाकर VRS लेने वाले IAS मनीष भेजे जाएंगे राज्यसभा?
राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूर्व IAS आरसीपी सिंह को हटाकर हाल ही में वॉलेंटरी रिटायरमेंट लेने वाले IAS मनीष वर्मा को राज्यसभा भेज सकते हैं। माना जाता है कि सीएम नीतीश कुमार के कहने पर ही मनीष वर्मा ने वीआरएस लिया है। 2000 बैच के ओडिशा कैडर के IAS अधिकारी मनीष वर्मा को बिहार सरकार ने अपने यहां सेवा लेने को बुलाया था। लेकिन ओडिशा सरकार ने मनीष वर्मा को मूड कैडर में वापस बुला लिया था, जिसके बाद उन्होंने VRS ले लिया है। मनीष वर्मा पटना के डीएम भी रह चुके हैं। मनीष वर्मा भी आरसीपी सिंह की तरह नालंदा जिले से आते हैं और कुर्मी जाति के हैं।
आरसीपी सिंह ही भेजे जाएंगे राज्यसभा?
हाल के दिनों में आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार के बीच दूरियां दिखी है। नीतीश कुमार केंद्र में एक से ज्यादा मंत्री पद चाहते थे, लेकिन जेडीयू अध्यक्ष रहते हुए आरसीपी सिंह खुद मोदी कैबिनेट में मंत्री बन गए। आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बनने के बाद बिहार में शक्ति प्रदर्शन किया था। उन्होंने अपनी तस्वीर वाले पोस्टर पूरे राज्य में लगवाए थे। इसके बाद जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने आदेश पारित किया था कि पोस्टरों में केवल नीतीश कुमार की मुख्य तस्वीर होगी। इसके बाद यूपी चुनाव में बीजेपी से गठबंधन कराने की जिम्मेदारी आरसीपी सिंह को सौंपी गई थी, लेकिन वह इसमें भी नाकाम रहे। पिछले सप्ताह एक शादी समारोह में आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार दोनों पहुंचे थे लेकिन दोनों में दूरियां साफ तौर से दिख रही थी। हालांकि राजनीतिक गलियारों में ये भी चर्चा है कि नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह के पुराने रिश्ते हैं। चर्चा है कि नीतीश कुमार थोड़ा समय जरूर लेंगे, लेकिन वह आरसीपी सिंह को ही राज्यसभा भेज सकते हैं। आरसीपी सिंह के नाम लेने वाले लोग तर्क दे रहे हैं कि 2010 में ललन सिंह से नीतीश कुमार ने दूरियां बनाई थी, लेकिन उन्हें बाद में अपनी कैबिनेट में अहम पद दिया था। फिलहाल ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। हालांकि आरसीपी सिंह के नाम को लेकर सीएम नीतीश से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सही समय पर राज्यसभा कैंडिडेट के नाम पर खुलासा कर दिया जाएगा।
जेडीयू से अनिल हेगड़े का नाम है फाइनल
जेडीयू ने अनिल हेगड़े को राज्यसभा कैंडिडेट बनाने की घोषना कर दी है। सीएम नीतीश ने कहा है कि हेगड़े पार्टी के पुराने कार्यकर्ता हैं। वह सोशलिस्ट नेता रहे हैं। जन आंदोलनों के दौरान अब तक संसद भवन थाने में इनकी 4250 बार गिरफ्तारी हो चुकी है। डंकल प्रस्ताव के विरोध में 5150 दिनों तक हेगड़े ने लगातार अभियान चलाया था। अनिल हेगड़े आर्थिक उदारीकरण के विरोधी रहे हैं और 90 के दशक में आर्थिक नीतियों का विरोध करने वाले सबसे अहम चेहरों में से थे। वे तब से पार्टी से जुड़े हैं जब जेडीयू समता दल हुआ करता था। जेडीयू सांसद किंग महेंद्र के निधन के बाद खाली हुई सीट पर हेगड़े को भेज रही है। एक वक्त था जब अनिल हेगड़े जॉर्ज फर्नांडिस और नीतीश कुमार के बीच पुल का काम किया करते थे।
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