आरा । भारतीय विज्ञान संघ के इतिहास में पहली बार 3 से 7 जनवरी तक आयोजित होने वाले इंडियन साइंस कांग्रेस का अधिवेशन सिंबियोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पुणे में नहीं होगा।वर्ष 2021 के प्रस्तावित इंडियन साइंस कांग्रेस के अधिवेशन की मेजबानी सिंबियोसिस इंटरनेशन यूनिवर्सिटी पुणे को ही करना था।
भारत सरकार के इस कार्यक्रम को कोविड-19 के खतरों के कारण स्थगित करना पड़ा है। इंडियन साइंस कांग्रेस में शामिल होने बिहार के वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय सहित देश भर के विश्वविद्यालयों से विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन और कार्य करने वाले हजारों छात्र-छात्राएं उस विश्वविद्यालय में पहुंचते हैं जो विश्वविद्यालय इंडियन साइंस कांग्रेस की मेजबानी करता है। वर्ष 2021 में इंडियन साइंस कांग्रेस का 108 वां अधिवेशन सिंबियोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पुणे में आयोजित होना था।
108 वें इंडियन साइंस कांग्रेस का थीम ‘महिला सशक्तिकरण’ के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने पर केंद्रित था और ‘महिला सशक्तिकरण’ के साथ सतत विकास के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे विषय इस अधिवेशन का प्रमुख केन्द्रविन्दु था। इस अधिवेशन में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित में महिलाओं को समान अवसर प्रदान करने पर विस्तार से चर्चा होने वाली थी। ऐसे क्षेत्रों में महिलाओं को आगे लाने और उन्हें समान अवसर देने पर विचार होने वाले थे।
वैश्विक महामारी कोरोना ने देश के 105 सालों के इंडियन साइंस कांग्रेस के इतिहास में पहली बार 108 वें अधिवेशन पर ब्रेक लगा दिया है। रविवार 03 जनवरी को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इंडियन साइंस कांग्रेस के 108 वें अधिवेशन का उद्घाटन करना था और शनिवार की शाम उनका आगमन पुणे में होना था।नियमतः भारत सरकार के इस विज्ञान के सबसे बड़े मंच के प्रति वर्ष होने वाले अधिवेशन का उद्घाटन देश के प्रधानमंत्री ही करते हैं।
बिहार के मुंगेर विश्वविद्यालय कुलपति के पद पर कार्य कर रहे प्रो.रंजीत कुमार वर्मा इंडियन साइंस कांग्रेस के बड़े पदाधिकारियों में शामिल हैं और वे इस संस्था के ट्रेजरार रह चुके हैं। फिलहाल प्रो.वर्मा इंडियन साइंस कांग्रेस के एक्सक्यूटिव कमिटी मेम्बर हैं और इंडियन साइंस कांग्रेस में महत्वपूर्ण विषयों पर बातचीत को लेकर संस्था की तरफ से सुझाव देने के साथ ही देश के प्रधानमंत्री के सलाहकार भी हैं। कोविड-19 के कारण 108 वें इंडियन साइंस कांग्रेस के स्थगित होने की प्रो. वर्मा ने पुष्टि की।
शनिवार को प्रो.रंजीत कुमार वर्मा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि अब 108 वां इंडियन साइंस कांग्रेस 3 से 7 जनवरी 2022 में आयोजित होगा। इस अधिवेशन की मेजबानी सिंबियोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी पुणे ही करेगा। इंडियन साइंस कांग्रेस के अधिवेशन को लेकर इस वर्ष नई शुरुआत होगी और एब्स्ट्रैक्ट के लिए शोध पत्रों को मंगाने के लिए तिथि घोषित की जाएगी। नियमतः 15 सितम्बर तक शोध पत्रों को स्वीकृति के लिए भेजा जाता है।
फिलहाल देश में इंडियन साइंस कांग्रेस के इतिहास में पहली बार कोविड-19 के कारण स्थगित हुए 108 वें अधिवेशन ने विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिक, प्रोफेसर,रिसर्चर,छात्र और छात्राओ में मायूसी ला दी है।
1914 में बनी इंडियन साइंस कांग्रेस का पहला अशिवेशन कलकत्ता हुआ था
उल्लेखनीय है कि भारत में सबसे पहले वर्ष 1914 में बनी इंडियन साइंस कांग्रेस का अशिवेशन कलकत्ता यूनिवर्सिटी के कुलपति सर अशुतोष मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई थी। तब इस अधिवेशन में 105 वैज्ञानिक शामिल हुए थे और 35 शोध पत्रों की प्रस्तुति हुई थी।आज इंडियन साइंस कांग्रेस के 16 हजार से अधिक सदस्य हैं।वर्स 1914 से शुरू हुए इंडियन साइंस कांग्रेस ने अब तक भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाले वैज्ञानिक,प्रोफेसर,रिसर्चर, देश के विभिन्न यूनिवर्सिटीज में अध्ययन करने वाले छात्र और छात्राएं प्रति वर्ष देश के अलग अलग हिस्सों और विश्वविद्यालयों में आयोजित होने वाले अधिवेशन में हिस्सा लेते हैं। इंडियन साइंस कांग्रेस के अधिवेशन में विदेशों से नोबेल पुरस्कार विजेता भी शामिल होते हैं।
विज्ञान के विविध विषयों पर होता है मंथन
इंडियन साइंस कांग्रेस के अधिवेशन में विभिन्न खंडों कृषि एवं वानिकी,पशु चिकित्सा एवं मात्स्यिकी,मानव विज्ञान एवं व्यवहार विज्ञान(पुरातत्व विज्ञान,मनोविज्ञान,शिक्षा शास्त्र और सैन्य विज्ञान)रसायन विज्ञान,पृथ्वी तंत्र विज्ञान,अभियांत्रिकी,पर्यावरण विज्ञान,सूचना ,संचार विज्ञान और प्रौद्योगिकी(कम्प्यूटर साइंस सहित),पदार्थ विज्ञान,गणित शास्त्र(सांख्यिकी सहित),आयुर्विज्ञान(शरीर क्रिया विज्ञान सहित),नवजीव विज्ञान,भौतिक विज्ञान और पादप( वनस्पति) विज्ञान से सम्बद्ध वैज्ञानिक,प्रोफेसर,रिसर्चर और छात्र व छात्राये बड़ी संख्या में शामिल होकर शोध पत्रों की प्रस्तुति करते हैं।इन क्षेत्रों से जुड़े करीब 60 हजार से अधिक सदस्य इंडियन साइंस कांग्रेस के सदस्य हैं।
शोध पत्रों की प्रस्तुति के बाद उन्हें सर्टिफिकेट मिलता है। सर्टिफिकेट दो तरह के दिये जाते हैं जिसमे एक इंडियन साइंस कांग्रेस में भाग लेने और दूसरा रिसर्च पेपर की प्रस्तुति से संबधित होता है।
बिहार से भी बड़ी संख्या में प्रोफेसर,रिसर्चर और छात्र छात्राएं इंडियन साइंस कांग्रेस में हिस्सा लेते हैं जिसमें सबसे बड़ी संख्या में वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के सदस्य होते हैं। रसायन विज्ञान के सेक्सन में तो प्रति वर्ष दो दर्जन से अधिक सदस्यों के शोध पत्र प्रस्तुत किये जाते हैं जो देश के अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में सबसे अधिक होता है।
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