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Bihar: पूर्व मंत्री की हत्या मामले में पूर्व विधायक को आजीवन कारावास, पूर्व सांसद सूरजभान बरी

October 03, 2024

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने गुरुवार को बिहार (Bihar) के पूर्व मंत्री ( former minister) बृज बिहारी प्रसाद (Brij Bihari Prasad) की 1998 में हुई हत्या के मामले में सजा का एलान किया। कोर्ट ने पूर्व विधायक (Former MLA) मुन्ना शुक्ला (munna shukla) समेत दो लोगों को आजीवन कारावास (life imprisonment) की सजा सुनाई। जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की पीठ ने सभी आरोपियों को बरी करने के पटना हाईकोर्ट के फैसले को आंशिक रूप से खारिज कर दिया।


कोर्ट ने दोषियों मंटू तिवारी और पूर्व विधायक शुक्ला को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत छह अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार उन्हें बरी करने के फैसले को बरकरार रखा। पीठ ने कहा कि मंटू और विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप साबित होते। उन्हें 15 दिनों के अंदर आत्मसमर्पण करना होगा।

हाईकोर्ट और निचली अदालत में क्या हुआ था?
इससे पहले 24 जुलाई 2014 को हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष के सबूतों और गवाहों को मद्देनजर रखते हुए सूरजभान सिंह उर्फ सूरज सिंह, मुकेश सिंह, लल्लन सिंह, मंटू तिवारी, कैप्टन सुनील सिंह, राम निरंजन चौधरी, शशि कुमार राय, मुन्ना शुक्ला और राजन तिवारी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने निचली अदालत के 12 अगस्त 2009 के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था और सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

किसने दी थी फैसले को चुनौती?
पूर्व भाजपा सांसद रमा देवी (बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी) और सीबीआई ने सबूतों के अभाव में आरोपियों को बरी करने के हाईकोर्ट के 2014 के आदेश को चुनौती दी थी।

उच्चतम न्यायालय ने 1998 में हुई बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला सहित दो आरोपियों को दोषी ठहराया। इसके साथ ही कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला सहित दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने मामले में पटना हाईकोर्ट के आदेश को आंशिक रूप से निरस्त कर दिया। कोर्ट ने दोषियों मंटू तिवारी तथा पूर्व विधायक शुक्ला को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह और अन्य को संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी करने के फैसले को बरकरार रखा।

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