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    बिहार चुनावः नीतीशकुमार की पहली डिजिटल रैली, कोरोना से मौत पर 4 लाख की मदद

  • September 07, 2020

    पटना। जैसे-जैसे बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज होती जा रही है पक्ष-विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर होते जा रहे हैं। आज राज्य के सीएम नीतीश कुमार ने पहली डिजिटल रैली की और विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। सूबे के मुखिया ने कोरोना टेस्ट से लेकर बिजली पर अपनी सरकार के काम गिनाए और विपक्षियों पर हमला किया। उन्होंने कहा कि बोलने वाले तो कुछ भी बोलते रहते हैं, उन्हें तथ्यों की जानकारी तो होती नहीं। बिहार में अब घर-घर बिजली आ गई है, ऐसे में लालटेन की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री ने कोरोना संकट का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में इस समय प्रतिदिन डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों की जांच हो रही। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना महामारी से मौत होने की परिस्थिति में परिजनों को 4 लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला लिया है।
    सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि कोरोना का जो दौर चला उस पर मार्च से हम लोगों ने ध्यान देना शुरू कर दिया था। सब लोगों को सचेत रहना चाहिए। लॉकडाउन में हमने लोगों को प्रेरित किया। लॉकडाउन खत्म होने के बाद अनलॉक-1 शुरू हुआ। आज बिहार में प्रतिदिन 1 लाख 50 हजार से ज्यादा कोरोना जांच हो रही है। सबसे ज्यादा जांच एंटीजन टेस्ट से हो रही है। जांच में शीघ्रता के लिए राज्य सरकार 10 आरटीपीसीआर मशीन खरीद रही है।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कोरोना टेस्ट से लेकर इलाज को लेकर कई जरूरी कदम उठाए हैं। इस महामारी से मौत होने की परिस्थिति में परिजनों को 4 लाख रुपया मुआवजा देना तय किया है। राज्यभर के प्रवासी लोगों को 14 दिन क्ववारंटीन सेंटर में रखा। 15 लाख से ज्यादा लोग वापस बिहार आए। क्वारंटीन सेंटर में एक व्यक्ति पर 14 दिन में 5,300 रुपये खर्च किए गए। केंद्र और हमने राशन के मामले में भी लोगों की मदद की। हम प्रचार नहीं करते, सेवा करते हैं।
    नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में ठीक होने वालों का प्रतिशत सबसे ज्यादा 88.24 फीसदी है। कोरोना की जांच अब प्रखंड स्तर पर हो रही है। इलाज के लिए त्रिस्तरीय व्यवस्था की गयी है। होम आइसोलेशन के अलावा कोविड केयर, कोविड हेल्थ सेंटर और कोविड अस्पताल में इलाज किया जा रहा। अगर किसी स्वास्थ्य कर्मी की मौत होती है, तो आश्रित को नौकरी देने का फैसला लिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से स्वास्थ्य कर्मियों को 50 लाख का बीमा दिया गया है।
    नीतीश कुमार ने कहा कि कोई नहीं जानता कि कल क्या होगा। कोरोना के इलाज के लिए बिहटा (पटना), पताही (मुजफ्फरपुर) में केंद्र 500-500 बेड का अस्पताल तैयार कर रही है। केंद्र की तरफ से काम हो रहा है और राज्य की तरफ से सहयोग भी किया जा रहा है। हम तो रोजगार सृजन भी कर रहे हैं। बोलने वाले पता नहीं कुछ भी बोल रहे हैं, उन्हें पता भी नहीं कि क्या काम चल रहा है। राज्य सरकार की तरफ से 5,50,246 योजनाओं में 14 लाख से ज्यादा रोजगार का सृजन किया गया है। औसतन प्रतिदिन लगभग दस लाख लोगों को काम मिल रहा है।
    बिहार चुनाव के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने लोगों से खास अपील की। नीतीश कुमार ने कहा है कि लोगों को कोरोना से और सतर्क रहना होगा। मैंने कई जगहों पर लोगों को बिना मास्क के देखा है। लोगों को सबको प्रेरित करना होगा, सभी लोगों को मास्क का प्रयोग करना है। सभी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। घर के बुजुर्ग, गंभीर बीमारी से पीड़ित, गर्भवती महिलाएं और बच्चे बेवजह और जब तक बहुत जरूरी न हो तब तक घर से बाहर नहीं निकलें।
    नीतीश कुमार ने कहा कि बाढ़ आया, फिर सूखा आया, फिर बाढ़ आया। 83 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ प्रभावित हुए। सामुदायिक किचन से पूरे राज्य में 10 लाख लोगों को खाना खिलाया। साथ ही कोरोना की जांच भी करवाई। बाढ़ की वजह से 16 से भी ज्यादा जिले प्रभावित हैं। हम हरसंभव लोगों को राशन पहुंचा रहे हैं। सामुदायिक रसोई के माध्यम से सब को खाना खिलाया जा रहा है। जरा याद कीजिए कि आपदा के वक्त पहले क्या करते थे।
    मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि आधारित उद्योग के लिए नई नीति बनाई। केंद्र की योजना से अलग राज्य सरकार अपने खजाने से मिड डे मील की राशि लाभार्थियों के खाते में दे रही है। बिहार में अपराध के ग्राफ में भी गिरावट आई। 2005 में हमने सत्ता संभाली और तब से लेकर हम अपराध पर जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाए हुए हैं। बिहार में ज्यादातर अपराध की वजह भूमि विवाद है। इसके अलावा आपस में लोग परिवार का बंटवारा नहीं करते थे क्योंकि रजिस्ट्री का चार्ज काफी ज्यादा होता था। लेकिन अब परिवार में बंटवारे के लिए 100 रुपये का सांकेतिक रजिस्ट्री चार्ज लगता है।
    नीतीश कुमार ने विरोधियों और खासतौर पर लालू यादव-राबड़ी देवी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि हमसे पहले जिन लोगों ने सत्ता चलाई उन्होंने क्या किया, कब्रिस्तान और मंदिरों का हाल ही देख लीजिए। न कब्रिस्तान की घेराबंदी थी और न ही मूर्ति चोरी रोकने के उपाय थे। हमने 6099 कब्रिस्तानों की घेराबंदी करवाई। मंदिर में मूर्ति चोरी रोकने के लिए 226 मंदिरों में चहारदीवारी निर्माण कार्य पूरा कर दिया। हमने भागलपुर दंगों की जांच पूरी करवाई। कई ऐसे काम थे जो हमने करवाए।
    नीतीश कुमार ने कहा कि पहले तो गड्ढे में सड़क दिखती थी, अब कोई भी खुद देख सकता है। हमको जब काम करने का मौका मिला तो हमने लक्ष्य रखा कि कहीं से भी राजधानी पटना आने में 6 घंटे से ज्यादा समय न लगे। वो लक्ष्य पूरा हुआ तो हमने अब समय को घटाकर 5 घंटे करने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए सड़कों का चौड़ीकरण और नए पुलों का निर्माण किया जा रहा है। 54,461 करोड़ रुपयों की लागत से हमने सड़कों का निर्माण करवाया है। सड़कों की गुणवत्ता सही रखने के लिए हमने इसे भी लोक शिकायत निवारण कानून के दायरे में लाया। जो बच्चे थे उस वक्त, उन्हें हमारे लोग बताएं कि पहले बिहार का क्या हाल था और अब कितना अच्छा हो चुका है। ये नए युवा वोटरों को बताना जरूरी है ताकि वो गलत लोगों के साथ न जाएं।
    नीतीश कुमार ने कहा कि जब मैं सांसद के तौर पर मोकामा टाल इलाके में घूम रहा था तो 8 साल के एक बच्चे ने मुझसे कहा कि अब हम पढ़ेंगे नहीं। स्कूल में टीचर नहीं थे तो कहीं स्कूल ही नहीं था। लेकिन हमने न सिर्फ स्कूल बनाए, बने स्कूलों को ठीक किया बल्कि शिक्षकों की भी बड़े पैमाने पर नियुक्ति की। हमें रिसर्च से पता चला कि महादलित बच्चे स्कूल पहुंच ही नहीं पाते थे। इसीलिए हमने 20 हजार टोला सेवकों और तालीमी मरकज को काम पर लगाया और इन बच्चों को स्कूल पहुंचाया। पांचवी क्लास के बाद तो लोग बेटियों को स्कूल भेजना बंद कर देते थे क्योंकि उसके लिए ढंग के कपड़ा चाहिए होते थे, हमने पोशाक योजना शुरू कर गरीब मां-बाप को स्कूल भेजने के लिए माहौल तैयार किया।
    नीतीश कुमार ने कहा कि हमने बच्चियों के लिए साइकिल योजना शुरू किया। हर परिवार की बेटी को साइकिल मिली और वो स्कूल जाने लगीं। इससे बेटियों में मनोबल बढ़ा। कई बार तो लड़कों ने मुझे दौरे में कहा कि अंकल हम लोगों के लिए लिए भी कुछ कीजिए। तो हमने लड़कों के लिए भी में साइकिल योजना शुरू की। बिहार में सत्ता संभालने वक्त प्रजनन दर 4.3 था लेकिन हमने इसे घटाकर 3.2 किया। हमने प्रजनन दर घटाने के लिए भी काम किया। पत्नियां अगर 12वीं पास हैं तो पूरे देश का औसत 1.7 है जबकि बिहार में 1.6 है। मेरे मन में यूरेका (चमत्कार) की भावना आई। हमने तय किया कि हर बच्ची को कम से कम इंटर तक पढ़ाएंगे। हमने पंचायतों में उच्च माध्यमिक शिक्षा शुरू की। अभी भी काम प्रगति पर है।

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