नई दिल्ली: टाटा स्टील और ब्रिटेन सरकार के बीच एक बड़ी डील हुई है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की सरकार टाटा ग्रुप को 50 करोड पाउंड (करीब 5145 करोड़ रुपये) देने के लिए तैयार हो गई है. ब्रिटेन सरकार प्रदूषण के स्तर को कम करना चाहती है, जिसके लिए उसने टाटा स्टील से ब्रिटेन के सबसे बड़े स्टील प्लांट साइट में से एक वेल्श साइट के डी-कार्बनाइज के लिए कहा था, लेकिन टाटा ने सरकार की मदद के बिना कुछ भी करने से हाथ खड़े कर दिए थे.
अब टाटा स्टील और ब्रिटेन सरकार स्टील के इस प्लांट को कम कार्बन उत्सर्जन वाले प्लांट में बदलेंगे. इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत करीब 13,000 करोड़ रुपये बैठेगी. इसमें टाटा स्टील की ओर से करीब 7700 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा. अभी इस प्लांट में कोयले से जलने वाली भट्टी का इस्तेमाल होता है, जो बहुत प्रदूषण करता है. अब टाटा स्टील इनकी जगह इलेक्ट्रिक भट्टी का उपयोग करेगी.
3000 नौकरियों पर आएगी आंच
टाटा स्टील यूके और ब्रिटेन सरकार के इस कदम से प्रदूषण के स्तर में तो कमी आएगी, लेकिन इसका बड़ा असर वहां के रोजगार पर पड़ेगा. टाटा स्टील के ब्रिटेन स्थित फैक्टरी में करीब 8,000 लोग काम करते हैं. फैक्टरी का इलेक्ट्रिफिकेशन होने से करीब 3,000 लोगों का रोजगार कम होगा, क्योंकि इलेक्ट्रिक भट्टी में कम लेबर की जरूरत होती है.
हालांकि ब्रिटेन के बिजनेस और ट्रेड मंत्री केमी बैडेनॉश का कहना है कि सरकार के इस निवेश से ब्रिटेन में 5,000 लोगों की नौकरियां बचेंगी. इस निवेश के बिना हमें वेल्श में बनी ये पोर्ट टैलबॉट साइअट बंद करनी पड़ती और देश में शायद स्टील बनने का अंत हो जाता. अब इस निवेश की बदौलत पूरे देश के कार्बन उत्सर्जन में करीब 1.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी.
टाटा ने कर दिया था मना
भारत के टाटा ग्रुप ने ब्रिटेन की सरकार से साफ मना कर दिया था कि बिना सरकारी मदद के वह इस प्लांट को फॉसिल एनर्जी से ग्रीन एनर्जी में ट्रांसफर नहीं कर पाएंगी. इसके बजाय देश में स्टील बनाना बंद करना उसके लिए ज्यादा मुफीद साबित होगा. लंबे समय तक चली बातचीत के बाद अब टाटा ग्रुप के प्लांट में सरकार निवेश करने के लिए तैयार हो गई है.
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