बंगलुरू (Bangalore)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) (Indian Space Research Organization (ISRO)) के सौर मिशन आदित्य एल-1 (Solar Mission Aditya L-1) को अहम कामयाबी मिली है। इसे इन-सीटू (In-situ) पेलोड प्लाज्मा एनालाइजर (payload plasma analyzer package for Aditya) पैकेज फॉर आदित्य (पापा) (Papa) ने सूरज के बाहरी क्षेत्र कोरोना से प्लाज्मा निकलने की घटना दर्ज की है। कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) कही जाने वाली इस घटना को दर्ज किया जाना सौर गतिविधियों के अध्ययन के लिहाज से अहम है। पापा के सेंसर ने सीएमई के दौरान सौर पवन में इलेक्ट्रॉन और आयन की संख्या में भारी इजाफा दर्ज किया।
पेलोड पापा को विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर की स्पेस फिजिक्स लेबोरेट्री एंड एवियोनिक्स एनटिटी ने तैयार किया है। इसरो ने बताया कि सूर्य की सतह पर कोरोनल मास इजेक्शन की घटना को इससे पहले 15 दिसंबर, 2023 को और फिर 10-11 फरवरी 2024 को भी दर्ज किया गया था।
पवन की दिशा का भी लगता है पता
इसरो ने बताया कि पापा को सौर पवनों में मौजूद इलेक्ट्रॉन और आयन की समीक्षा के लिए बनाया गया है। इसमें दो सेंसर सोaलर विंड इलेक्ट्रॉन एनर्जी प्रोब (स्वीप) और सोलर विंड आयन कंपोजिशन एनालाइजर (स्वीकार) लगे हैं। स्वीप सेंसर 10 इलेक्ट्रॉनवोल्ट से लेकर 3 किलो इलेक्ट्रॉनवोल्ट तक की रेंज में इलेक्ट्रॉन की गणना करता है। वहीं, स्वीकार 10 इलेक्ट्रॉनवोल्ट से लेकर 25 किलो इलेक्ट्रॉनवोल्ट के बीच के इलेक्ट्रॉन की गणना करता है।
सात पेलोड हैं आदित्य पर
आदित्य एल1 को पिछले वर्ष 2 सितंबर को पीएसएलवी-सी57 से लॉन्च किया गया था। आदित्य एल-1 पर सूर्य के अध्ययन के लिए सात पेलोड लगे हैं, जिनमें चार पेलोड सूरज से आने वाली रोशनी की समीक्षा के लिए हैं और तीन पेलोड सूर्य के प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्र का अध्ययन कर रहे हैं। आदित्य एल1 को सू्र्य की लैग्रेजियन पॉइंट एल1 पर हेलो ऑर्बिट में रखा गया है। यह धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है।
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