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    शिंदे-फडणवीस सरकार का बड़ा कदम, पिछली एमवीए शासन के आधा दर्जन फैसलों को पलटा

  • October 23, 2022

    मुंबई। महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे-भाजपा सरकार ने पिछले महा विकास अघाड़ी (MVA) शासन द्वारा लिए गए कम से कम आधा दर्जन फैसलों पर रोक लगा दी है या पलट दिया है। इन फैसलों में आरे मेट्रो कार शेड को स्थानांतरित करना और सीबीआई को सामान्य सहमति बहाल करने जैसे प्रमुख निर्णय हैं। सरकार के इस फैसले के बाद से राजनीति भी तेज हो गई है। आइए जानते हैं वर्तमान की शिंदे-भाजपा सरकार ने पिछली एमवीए सरकार के कौन-कौन से फैसले पलटे हैं।

    आरे मेट्रो कार शेड को स्थानांतरित करना
    महाराष्ट्र के नए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जुलाई के महीने में मेट्रो कार शेड (Metro card shed) को आरे कॉलोनी में शिफ्ट करने का निर्देश दिया था। इससे पहले उद्धव ठाकरे सरकार ने जगह को कांजूर मार्ग में बदल दिया था। इसके अलावा परियोजना का विरोध करने वालों पर लगे आरोप भी वापस ले लिए गए।

    सीबीआई अब बिना अनुमति के राज्य के मामलों में जांच कर सकेगी
    सीबीआई अब बिना अनुमति के राज्य के मामलों में जांच कर सकेगी। दरअसल महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ने पिछली महाविकास अघाड़ी सरकार के फैसले को पलट दिया है। ठाकरे नेतृत्व वाली एमवीए सरकार ने एजेंसी को दी हुई यह सामान्य सहमति वापस ले ली थी।

    पुलिस कर्मियों को रियायती ब्याज दरों पर होम लोन लेने की अनुमति
    महाराष्ट्र कैबिनेट ने पुलिस कर्मियों को रियायती ब्याज दरों पर होम लोन लेने की अनुमति देने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह योजना पहले 2017 में शुरू की गई थी और 2019 तक लागू की गई थी, मगर बाद में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार ने इसे बंद कर दिया था।


    महाराष्ट्र सार्वजनिक विश्वविद्यालय अधिनियम संशोधन
    महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को इस विधेयक को वापस लेने का फैसला किया है, जिसने राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलपतिओं की नियुक्ति में राज्यपाल की शक्तियों को कम कर दिया था। महाराष्ट्र सार्वजनिक विश्वविद्यालय अधिनियम, 2016 में संशोधन करने वाले विधेयक को वापस लेने का निर्णय मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक में लिया गया। पिछली शिवसेना के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार द्वारा अधिनियम में संशोधन किया गया था। संशोधन का उद्देश्य राज्यपाल की शक्तियों पर अंकुश लगाना था, जिनके साथ तत्कालीन उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार के असहज संबंध थे। हालांकि, विधेयक को इस आधार पर मंजूरी नहीं दी गई थी कि यह विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के प्रावधानों के खिलाफ है।

    शिंदे सरकार ने एपीएमसी बाजार में किसानों के मतदान के अधिकार को बहाल करने का फैसला किया
    शिंदे सरकार ने उन किसानों के मतदान के अधिकार को बहाल करने का फैसला किया, जिनके पास 0.25 एकड़ (1,000 वर्ग मीटर) जमीन है और जिन्होंने पिछले पांच वर्षों में कम से कम तीन बार एपीएमसी बाजार में अपनी उपज बेची है, जहां वह मतदाता बनना चाहता है। चुनावी बदलाव को सरकार द्वारा सहकारी क्षेत्र और स्थानीय निकायों में राकांपा और कांग्रेस के गढ़ को तोड़ने के प्रयास के रूप में देखा गया।

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