नई दिल्ली (New Dehli)। भाजपा (B J P)नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय (tribal community)से आने वाले विष्णु देव साय (Vishnu Dev Sai)को मुख्यमंत्री बनकर भविष्य की रणनीति (strategy)के कई निशाने एक साथ साधने की कोशिश की है। पार्टी ने दो उपमुख्यमंत्री बनाकर सामाजिक और राजनीतिक संतुलन बनाने का भी काम किया है। पार्टी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान के लिए भी संकेत दिए हैं।
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने सामाजिक राजनीतिक और पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को पूरी तरह साधते हुए लोकसभा चुनाव की रणनीति को भी ध्यान में रखा है। यही वजह है कि आदिवासी वर्ग से आने वाले विष्णु देव साय को मुख्यमंत्री और उनके साथ ओबीसी समुदाय से आने वाले प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को और सामान्य वर्ग के विजय शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है।
छत्तीसगढ़ के बारे में जो रणनीति भाजपा नेतृत्व ने सामने रखी है, उससे मध्य प्रदेश और राजस्थान की गुत्थी भी सुलझने की पूरी-पूरी संभावना है। इन दोनों राज्यों में भी यही समीकरण अपनाए जा सकते हैं, ताकि पार्टी के सामाजिक, राजनीतिक और अंदरूनी समीकरणों को साधने के साथ लोकसभा चुनाव की रणनीति पर भी तेजी से अमल किया जा सके।
इसमें झारखंड और ओडिशा राज्यों की राजनीति भी शामिल है। ओडिशा में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा चुनाव भी होने हैं। पार्टी में आदिवासी मुख्यमंत्री के जरिए देश भर के आदिवासी समुदाय को भी बड़ा संदेश दिया है।
छत्तीसगढ़ में लगभग 33 फीसद आदिवासी आबादी है, लेकिन इसके पहले जब राज्य में भाजपा की तीन बार सरकार बनी, तब उसने डॉ रमन सिंह को ही मुख्यमंत्री बनाए रखा। लेकिन इस बार बड़ा बदलाव करते हुए उसने आदिवासी वर्ग को मुख्यमंत्री पद देने का फैसला किया है।
2024 की रणनीति बनाई जा रही
भाजपा ने 2024 की रणनीति में आदिवासी समुदाय को अपने खास रणनीति से शामिल किया हुआ है। वह लगातार देश भर के आदिवासी समुदाय को संदेश दे रही है। चाहे वह द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनना हो या भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को जनजातीय दिवस मनाने की घोषणा करना। अब उसने आदिवासी मुख्यमंत्री बना कर अपनी इस रणनीति को और पुख्ता किया है।
इसके जरिए भी भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में देश भर के आदिवासी वर्ग को अपनी इस रणनीति से साधने की कोशिश करेगी। देश के विभिन्न राज्यों में आदिवासी समुदाय काफी महत्वपूर्ण भूमिका में है। इसमें पूर्वोत्तर का पूरा क्षेत्र शामिल है। इसके अलावा, झारखंड, ओडिशा, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान का भी एक हिस्सा आदिवासी बहुल है।
छत्तीसगढ़ में आदिवासी मुख्यमंत्री देने के बाद भाजपा ने मध्यप्रदेश और राजस्थान के लिए भी अपने विधायक दल के नेताओं के चयन की गुत्थी को कुछ सुलझाने की कोशिश की है। संभावना है कि मध्य प्रदेश में पार्टी ओबीसी समुदाय और राजस्थान में ओबीसी या दलित समुदाय के अलावा अगड़ी जाति को भी पर भी दांव लगा सकती है।
राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के चलते पेंच फंसा हुआ है। सबसे बाद में यानी मंगलवार को राजस्थान विधायक दल की बैठक बुलाई गई है। इसके पहले सोमवार को मध्य प्रदेश में नए नेता के चुनाव के साथ मुख्यमंत्री का फैसला किया जाएगा।
मध्य प्रदेश-राजस्थान में संतुलन साधने की कोशिश
मध्य प्रदेश के जरिए राजस्थान की राजनीति को भी संतुलित करने की कोशिश की जाएगी। ऐसे में जिन प्रमुख नामों की चर्चा है, उनमें मौजूदा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राकेश सिंह, कैलाश विजयवर्गीय जैसे नाम शामिल है।
वहीं, राजस्थान में वसुंधरा राजे के साथ अर्जुन मेघवाल, किरोड़ी लाल मीणा, राज्य वर्धन राठौड़, बाबा बालक नाथ, ओम बिरला, दिया सिंह, सीपी जोशी के नाम भी चर्चा में हैं। हालांकि, पार्टी ने संकेत दिए हैं कि विधायकों में से ही नए नेता का चयन करेगी।
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