नई दिल्ली: पढ़ाई के लिए यूनाइटेड किंगडम जाने वाले छात्रों को यूके सरकार की ओर से बनाए गए नए आप्रवास प्रतिबंध नियम से बड़ा झटका लगा है. इसकी वजह से छात्र अपने परिवार के सदस्यों को यूके नहीं ले जा पाएंगे. आंकड़े जारी करने के दो दिन पहले यह घोषणा की गई है. आंकड़ों के मुताबिक लीगल माइग्रेशन का रिकॉर्ड 7 लाख पहुंच गया है. यूके ने पिछले साल ही विदेशी छात्रों के परिजनों को 1,35,788 वीजा दिए हैं जो कि 2019 के मुकाबले 9 गुना हैं.
यूके सरकार के प्रवासी छात्रों को लेकर नियमों में बदलाव की वजह से कई भारतीयों का यूके जाने का सपना चकनाचूर हो सकता है. दरअसल कई भारतीय छात्र यूके में पढ़ाई के लिए जाते हैं, इसके बाद उनके परिजन भी आसानी से यूके का वीजा हासिल कर लेते हैं. लेकिन नए नियमों की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाएंगे. यूके के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने कहा है कि यह फैसला माइग्रेशन को यूके में कम करेगा.
सरकार पर माइग्रेशन कम करने का दवाब
ऋषि सुनक ने कैबिनेट से कहा कि यह बदलाव जनवरी 2024 से लागू किया जाएगा, इसकी वजह से माइग्रेशन के नंबर्स में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. हालांकि फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि ऑफिशियल माइग्रेशन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा. क्योंकि फिलहाल एक साल से कम समय के लिए आने वाले छात्रों और उनके परिजनों की गिनती नहीं की जाती है. पिछले हफ्ते भी सुनक ने कहा था कि उनके मंत्री माइग्रेशन को कम करने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि इस दौरान उन्होंने एक्सेप्टेड लेवल्स क्या होंगे इस पर चर्चा करने से इनकार कर दिया.
यहां जानें क्या है नियम
अनाउंसमेंट में कहा गया है कि पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के पैरेंट्स और बच्चे साथ ही जो छात्र रिसर्च प्रोग्राम्स पर स्टडी कर रहे हैं उन्हें कोर्स के दौरान यूके में रहने के लिए वीजा नहीं दिया जाएगा. पिछले साल यूके ने छात्रों के आश्रितों को 1,35,788 वीजा जारी किए थे. यह नंबर्स 2021 से 54,486 ज्यादा हैं. यह 2020 के मुकाबले सात गुना है. छात्रों की संख्या यूके में ब्रेक्जिट के बाद यूरोपियन इकोनोमिक एरिया (EEA) के सामने आने के बाद से बढ़ी है.
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