इंदौर (Indore), अमित जलधारी। शहरी एबी रोड (बीआरटीएस कॉरिडोर) पर एमआर-9 चौराहे से नौलखा के आगे तक प्रस्तावित एलिवेटेड ब्रिज (proposed elevated bridge) को लेकर नया पेंच फंस गया है। ब्रिज के पिलर मेट्रो ट्रेन की क्षमता लायक बनाने को लेकर पीडब्ल्यूडी तैयार तो है, लेकिन इससे प्रोजेक्ट की लागत 20 प्रतिशत तक बढ़ेगी। इधर, एलिवेटेड ब्रिज बनाने के लिए टेंडर प्रक्रिया पहले ही पूरी हो चुकी है और ठेकेदार एजेंसी को 2022 में काम सौंपा जा चुका है। यदि पीडब्ल्यूडी ठेका निरस्त करेगा, तो मामला कोर्ट जाएगा। एक बार प्रोजेक्ट कानूनी उलझनों मे जकड़ा तो देरी तो होगी ही, विभाग को ठेकेदार कंपनी को तगड़ा मुआवजा देना पड़ सकता है।
सांसद शंकर लालवानी (MP Shankar Lalwani) चाहते हैं कि भविष्य को देखते हुए बीआरटीएस कॉरिडोर पर अभी से मेट्रो ट्रेन के लिए इंतजाम हो जाएं। यदि अभी सामान्य एलिवेटेड ब्रिज बना दिया गया, तो लंबे समय तक उसमें कोई बदलाव नहीं हो सकेगा और शहर का महत्वपूर्ण मार्ग मेट्रोविहीन रहेगा। सांसद ने पीडब्ल्यूडी अफसरों को कहा है कि वे कुछ रास्ता निकालकर मौजूदा ठेकेदार से ही अतिरिक्त काम करवाने की कोशिश करें। हालांकि, तकनीकी और कानूनी जटिलताओं के कारण अफसरों के भी हाथ बंधे हैं। सांसद ने इस मामले को सीएम शिवराजसिंह चौहान के दरबार में ले जाने का मन बना लिया है।
केंद्र ने मंजूर किए हैं 325 करोड़
केंद्रीय सडक़ परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इंदौर के एलिवेटेड ब्रिज प्रोजेक्ट के लिए 325 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। योजना मंजूर हुए करीब चार साल का वक्त गुजर गया है। डर यह है कि जल्द ही इसका उपयोग नहीं किया गया, तो कहीं राशि लैप्स न हो जाए।
गडकरी ने दिया था सुझाव
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने नागपुर में थ्री लेयर फ्लायओवर बनवाया है, जिसमें एक लेयर पर मेट्रो ट्रेन चल रही है। इस फ्लायओवर ने देशभर में सुर्खियां बटोरी थीं। पिछले साल इंदौर प्रवास के दौरान गडकरी ने सांसद को सुझाव दिया था कि वे इंदौर में उचित स्थान पर ऐसा प्रयोग करें। इसमें लागत कम आएगी और एक साथ मेट्रो, बस और सामान्य वाहन चल सकेंगे।
सीएम से ही निकलवाएंगे रास्ता
सांसद लालवानी का कहना है कि जल्द ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों से चर्चा कर सीएम के समक्ष प्रकरण लाएंगे। एबी पर यदि अभी मेट्रो की व्यवस्था नहीं हुई, तो आने वाले 100 साल तक वहां मेट्रो नहीं आ सकेगी। मेट्रो लायक क्षमता के पिलर बनाने में जो लागत बढ़ेगी, वह मेट्रो कंपनी दे देगी। यह सही है कि प्रोजेक्ट में देरी होती जा रही है।
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