नई दिल्ली: इलेक्ट्रिक वाहनों (Electric Vehicles) की बिक्री को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने साल 2019 में फेम-2 स्कीम (FAME-2) को लागू किया था. लेकिन अब इस योजना में बड़े पैमाने पर धांधलियों का पता चला है. सरकार ने इनकी बिक्री बढ़ाने के लिए 10,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी (Subsidy) देने का ऐलान किया था, पर निर्माताओं ने अस्पष्ट दिशा-निर्देशों का फायदा उठाते हुए लक्ष्य से आधे स्कूटर बेचकर साढ़े तीन गुना सब्सिडी का फायदा उठा लिया.
भारी उद्योग मंत्रालय की आतंरिक जाँच के बाद संकेत मिल रहे हैं कि फेम-3 लाने में इसलिए देरी हो रही है क्योंकि फेम-2 में गड़बड़ियां पाई गई हैं. फेम-2 स्कीम मार्च 2019 में लागू की गई थी, जिसमें 7,090 ई-बस, 5 लाख ई-थ्री व्हीलर और 10 लाख टू-व्हीलर को प्रोत्साहन देने का लक्ष्य था, लेकिन लक्ष्य भी पूरा नहीं हुआ और सरकार के खजाने से ज्यादा पैसा भी निकल गया.
फेम-2 स्कीम में गड़बड़ी करने वाले निर्माताओं से सरकार अतरिक्त सब्सिडी की वसूली कर रही है. सरकार ने कई ऐसी कंपनियों को ब्लैक लिस्ट भी किया है, जिनकी कुल बाजार हिस्सेदारी 37% से भी अधिक है. ऐसे में यदि फेम-3 स्कीम लाई जाती है तो निर्माताओं का बड़ा हिस्सा शामिल नहीं हो सकेगा.
फेम-2 स्कीम के तहत ऊंचे दाम वाले वाहनों के बजाय कम कीमत के वाहनों को सब्सिडी देने की योजना बनाई गई थी. इसमें ऐसे ई-स्कूटरों को फायदा पहुंचाने का लक्ष्य था जिनकी एक्स-फैक्ट्री कीमत 1.5 लाख तक है. सब्सिडी की राशि तय करने के लिए बैटरी को पैमाना माना गया. तय किया गया कि प्रति किलोवाट बैटरी पर 10,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी और यह एक्स-फैक्ट्री कीमत का 15% से अधिक न हो. स्कीम में स्वदेशीकरण और लोकल मैन्युफैक्चरिंग पर भी जोर दिया गया, लेकिन इसके लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय नहीं थे.
तीन साल तक के लिए लागू रहने वाली फेम-2 स्कीम में 10 लाख टू-व्हीलर का लक्ष्य बढ़ाकर 15 लाख कर दिया गया. योजना अवधि समाप्त होने के बाद केवल 7 लाख इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर पर ही सब्सिडी दी जा सकी. यह कुल 2000 करोड़ रुपये दी जानी थी लेकिन 3211 करोड़ रुपये की सब्सिडी दे दी गई, जो लक्ष्य से 60% अधिक थी.
फेम-2 स्कीम के तहत प्रति वाहन अधिकतम 12,903 रुपये की सब्सिडी दी जानी थी, लेकिन कुछ कंपनियों ने 44,653 रुपये तक की सब्सिडी ले ली. यह सब्सिडी बैटरी की क्षमता के आधार पर निर्धारित की गई थी, जिसमें प्रति किलोवॉट 10,000 रुपये की दर से सब्सिडी दी जानी थी. इसके साथ ही एक्स-फैक्ट्री कीमत 1.5 लाख रुपये से अधिक न हो, इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाना था.
फेम-2 योजना में भ्रष्टाचार और धांधलियों का खुलासा होने के बाद, फेम-3 योजना के लागू होने में देरी हो रही है. फेम-3 के लिए प्रस्तावित नीतियों में कंपनियों की सख्त जांच की जाएगी और उन पर ज्यादा कड़ी निगरानी रखी जाएगी. फिलहाल, दो प्रमुख कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है, यदि फेम-3 योजना लाई जाती है, तो इन कंपनियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा. सरकार अब अतिरिक्त सब्सिडी की वसूली के प्रयास कर रही है, ताकि इस योजना में हो रही गड़बड़ियों को सुधारा जा सके और भविष्य में ऐसा दोबारा न हो.
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