अब पटवारी बनाएंगे नई टीम, प्रदेश की टीम भंग पड़ी है तो इंदौर में पुरानी टीम से चल रहा काम
इंदौर। कांग्रेस (Congress) के प्रदेश अध्यक्ष (State President) पटवारी (jitu patwari) ने अब संगठन में व्यापक फेरबदल करने के संकेत दिए हैं। चुनाव निपटने के बाद उन्होंने कहा कि कभी भी संगठन (Organization) में नीचे से लेकर ऊपर तक फेरबदल (shuffle) किया जा सकता है। इसमें इंदौर (indore)के ग्रामीण और शहर अध्यक्षों के नाम भी शामिल हैं, वहीं निष्क्रिय नेताओं को पद नहीं देकर सक्रिय युवाओं को पद देने पर भी विचार किया जा रहा है। फिलहाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी भंग पड़ी हुई है और शहर की कमेटी को पुराने पदाधिकारियों से काम चलाया जा रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनते से ही पटवारी ने स्पष्ट कर दिया था कि अभी संगठन में कोई फेरबदल नहीं किया जाएगा, लेकिन जैसे ही प्रदेश में लोकसभा चुनाव निपटे कल पटवारी ने भोपाल में स्पष्ट कह दिया कि संगठन में व्यापक फेरबदल होगा। इसके पहले कमलनाथ के समय से प्रदेश कांग्रेस भंग पड़ी हुई है। पटवारी ने इसी कार्यकारिणी से काम चलाया और कुछ महत्वपूर्ण पदों पर चुनाव के पहले नियुक्तियां की, लेकिन अब बड़े स्तर पर उपाध्यक्ष, महासचिव, सचिव की नियुक्ति की जाना है। जिस तरह से प्रदेश में लोकसभा चुनाव के चारों चरण के पहले बड़ी संख्या में कांग्रेस के नेता और विधायक भाजपा में शामिल हुए और स्थानीय संगठन कुछ नहीं कर पाया। इसको लेकर भी संगठन पर सवालिया निशान खड़ा हुआ है। फिलहाल पटवारी पुरानी कार्यकारिणी से ही काम चला रहे थे। 68 लोगों की कमेटी बनाकर प्रदेश प्रभारी जितेन्द्रसिंह को अप्रूवल के लिए भेजी थी, लेकिन उस पर अभी विचार नहीं हो सका है। इसके साथ ही मीडिया विभाग में जरूर पटवारी ने अपने हिसाब से फेरबदल कर दिया था, जिसमें 32 प्रवक्ता बनाए गए थे। इंदौर शहर की बात की जाए तो यहां अध्यक्ष सुरजीतसिंह चड्ढा के अलावा कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में गोलू अग्निहोत्री, अरविन्द बागड़ी, अमन बजाज, देवेंद्रसिंह यादव, अंकित खड़ायता हैं, वहीं दो कार्यकारी अध्यक्ष लच्छू मिमरोट और टंटू शर्मा भाजपा में चले गए हैं। इसके अलावा शहर में प्रवक्ता भी हैं, जिनमें जौहर मानपुरवाला ही सक्रिय हैं। बाकी संजय बाकलीवाल और धर्मेन्द्र गेंदर को भी प्रवक्ता बना रखा है। सनी राजपाल और विवेक खंडेलवाल जैसे नेताओं को संभागीय प्रवक्ता बनाया गया था। सुरजीत के पहले विनय बाकलीवाल प्रमोद टंडन की कार्यकारिणी से ही काम चला रहे थे। हालांकि बाद में उन्होंने साढ़े तेरह सौ की कार्यकारिणी को छोटा कर करीब 700 नेताओं की कार्यकारिणी बनाकर तत्कालीन अध्यक्ष कमलनाथ के भेजी थी, जिसकी मंजूरी नहीं मिल सकी। ग्रामीण क्षेत्र में सदाशिव यादव का यह दूसरा कार्यकाल हैं। यहां जरूर यादव ने अपनी कार्यकारिणी बना ली थी और उससे कांग्रेस चला रहे थे, लेकिन यादव के अध्यक्ष रहते कांग्रेस को तोडऩे में भाजपा ने सफलता पाई और विशाल पटेल, अंतरसिंह दरबार तथा रामकिशोर शुक्ला जैसे नेताओं को उड़े। उनके साथ कई समर्थक भी भाजपा में शामिल हो गए। फिलहाल यादव को पटवारी का वरदहस्त हैं, लेकिन पटवारी इंदौर जैसे शहर में नया अध्यक्ष बनाने के पक्ष में हैं, ताकि नई कार्यकारिणी में सक्रिय नेताओं को मौका दिया जाए। सूत्रों का कहना है कि यह फेरबदल लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद किया जा सकता है या फिर पहले ही एक सूची जारी की जा सकती है। इस मामले में जीतू पटवारी का कहना है कि अभी इस पर विचार किया जा रहा है, हमें कोई जल्दबाजी नहीं है।
ब्लाक अध्यक्ष अभी भी है कायम
शहर में कुल 24 ब्लाक हैं। इसमें राऊ विधानसभा के दो ब्लाक भी शामिल हैं, जो शहरी क्षेत्र में आते हैं। ब्लाक स्तर पर संगठन ने कोई छेड़छाड़ नहीं की थी। हालांकि इन्हें भी लंबा समय हो गया है। अब जो कार्यकारिणी बनना है, उसमें इन्हें भी शामिल किया जाएगा। सूत्रों का कहना है कि एक तरह से पूरी कार्यकारिणी को नवीन करने का काम किया जाना है और इसके लिए समय भी लग सकता है। कोशिश की जा रही है कि आगामी चुनाव के पहले शहर कांग्रेस में सक्रिय लोगों को जोड़ा जा सके।
युवक और महिला कांग्रेस के बाद दूसरे मोर्चा-प्रकोष्ठ में भी परिवर्तन
युवक कांग्रेस में रमीज खान अध्यक्ष हैं। चुनाव में वे नजर नहीं आए, लेकिन इस पद पर उन्हें चुनाव के दौरान चुना गया था, इसलिए वे अपना कार्यकाल पूरा होने तक पद पर बने रहेंगे। प्रदेश युवक कांग्रेस का पद भी विक्रांत भूरिया के इस्तीफा देने क ेबाद खाली पड़ा है, उस पर भी नियुक्ति होना है। महिला कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति अभी हाल ही में की है। यहां पार्षद सोनिला मिमरोट को अध्यक्ष बनाया है। दोनों मोर्चा-प्रकोष्ठ को छोडक़र बाकी में फेरबदल संभव हैं, क्योंाकि चुनाव में अधिकांश अध्यक्ष कांग्रेस के नोटा कैम्पेन में केवल मुंह दिखाई करते रहे। पटवारी ने अपने सूत्रों से इसका भी पता लगाया है कि कौन निष्क्रिय था और कौन काम कर रहा था, क्योंकि इंदौर में नोटा का वोट बढ़ाने की जवाबदारी पटवारी ने खुद ही ली थी।
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