भोपाल। प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसरों की तबादला सूची जल्द जारी हो सकती है। जिसमें जिलों से लेकर पुलिस मुख्यालय तक अफसरों के बीच भारी हेरफेर होना है। सूत्रों के मुताबिक आईपीएस की तबादला सूची अलग-अलग जाएगी। जिसमें पुलिस मुख्यालय के अफसरों के तबादले विधानसभा सत्र से पहले भी हो सकते हैं। जबकि जिलों में तबादलों के लिए सत्र पूरा होने या फिर होली का त्यौहार बीतने तक इंतजार करना पड़ा सकता है। मंत्रालय सूत्रों के अनुसार जो 2019 बैच के अधिकारी जो उप पुलिस महानिरीक्षक पदोन्नत हो चुके हैं, वे जिलों में बतौर पुलिस अधीक्षक पदस्थ है, उनमें से ज्यादातर से जिला छिनना तय है। साथ ही जो अफसर आईजी बनने के बाद भी डीजीआई पदस्थ हैं, उन्हें भी मुख्यालय बलाया जाएगा। रेंज में पदस्थ एडीजी स्तर के अफसरों को वापस पीएचक्यू बुलाया जा सकता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार आईपीएस की तबादला सूची पर मुख्यमंत्री कुछ दिन पहले मंथन कर चुके हैं, लेकिन भोपाल, इंदौर में अफसरेां के नाम पर सहमति नहीं बनने से मामला टल गया। लेकिन अब फिर से आईपीएस की तबादला सूची से धूल साफ की गई है। संभवत: अगले कुछ दिनों समय मिलने पर मुख्यमंत्री इस पर फिर से चर्चा कर सकते हैं। इसके बाद वरिष्ठ अफसरों के तबादला हो सकते हैं।
मंत्रियों ने भी दिए पसंद के नाम
दो दिन पहले मुख्यमंत्री निवास पर मंत्रियों की गोपनीय बैठक हुई है। इसी बैठक के दौरान कुछ मंत्रियों ने जिलों के कलेक्टर एवं एसपी को हटाने एवं पदस्थ करने के नाम सीएम को दिए हैं। मंदसौर कलेक्टरों का अचानक हटाना भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।
डीजीपी का 11 महीने बाद निकाला आदेश
राज्य शासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना का आदेश 11 महीने बाद जारी किया है। जबकि सक्सेना 4 मार्च 2022 से मप्र के डीजीपी है। डीजीपी का आदेश जारी होने के बाद पीएचक्यू की अफसरों के बीच कामकाज का बंटवारा होने की संभावना ज्यादा बढ़ गई है। क्योंकि डीजीपी ने पीएचक्यू में अपनी पंसद से अफसरों के बीच कोई काम नहीं बांटा।
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