इंदौर। देश-प्रदेश में चर्चित रहा इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) का पेशन घोटाला (pension scam) मामले में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय (National General Secretary Kailash Vijayvargiya) को इंदौर के विशेष न्यायालय (special court) से बड़ी राहत मिली है। कथित पेंशन घोटाले में उनके खिलाफ दायर मामला विशेष अदालत ने बंद कर दिया है। इसके पीछे वजह बताई है कि मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) की ओर से उन पर और अन्य पर 17 साल तक मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिल सकी।
इंदौर नगर निगम में कथित ‘पेंशन घोटाले’ में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ कांग्रेस के केके मिश्रा ने शिकायत की थी। उन्होंने शिकायत में आरोप लगाया था कि कैलाश विजयवर्गीय 2000 से 2005 तक इंदौर के महापौर थे, तब एमआईसी ने निराश्रितों, विधवाओं और विकलांग व्यक्तियों को नियमों को परे रखकर पेंशन बांटी थी।
ये पेंशन राष्ट्रीय बैंकों और डाकघरों के बजाय सहकारी संस्थानों के माध्यम से बांटी गई थी। इसमें अपात्र या मृत लोगों या यहां तक कि गैर-मौजूदा व्यक्तियों को पेंशन मिली, जिससे सरकार को 33 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उन्होंने तत्कालीन एमआईसी सदस्य रमेश मेंदोला, उमाशशि शर्मा, शंकर लालवानी, तत्कालीन निगमायुक्त संजय शुक्ला सहित 14 लोगों के खिलाफ शिकायत की थी।
सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों के लिए विशेष अदालत के न्यायाधीश मुकेश नाथ ने अभियोजन की मंजूरी की कमी का हवाला देते हुए विजयवर्गीय और अन्य के खिलाफ कार्रवाई बंद करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा है कि अभियोजन की अनुमति के इंतजार में अनंतकाल तक केस को लंबित नहीं रखा जा सकता। लेकिन ये भी कहा कि अगर सरकार ने मंजूरी दे दी तो शिकायतकर्ता फिर से अदालत जा सकता है। बता दें कि आरोप लोक सेवकों के खिलाफ होने से शासन से अभियोजन की स्वीकृति अनिवार्य थी, जो नहीं मिल पाई।
शिकायतकर्ता और मप्र कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने अब मंजूरी देने में देरी के खिलाफ उच्च न्यायालय का रुख किया है। मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि 17 साल तक अभियोजन की मंजूरी नहीं देकर राज्य सरकार ने दिखा दिया है कि वह भ्रष्ट लोगों को बचाना चाहती है। उनके वकील विभोर खंडेलवाल ने कहा कि उन्होंने मंजूरी नहीं देने के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के समक्ष एक याचिका दायर की है।
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