नई दिल्ली: पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री (Former Prime Minister of Pakistan) और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के संस्थापक इमरान खान (Imran Khan) को सिफर मामले में बड़ी राहत मिली है. इस्लामाबाद हाई कोर्ट (Islamabad High Court) ने सबूतों के अभाव के कारण इमरान खान को मिली 10 साल की सजा को रद्द कर दिया है. इमरान के साथ ही उनके सहयोगी और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी (Former Foreign Minister Shah Mehmood Qureshi) की भी सजा रद्द कर दी गई है.
ट्रायल कोर्ट द्वारा घोषित सजा के खिलाफ याचिका दायर होने के बाद आईएचसी की दो सदस्यीय बेंच ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान और पूर्व विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी को सोमवार को बरी कर दिया है. इस दौरान कोर्ट ने कहा कहा कि ट्रायल कोर्ट का आचरण कुछ भी था लेकिन कानून के मुताबिक ऐसे अवसरों पर जब कानूनी टीम उपलब्ध थी तो इमरान खान और कुरेशी दोनों के लिए राज्य परिषद की नियुक्ति, या निर्णय में रूढ़िवादी टिप्पणियां की गई, जिनका मामले से कोई लेना देना नहीं था.
71 साल के इमरान खान पर वाशिंगटन में पाकिस्तान के दूतावास द्वारा भेजे गए एक गुप्त राजनयिक केबल (सिफर) को लीक करने के मामले में आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था. जिसके बाद पाकिस्तान की एक विशेष अदालत ने उन्हें और पूर्व दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी. ये मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हुआ था. इमरान खान पर बेहद गुप्त जानकारी के निजी इस्तेमाल का आरोप है. हालांकि सत्ता से बेदखल होने के बाद इमरान खान ने कहा था कि उन्हें बेदखल करने के पीछे अमेरिका का हाथ है.
सिफर या डिप्लोमैटिक केबल वह संवाद होता है जो विदेशी मिशन की तरफ से अपने देश को भेजा जाता है. इसमें सभी तरह के बातचीत की जानकारी होती है, जिसको डिकोड कर उसको पढ़ा जाता है. सिफर का मतलब सीक्रेट कीवर्ड में लिखा गया संदेश. सायफर, एक गुप्त और प्रतिबंधित संदेश होता है जो डिप्लोमेटिक कम्युनिकेशन का हिस्सा होता है. दो देशों के बीच होने वाली कई बातचीत को गुप्त रखा जाता है. इसके लिए बातचीत को कोड के रूप में लिखा जाता है जिसे डिकोड करना मुश्किल होता है. इसकी मूल प्रति फॉरेन ऑफिस में रखी जाती है. इसकी कॉपी करना भी गैर-कानूनी होता है. पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान इससे जुड़े एक मामले में फंसे थे.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved