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    महंगाई की दोहरी मार से बड़ी राहत, सरिया की कीमत हुई आधी, सीमेंट-बालू भी सस्ता

    June 11, 2022

    नई दिल्ली। महंगाई (Inflation) और कर्ज के बढ़ते ब्याज (Interest Rate Hike) की दोहरी मार झेल रहे लोगों के लिए एक मोर्चे पर राहत भरी खबर है. अपना घर बनाने के लिए सही समय का इंतजार अब समाप्त हो गया है. घर बनाने में इस्तेमाल होने वाली जिन प्रमुख सामग्रियों (Building Materials) के भाव चंद महीने पहले आसमान पर थे, वे हालिया समय में काफी कम हुए हैं. सिर्फ सरिये (Iron Rod) की ही बात करें तो पिछले दो-तीन महीने में इसका भाव आधा रह गया है. इस हफ्ते भी सरिया के भाव में 1,100 रुपये प्रति टन तक की गिरावट आई है. इसके अलावा सीमेंट (Cement) से लेकर ईंट (Bricks) और बालू (Sand) तक की कीमतें गिरी हुई हैं.

    मॉडर्न डिजाइन में यूज होता है ज्यादा सरिया
    अब घर बनाने में जिस डिजाइन का इस्तेमाल होता है, उसके कारण सरिया, सीमेंट, बालू और गिट्टी सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली सामग्रियां हैं. आज कल घरों के कंस्ट्रक्शन में फ्रेम स्ट्रक्चर (Frame Structure) का इस्तेमाल होता है. पुराने जमाने में लोड-बेअरिंग स्ट्रक्चर (Load-Bearing Structure) मॉडल पर घर बनते थे. पुराने स्ट्रक्चर में पिलर, बीम आदि नहीं होते थे. इसके अलावा छत भी ढलाई वाले नहीं होते थे. अभी पिलर से लेकर बीम तक में और नींव से लेकर छत की ढलाई तक में सरिया सबसे जरूरी चीज है. यही घर को मजबूती प्रदान करता है.



    इन कारणों से गिरे बिल्डिंग मटीरियल्स के दाम
    बीते दिनों कुछ ऐसे घटनाक्रम हुए हैं, जिनके कारण भवन निर्माण सामग्रियों की कीमतें कम हुई हैं. सबसे पहले तो सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतें नियंत्रित रखने के लिए स्टील पर एक्सपोर्ट ड्यूटी (Export Duty) बढ़ा दी. इसके कारण घरेलू बाजार में स्टील के उत्पादों (Steel Products) के दाम तेजी से गिरे. सरिया की कीमतों में आई कमी की मुख्य वजह यही है. सरकार ने आसमान छूती महंगाई (Inflation) को कम करने के लिए डीजल और पेट्रोल पर टैक्स (Diesel Petrol Duty Cut) भी घटाया है. इससे ढुलाई का कॉस्ट कम हुआ है, जो लगभग सारी चीजों के दाम कम करने में मददगार साबित हो रहा है. इनके अलावा भी कुछ फैक्टर अनुकूल हैं. बारिश का मौसम शुरू होते ही निर्माण कार्यों में कमी आने लगती है, जिससे बिल्डिंग मटीरियल्स की डिमांड खुद ही कम होने लगती है. रियल एस्टेट सेक्टर (Real Estate Sector) के बुरे हालात भी इस समय सहयोग कर रहे हैं. इन कारणों से ईंट, सीमेंट, सरिया यानी छड़, रेत जैसी चीजों की डिमांड निचले स्तर पर है.

    इतना गिर चुका है सरिये का भाव
    सरिये की बात करें तो इसका भाव महज दो महीने पहले यानी मार्च 2022 में आसमान छू रहा था. मार्च में कुछ जगहों पर सरिये का भाव 85 हजार रुपये टन तक पहुंच गया था. अभी यह कम होकर कई जगहों पर 44 हजार रुपये टन के पास आ गया है. सिर्फ इसी सप्ताह सरिये के भाव में 1000 रुपये से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली है. सिर्फ लोकल ही नहीं बल्कि ब्रांडेड सरिये का भाव भी पिछले कुछ महीनों में काफी कम हुआ है. अभी ब्रांडेड सरिये का भाव कम होकर 80-85 हजार रुपये प्रति टन पर आ गया है. मार्च 2022 में ब्रांडेड सरिये का रेट 01 लाख रुपये प्रति टन के पास पहुंच गया था. इस चार्ट में देखिए सरिये का औसत भाव कैसे कम हुआ है…

    सरिया की औसत खुदरा कीमत (रुपये प्रति टन):

    नवंबर 2021 : 70,000
    दिसंबर 2021 : 75,000
    जनवरी 2022 : 78,000
    फरवरी 2022 : 82,000
    मार्च 2022 : 83,000
    अप्रैल 2022 : 78,000
    मई 2022 (शुरुआत) : 71,000
    मई 2022 (अंत): 62-63,000
    जून 2022 (शुरुआत): 48-50,000
    जून 2022 (09 जून): 47-48,000

    अब इस चार्ट में देखिए कि भारत के प्रमुख शहरों में अभी सरिये का क्या रेट चल रहा है. आयरनमार्ट (ayronmart) वेबसाइट सरिये की कीमतों की घट-बढ़ पर नजर रखती है और साप्ताहिक आधार पर कीमतों को अपडेट करती है. इससे यह बात भी पता चलेगी कि सिर्फ इस सप्ताह अलग-अलग शहरों में सरिये के भाव कितने कम हुए हैं. सभी कीमतें रुपये प्रति टन में हैं.

    शहर (राज्य) 04 जून 09 जून

    दुर्गापुर (पश्चिम बंगाल): 45,300 44,200
    कोलकाता (पश्चिम बंगाल): 45,800 44,700
    रायगढ़ (छत्तीसगढ़): 48,700 48,500
    राउरकेला (ओडिशा): 50,000 49,500
    नागपुर (महाराष्ट्र): 51,000 50,500
    हैदराबाद (तेलंगाना): 52,000 52,000
    जयपुर (राजस्थान): 52,200 52,700
    भावनगर (गुजरात): 52,700 52,400
    मुजफ्फरनगर (UP): 52,900 52,100
    गाजियाबाद (UP): 53,000 53,400
    इंदौर (मध्य प्रदेश): 53,500 53,700
    गोवा: 53,800 53,800
    जालना (महाराष्ट्र): 54,000 53,800
    मंडी गोविंदगढ़ (पंजाब): 54,300 53,800
    चेन्नई (तमिलनाडु): 55,000 54,000
    दिल्ली: 55,000 54,700
    मुंबई (महाराष्ट्र): 55,200 54,100
    कानपुर (उत्तर प्रदेश): 57,000 56,100

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